भोपाल। दिग्विजय सिंह एक बार फिर राज्यसभा पहुंचने के लिए दम भर रहे हैं, वे अपने बयानों में सिंधिया का समर्थन भी करत दिख रहे हैं तो कमलनाथ का बचाव भी. दिग्विजय सिंह कहते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनका कोई झगड़ा नहीं, इसे तो मीडिया तूल देती है. सियासत में दिग्विजय सिंह इसी अंदाज के लिए जाने जाते हैं.
इन बयानों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि राज्यसभा की दो सीटों के लिए कांग्रेस के कई दावेदार हैं, जिनमें दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं. अब तक उनके नाम के लिए उतनी लॉबिंग नहीं हुई, जितनी सिंधिया और प्रियंका गांधी के लिए हो चुकी है. लेकिन दिग्विजय सिंह भी अपनी सीट बचाने में जुटे हैं.
दिग्विजय सिंह जानते हैं कि सियासत में टाइमिंग का बड़ा महत्व होता है. उन्हें पता है कि प्रदेश में कोई कुछ भी कहे, लेकिन राज्यसभा जाने का निर्णय सोनिया गांधी के दरबार में ही होना है, इसलिए वे सिंधिया को भी साध रहे हैं तो कमलनाथ गुट पर भी नजर बनाए हुए हैं क्योंकि इस सरकार का समन्वय दिग्विजय सिंह के पास ही है.
जब सिंधिया अपनी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की बात करते है तो दिग्गी राजा कहते हैं कि सिंधिया अकेले नहीं वे भी उनके साथ सड़क पर उतरेंगे. वे सीधे न तो कमलनाथ का बचाव करते हैं और न सिंधिया समर्थन. जो दिग्गी राजा को गहराई से समझते हैं, उन्हें पता है कि दिग्विजय सिंह की हर बात के गहरे सियासी अर्थ होते हैं.
सियासी जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह अपनी सीट बचाना चाहते हैं. यही वजह है कि इस वक्त वे न तो किसी को नाराज करना चाहते हैं और न किसी को जरुरत से ज्यादा तव्वजो दे रहे हैं. वे महाराज सिंधिया से मुलाकात तो करते हैं, लेकिन चंद मिनटों के लिए, कमलनाथ गुट के समर्थकों के घर भी पहुंते हैं, जबकि कांग्रेस के दिल्ली दरबार में भी समन्वय बनाए हुए हैं. यानि राजा साहब हर पैंतरा बदलते समय के साथ बदल रहें हैं.
यही दिग्विजय सिंह का स्टाइल है कि वे वक्त की नजाकत को भांपने और उसके अनुरूप चलने में माहिर हैं. दिग्विजय सिंह राज्यसभा जाएंगे या नहीं, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन सिंधिया और कमलनाथ से इतर उन्होंने अपनी फील्डिंग जमा दी है. लगातार प्रदेश में दौरा करना, लोगों से मिलना, कांग्रेस को एकजुट रखने की बात करना, ये सब इस बात की तस्दीक करता है कि दिग्विजय सिंह भी राज्यसभा की राह पर चलने के लिए एक बार फिर तैयार हैं.