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नवरात्रि के तीसरे दिन निर्भयता-वीरता की देवी मां चंद्रघंटा की होती है आराधना, इस विधि से करें पूजन

चैत्र नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही शक्ति की आराधना की भी शुरुआत हो चुकी है. आज नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा की पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है. (Chaitra Navratri 2022 )

How to worship maa chandraghanta on the third day of Chaitra Navratri 2022
नवरात्रि के तीसरे दिन निर्भयता-वीरता की देवी मां चंद्रघंटा की होती है आराधना
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Published : Apr 4, 2022, 6:54 AM IST

हैदराबाद। चैत्र नवरात्रि 2022 का आज तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन भगवती के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. कहते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां हर संकट दूर करती हैं. मां चंद्रघंटा की उपासना से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा करने से मनुष्य में निर्भयता और वीरता के गुण संचारित होते हैं. भगवती चंद्रघंटा की सवारी सिंह होती है. मां की दस भुजाएं हैं. दसों भुजाओं में मां वनमाला, कमंडल, चक्र, गदा, पद्म, त्रिशूल, खड़ग, धनुष, बाण लिए हुए हैं और भगवती का एक हाथ वरदहस्त (वर मुद्रा में) है.

मां चंद्रघंटा का स्वरूप: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है. इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है. मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं. इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं, और मां चंद्रघंटाकी सवारी सिंह है. मां चंद्रघंटा की पूजा और उपासना से साहस और निडरता में वृद्धि होती है. हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने सौम्यता और विनम्रता में भी वृद्धि होती है. विधि पूर्वक पूजा करने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है.

मां चंद्रघंटा पूजा विधि: शुभ मुहूर्त में मां चंद्रघंटा की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. पूजा आरंभ करने से पूर्व मां चंद्रघंटा को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं. इसके बाद मां को कमल और पीले गुलाब की माला चढ़ाएं. इस दिन मां को दूध या मावे से बनी मिठाई का भोग लगाया चाहिए. ऐसा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है.

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मां चंद्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।

कमल और पीले पुष्प करें अर्पित: देवी चंद्रघंटा को सुनहरे वस्त्र अर्पित करने चाहिए. साथ ही मां को कमल और पीला पुष्प बेहद प्रिय है. इस दिन मां को फल, मिठाई और मिश्री का भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्ग सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

नवरात्र के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

हैदराबाद। चैत्र नवरात्रि 2022 का आज तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन भगवती के चंद्रघंटा रूप की पूजा की जाती है. कहते हैं माता चंद्रघंटा की पूजा से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मां हर संकट दूर करती हैं. मां चंद्रघंटा की उपासना से पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा करने से मनुष्य में निर्भयता और वीरता के गुण संचारित होते हैं. भगवती चंद्रघंटा की सवारी सिंह होती है. मां की दस भुजाएं हैं. दसों भुजाओं में मां वनमाला, कमंडल, चक्र, गदा, पद्म, त्रिशूल, खड़ग, धनुष, बाण लिए हुए हैं और भगवती का एक हाथ वरदहस्त (वर मुद्रा में) है.

मां चंद्रघंटा का स्वरूप: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है. इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है. मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं. इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं, और मां चंद्रघंटाकी सवारी सिंह है. मां चंद्रघंटा की पूजा और उपासना से साहस और निडरता में वृद्धि होती है. हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने सौम्यता और विनम्रता में भी वृद्धि होती है. विधि पूर्वक पूजा करने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है.

मां चंद्रघंटा पूजा विधि: शुभ मुहूर्त में मां चंद्रघंटा की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. पूजा आरंभ करने से पूर्व मां चंद्रघंटा को केसर और केवड़ा जल से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं. इसके बाद मां को कमल और पीले गुलाब की माला चढ़ाएं. इस दिन मां को दूध या मावे से बनी मिठाई का भोग लगाया चाहिए. ऐसा करने से धन और वैभव की प्राप्ति होती है.

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मां चंद्रघंटा का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।

कमल और पीले पुष्प करें अर्पित: देवी चंद्रघंटा को सुनहरे वस्त्र अर्पित करने चाहिए. साथ ही मां को कमल और पीला पुष्प बेहद प्रिय है. इस दिन मां को फल, मिठाई और मिश्री का भोग लगाना चाहिए. पूजा के बाद दुर्गा चालीसा या दुर्ग सप्तशती का पाठ करना चाहिए.

नवरात्र के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा

  • प्रथम दिवस मां शैलपुत्री
  • द्वितीय दिवस मां ब्रह्मचारिणी
  • तृतीय दिवस मां चंद्रघंटा
  • चतुर्थ दिवस मां कुष्मांडा
  • पंचमी के दिन मां स्कंदमाता
  • षष्ठी के दिन मां कात्यायनी
  • सप्तमी के दिन मां कालरात्रि
  • अष्टमी के दिन मां महागौरी
  • नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.
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