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ई-टेंडर घोटाले की जांच के दायरे में साल 2017 के टेंडर, छेड़छाड़ के मिले सबूत - भोपाल न्यूज

ई-टेंडर घोटाले की जांच में अब EOW ने अपना दायरा बढ़ाया है, ऐजेंसी के मुताबिक साल 2017 के 33 ऐसे टेंडर हैं जिनमें छेड़छाड़ करने के सबूत मिले हैं.

कार्यालय ईओडब्ल्यू, भोपाल
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Published : Sep 28, 2019, 6:26 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 8:04 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए एक हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में EOW की जांच का दायरा अब बढ़ गया है. साल 2018 के बाद जांच एजेंसी को साल 2017 में जारी किए टेंडरों में भी टेंपरिंग के सबूत मिले हैं. बताया जा रहा है कि EOW को साल 2017 के करीब 33 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं, अब जांच एजेंसी इन मामलों से जुड़े अधिकारियों को नोटिस देकर तलब करने की तैयारी कर रही है. पूछताछ के बाद इन टेंडरों को लेकर भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

ई-टेंडर घोटाले में बढ़ा जांच का दायरा


EOW लगातार पिछले सालों के टेंडरों की जांच कर रही है. जांच के दौरान पहले EOW को साल 2018 के करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग के सबूत मिले थे और अब साल 2017 के टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है. साल 2017 के ऐसे 33 टेंडर हैं, जिनसे छेड़छाड़ कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है. बताया जा रहा है कि ये सभी टेंडर जल संसाधन विभाग, एमपीआरडीसी, जल निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं.


अब इन टेंडरों में भी पूछताछ के लिए EOW की टीम संबंधित विभागों के अधिकारी कर्मचारियों, निजी कंपनियों के अधिकारियों और इससे जुड़े लोगों को नोटिस भेजकर तलब करने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि पूछताछ और जांच के बाद इन मामलों में भी नई FIR दर्ज की जा सकती है.

ऐसे हुआ खुलासा
EOW ने 7 विभागों के 9 टेंडरों में गड़बड़ी को लेकर अपनी जांच शुरू की थी, जांच में आगे बढ़ते हुए एजेंसियों को पिछले कुछ सालों के टेंडरों में गड़बड़ी करने के भी साक्ष्य मिले, जब एक-एक साल पीछे के टेंडरों की पड़ताल EOW ने शुरू की तो पता चला कि, इन टेंडरों में भी टेंपरिंग की गई है. साल 2011 से लेकर अब तक करीब साढे़ तीन लाख से ज्यादा टेंडर जारी किए गए हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 500 से ज्यादा टेंडर में गड़बड़ी की आशंका है, माना जा रहा है कि इन सभी टेंडरों में जांच के बाद कई बड़े आईएएस अफसरों और तत्कालीन मंत्रियों पर EOW का शिकंजा कस सकता है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए एक हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में EOW की जांच का दायरा अब बढ़ गया है. साल 2018 के बाद जांच एजेंसी को साल 2017 में जारी किए टेंडरों में भी टेंपरिंग के सबूत मिले हैं. बताया जा रहा है कि EOW को साल 2017 के करीब 33 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं, अब जांच एजेंसी इन मामलों से जुड़े अधिकारियों को नोटिस देकर तलब करने की तैयारी कर रही है. पूछताछ के बाद इन टेंडरों को लेकर भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

ई-टेंडर घोटाले में बढ़ा जांच का दायरा


EOW लगातार पिछले सालों के टेंडरों की जांच कर रही है. जांच के दौरान पहले EOW को साल 2018 के करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग के सबूत मिले थे और अब साल 2017 के टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है. साल 2017 के ऐसे 33 टेंडर हैं, जिनसे छेड़छाड़ कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है. बताया जा रहा है कि ये सभी टेंडर जल संसाधन विभाग, एमपीआरडीसी, जल निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं.


अब इन टेंडरों में भी पूछताछ के लिए EOW की टीम संबंधित विभागों के अधिकारी कर्मचारियों, निजी कंपनियों के अधिकारियों और इससे जुड़े लोगों को नोटिस भेजकर तलब करने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि पूछताछ और जांच के बाद इन मामलों में भी नई FIR दर्ज की जा सकती है.

ऐसे हुआ खुलासा
EOW ने 7 विभागों के 9 टेंडरों में गड़बड़ी को लेकर अपनी जांच शुरू की थी, जांच में आगे बढ़ते हुए एजेंसियों को पिछले कुछ सालों के टेंडरों में गड़बड़ी करने के भी साक्ष्य मिले, जब एक-एक साल पीछे के टेंडरों की पड़ताल EOW ने शुरू की तो पता चला कि, इन टेंडरों में भी टेंपरिंग की गई है. साल 2011 से लेकर अब तक करीब साढे़ तीन लाख से ज्यादा टेंडर जारी किए गए हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 500 से ज्यादा टेंडर में गड़बड़ी की आशंका है, माना जा रहा है कि इन सभी टेंडरों में जांच के बाद कई बड़े आईएएस अफसरों और तत्कालीन मंत्रियों पर EOW का शिकंजा कस सकता है.

Intro:भोपाल- मध्य प्रदेश में हुए 1000 करोड़ के ईटेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू की जांच का दायरा अब बढ़ गया है। साल 2018 के बाद अब जांच एजेंसी को साल 2017 में जारी किए टेंडरों में भी टेंपरिंग के सबूत मिले हैं। बताया जा रहा है कि, इओडब्ल्यू को साल 2017 के करीब 33 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं। अब जांच एजेंसी इन मामलों से जुड़े अधिकारियों को नोटिस देकर तलब करने की तैयारी कर रही है। पूछताछ के बाद इन टेंडरों को लेकर भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।


Body:ई-टेंडर घोटाले में जैसे-जैसे ईओडब्ल्यू की जांच आगे बढ़ रही है वैसे वैसे नए खुलासे होते जा रहे हैं। ईओडब्ल्यू को साल 2017 में जारी किए गए टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने के पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं। दरअसल ईओडब्ल्यू लगातार पिछले सालों के टेंडरों को लेकर भी जांच कर रही है। जांच के दौरान पहले इओडब्ल्यू को साल 2018 के करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग के सबूत मिले थे। और अब साल 2017 की भी टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है। साल 2017 के ऐसे 33 टेंडर हैं जिनसे छेड़छाड़ कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है। बताया जा रहा है कि यह सभी टेंडर जल संसाधन विभाग, एमपीआरडीसी, जल निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं। अब इन टेंडरों में भी पूछताछ के लिए ईओडब्ल्यू की टीम संबंधित विभागों के अधिकारी कर्मचारियों, निजी कंपनियों के अधिकारियों और इससे जुड़े लोगों को नोटिस भेजकर तलब करने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि पूछताछ और जांच के बाद इन मामलों में भी नई एफआईआर दर्ज की जा सकती है।


Conclusion:ईओडब्ल्यू ने 7 विभागों के 9 टेंडरों में गड़बड़ी को लेकर अपनी जांच शुरू की थी। जांच में आगे बढ़ते हुए जांच एजेंसियों को पिछले कुछ सालों के टेंडरों में गड़बड़ी करने के भी साक्ष्य मिले। जिसके बाद एक-एक साल पीछे के टेंडरों की पड़ताल इओडब्ल्यू ने शुरू की तो पता चला कि, इन टेंडरों में भी टेंपरिंग की गई है। साल 2011 से लेकर अब तक करीब साढे तीन लाख से ज्यादा टेंडर जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 500 से ज्यादा टेंडरों में गड़बड़ी की आशंका है। माना जा रहा है कि इन सभी टेंडरों में जांच के बाद कई बड़े आईएएस अफसरों और तत्कालीन मंत्रियों पर भी इओडब्ल्यू का शिकंजा कस सकता है।

बाइट- केएन तिवारी, डीजी, इओडब्ल्यू।
Last Updated : Sep 28, 2019, 8:04 PM IST
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