भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में आपसी कलह कम होने का नाम नहीं ले रहा है. पार्टी में सम्मान न मिलने और अन्य वजहों से आए दिन कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. कई कांग्रेसी नेता पार्टी की कार्यशैली से भी असंतुष्ट हैं. भोपाल में आयोजित की गई पार्टी के बैठक के बाद पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता गोविंद सिंह का भी दर्द छलक गया. पूर्व सीएम कमलनाथ के घर पर बैठक केबाद मीडिया से बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाने जाने पर गोविंद सिंह अपनी पार्टी से नाराज नजर आए.
मध्य प्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उपचुनाव से पहले कांग्रेस की बड़ी बैठक हुई है, जिसमें तमाम पूर्व मंत्री और प्रभारी विधायकों को बुलाया गया था. बैठक मे उपचुनाव को लेकर रणनीति बनाई गई. बैठक के बाद पूर्व सहकारिता मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह ने कहा कि, पार्टी को चुनाव जीतना है, जो कमियां थी उसको लेकर रणनीति बनाई गई है और उन कमियों को दूर किया जाएगा, जिससे पार्टी को चुनाव मे जीत मिल सके.
नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाने से नाराज
गोविंद सिंह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को नेता प्रतिपक्ष बनाया है, जिसको लेकर गोविंद सिंह पार्टी से नाराज बताए जा रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष न बनाए जाने के सावाल पर उन्होंने कहा कि, ये सवाल कमलनाथ जी से करना चाहिए. हलांकि उन्होंने कहा कि, नेता प्रतिपक्ष बनाए जाना पार्टी का निर्णय है.
बीजेपी नेता गोविंद सिंह का जताया आभार
डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि, पार्टी नेताओं ने उनके नेता प्रतिपक्ष बनने को लेकर कोई चिंता नहीं की. हालांकि, उन्होंने बीजेपी सरकार के मंत्री गोंविद सिंह राजपूत के सहानुभूति जताने पर धन्यवाद दिया है. डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि, मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से मेरे पारिवारिक रिश्ते हैं. लेकिन राजपूत मेरे राजनीतिक सलाहकार नहीं, जो मैं उनकी सलाह को मानू. उन्होंने गोविंद सिंह राजपूत के ऑफर को ठुकरा दिया है.
इसारे में गोविंद सिंह ने दिया था ऑफर
ग्वालियर- चंबल से कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरे और सीनियर विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह को बीजेपी में कैबिनेट मिनिस्टर गोविंद सिंह राजपूत ने संकेतों में ऑफर दिया है. परिवहन मंत्री राजपूत ने कहा था कि, कांग्रेस के विधायक डॉ. गोविंद सिंह पार्टी में उपेक्षित हैं. कांग्रेस मंत्रिमंडल में उनको सहकारिता जैसे कमजोर विभाग दिया गया. विपक्ष में होने के नाते डॉक्टर गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष होने के मजबूत दावेदार थे, लेकिन कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष की कमान अपने हाथ में रखकर डॉक्टर गोविंद सिंह की उपेक्षा की. अब मौका है कि, डॉक्टर गोविंद सिंह भी कोई फैसला लेकर पार्टी को जवाब दें.