भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए एक हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में EOW की जांच का दायरा अब बढ़ गया है. साल 2018 के बाद जांच एजेंसी को साल 2017 में जारी किए टेंडरों में भी टेंपरिंग के सबूत मिले हैं. बताया जा रहा है कि EOW को साल 2017 के करीब 33 टेंडरों में टेंपरिंग किए जाने के पुख्ता सबूत मिले हैं, अब जांच एजेंसी इन मामलों से जुड़े अधिकारियों को नोटिस देकर तलब करने की तैयारी कर रही है. पूछताछ के बाद इन टेंडरों को लेकर भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.
EOW लगातार पिछले सालों के टेंडरों की जांच कर रही है. जांच के दौरान पहले EOW को साल 2018 के करीब 42 टेंडरों में टेंपरिंग के सबूत मिले थे और अब साल 2017 के टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है. साल 2017 के ऐसे 33 टेंडर हैं, जिनसे छेड़छाड़ कर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है. बताया जा रहा है कि ये सभी टेंडर जल संसाधन विभाग, एमपीआरडीसी, जल निगम और पीडब्ल्यूडी विभाग के हैं.
अब इन टेंडरों में भी पूछताछ के लिए EOW की टीम संबंधित विभागों के अधिकारी कर्मचारियों, निजी कंपनियों के अधिकारियों और इससे जुड़े लोगों को नोटिस भेजकर तलब करने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि पूछताछ और जांच के बाद इन मामलों में भी नई FIR दर्ज की जा सकती है.
ऐसे हुआ खुलासा
EOW ने 7 विभागों के 9 टेंडरों में गड़बड़ी को लेकर अपनी जांच शुरू की थी, जांच में आगे बढ़ते हुए एजेंसियों को पिछले कुछ सालों के टेंडरों में गड़बड़ी करने के भी साक्ष्य मिले, जब एक-एक साल पीछे के टेंडरों की पड़ताल EOW ने शुरू की तो पता चला कि, इन टेंडरों में भी टेंपरिंग की गई है. साल 2011 से लेकर अब तक करीब साढे़ तीन लाख से ज्यादा टेंडर जारी किए गए हैं. बताया जा रहा है कि इनमें से करीब 500 से ज्यादा टेंडर में गड़बड़ी की आशंका है, माना जा रहा है कि इन सभी टेंडरों में जांच के बाद कई बड़े आईएएस अफसरों और तत्कालीन मंत्रियों पर EOW का शिकंजा कस सकता है.