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मंत्रिमंडल विस्तार और उपचुनाव टिकट वितरण से बीजेपी में उभरे असंतोष की टोह ले रही है कांग्रेस

सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस उपचुनाव के जरिए अभी भी अपनी खोई हुई सरकार वापस पाने की आस बरकरार रखे हुए हैं. वहीं उपचुनाव और मंत्रिमंडल बागियों को लेकर बीजेपी में असंतोष नजर आ रहा है.

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Published : May 17, 2020, 3:07 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में भारी ऊठापटक के बाद बीजेपी ने सिंधिया के समर्थन से सरकार जरूर बना ली है, लेकिन बागियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और उपचुनाव में टिकट देने के एलान के बाद बीजेपी में असंतोष उभर रहा है. सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस उपचुनाव के जरिए अभी भी अपनी खोई हुई सरकार वापस पाने की आस बरकरार रखे हुए हैं. लिहाजा बीजेपी की हर परिस्थितियों पर कांग्रेस की पैनी नजर है.

असंतोष की टोह ले रही है कांग्रेस

कांग्रेस असंतोष में जहां अपनी जीत की संभावनाएं तलाश रही है. वहीं बीजेपी के दिग्गज नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रही है. हालांकि बीजेपी को अपने कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भरोसा है. लेकिन राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. बहरहाल कांग्रेस की गुटबाजी और असंतोष का फायदा उठाकर बीजेपी ने सरकार तो बना ली. लेकिन सरकार बनने के बाद बीजेपी में असंतोष के स्वर तेज हो गए हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से बनी बीजेपी की शिवराज सरकार में असंतोष के दो प्रमुख कारण हैं. पहला तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार और दूसरा कारण उपचुनाव में टिकट वितरण है.

22 बागियों को दिया जाएगा टिकट

कांग्रेस से बागी हुए सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने के लिए बीजेपी को अपने कई बड़े और कद्दावर नेताओं को घर बिठाने की नौबत आ गई है. ऐसी स्थिति में इन नेताओं में आक्रोश पनप रहा है. लगातार आठ चुनाव जीतने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहले विस्तार में मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं. तो कई लोग ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बनने का सपना देख रहे थे. लेकिन उनका सपना टूटता नजर आ रहा है. इसके अलावा बीजेपी के वह नेता पार्टी से नाराज हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्रों के सिंधिया समर्थक बागी होकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने साफ तौर पर ऐलान कर दिया है कि उपचुनाव में कांग्रेस के तमाम 22 बागियों को टिकट दिया जाएगा.

ठगा महसूस कर रहे बीजेपी नेता

ऐसी स्थिति में विधानसभा में चुनाव हारे बीजेपी नेता अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. इन हालातों को देखते हुए कांग्रेस बीजेपी के अंदर उपजे असंतोष की टोह लेने में जुट गई है. कांग्रेस जहां कद्दावर नेताओं को बीजेपी छोड़ अपनी पार्टी में शामिल कराने की कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि टिकट वितरण से उपज रहे संतोष का कैसे फायदा लिया जाए. वहीं इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि बीजेपी की केवल एक ही रीति नीति और सिद्धांत रह गया है कि किसी भी तरह सत्ता हासिल करना. खरीद-फरोख्त जोड़-तोड़ जो करना पड़े वह करो. उसी तरह मध्य प्रदेश में सत्ता प्राप्त की है.

विपक्ष में बैठकर हांक रहे डींगे

उनके क्षेत्रों में कांग्रेस से आए उन 22 नेताओं को प्राथमिकता दी जा रही है. जिनके खिलाफ बीजेपी के कार्यकर्ता कई दशकों से लड़ाई लड़ रहे हैं. चाहे दीपक जोशी हो, जिनके पिता कैलाश जोशी. जिन्होंने भाजपा को खड़ा किया. आज पार्टी उनको दरकिनार कर कांग्रेस से खरीदे हुए नेता को प्राथमिकता देने जा रही है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि 24 विधानसभा में उपचुनाव होने हैं. यहां प्रत्याशी कौन होगा, समय आने पर घोषित हो जाएगा. कार्यकर्ता संगठन की नीति भली-भांति समझते हैं. तात्कालिक परिस्थितियां समझते हैं. परिस्थितियों से उत्पन्न कारणों को समझते हैं.कांग्रेस संदिग्ध रही है, उनके भीतर संदेह भी रहा है. सरकार में बैठकर और अब विपक्ष में बैठकर डींगे हाकने का काम कर रहे हैं. उनके पास तो ना कोई जाने वाला है. ना कोई उनके दरवाजे की कुंडी खटखटाने वाला है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में भारी ऊठापटक के बाद बीजेपी ने सिंधिया के समर्थन से सरकार जरूर बना ली है, लेकिन बागियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और उपचुनाव में टिकट देने के एलान के बाद बीजेपी में असंतोष उभर रहा है. सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस उपचुनाव के जरिए अभी भी अपनी खोई हुई सरकार वापस पाने की आस बरकरार रखे हुए हैं. लिहाजा बीजेपी की हर परिस्थितियों पर कांग्रेस की पैनी नजर है.

असंतोष की टोह ले रही है कांग्रेस

कांग्रेस असंतोष में जहां अपनी जीत की संभावनाएं तलाश रही है. वहीं बीजेपी के दिग्गज नेताओं को तोड़ने की कोशिश कर रही है. हालांकि बीजेपी को अपने कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर भरोसा है. लेकिन राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. बहरहाल कांग्रेस की गुटबाजी और असंतोष का फायदा उठाकर बीजेपी ने सरकार तो बना ली. लेकिन सरकार बनने के बाद बीजेपी में असंतोष के स्वर तेज हो गए हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से बनी बीजेपी की शिवराज सरकार में असंतोष के दो प्रमुख कारण हैं. पहला तो शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार और दूसरा कारण उपचुनाव में टिकट वितरण है.

22 बागियों को दिया जाएगा टिकट

कांग्रेस से बागी हुए सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने के लिए बीजेपी को अपने कई बड़े और कद्दावर नेताओं को घर बिठाने की नौबत आ गई है. ऐसी स्थिति में इन नेताओं में आक्रोश पनप रहा है. लगातार आठ चुनाव जीतने वाले पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहले विस्तार में मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं. तो कई लोग ऐसे हैं, जो पहली बार मंत्री बनने का सपना देख रहे थे. लेकिन उनका सपना टूटता नजर आ रहा है. इसके अलावा बीजेपी के वह नेता पार्टी से नाराज हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्रों के सिंधिया समर्थक बागी होकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी ने साफ तौर पर ऐलान कर दिया है कि उपचुनाव में कांग्रेस के तमाम 22 बागियों को टिकट दिया जाएगा.

ठगा महसूस कर रहे बीजेपी नेता

ऐसी स्थिति में विधानसभा में चुनाव हारे बीजेपी नेता अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. इन हालातों को देखते हुए कांग्रेस बीजेपी के अंदर उपजे असंतोष की टोह लेने में जुट गई है. कांग्रेस जहां कद्दावर नेताओं को बीजेपी छोड़ अपनी पार्टी में शामिल कराने की कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस की कोशिश है कि टिकट वितरण से उपज रहे संतोष का कैसे फायदा लिया जाए. वहीं इस मामले में कांग्रेस प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि बीजेपी की केवल एक ही रीति नीति और सिद्धांत रह गया है कि किसी भी तरह सत्ता हासिल करना. खरीद-फरोख्त जोड़-तोड़ जो करना पड़े वह करो. उसी तरह मध्य प्रदेश में सत्ता प्राप्त की है.

विपक्ष में बैठकर हांक रहे डींगे

उनके क्षेत्रों में कांग्रेस से आए उन 22 नेताओं को प्राथमिकता दी जा रही है. जिनके खिलाफ बीजेपी के कार्यकर्ता कई दशकों से लड़ाई लड़ रहे हैं. चाहे दीपक जोशी हो, जिनके पिता कैलाश जोशी. जिन्होंने भाजपा को खड़ा किया. आज पार्टी उनको दरकिनार कर कांग्रेस से खरीदे हुए नेता को प्राथमिकता देने जा रही है. वहीं बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि 24 विधानसभा में उपचुनाव होने हैं. यहां प्रत्याशी कौन होगा, समय आने पर घोषित हो जाएगा. कार्यकर्ता संगठन की नीति भली-भांति समझते हैं. तात्कालिक परिस्थितियां समझते हैं. परिस्थितियों से उत्पन्न कारणों को समझते हैं.कांग्रेस संदिग्ध रही है, उनके भीतर संदेह भी रहा है. सरकार में बैठकर और अब विपक्ष में बैठकर डींगे हाकने का काम कर रहे हैं. उनके पास तो ना कोई जाने वाला है. ना कोई उनके दरवाजे की कुंडी खटखटाने वाला है.

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