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BJP Parliamentary Board, शिवराज की छुट्टी क्या उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल या 2023 के लिए BJP का बड़ा संदेश

केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और दूसरे मध्यप्रदेश के (shivraj singh removal from bjp parliamentary board)मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. दोनों नेताओं को पार्टी की सबसे पॉवरफुल समितियों से हटा दिया गया है. मध्यप्रदेश से शिवराज की जगह (side effect of urban election result) पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को प्रदेश से जगह मिली है. चुनावी साल से पहले दलित नेता को संसदीय समिति में शामिल कर पार्टी ने एक बड़ा सियासी संदेश दिया है.

shivraj singh removal from bjp parliamentary board
बीजेपी संसदीय बोर्ड गडकरी शिवराज बाहर
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Published : Aug 17, 2022, 6:28 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 6:34 PM IST

भोपाल. बीजेपी संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की नई जारी सूची में पार्टी के दो कद्दावर नेताओं की गैर मौजूदगी सबसे बड़ी खबर बनी है. इनमें एक हैं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और दूसरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. दोनों नेताओं को पार्टी की सबसे पॉवरफुल समितियों से हटा (shivraj singh removal from bjp parliamentary board) दिया गया है. मध्यप्रदेश से शिवराज की (mp cm shivraj singh chouhan)जगह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को प्रदेश से जगह मिली है. चुनावी साल से पहले दलित नेता को संसदीय समिति में शामिल कर पार्टी ने एक सियासी संदेश दिया है, हालांकि सियासी गलियारों में बीजेपी संसदीय बोर्ड से शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी होने को उनके (side effect of urban election result) राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है.

जटिया का पुर्नवास, चुनाव से पहले का संदेश: पार्टी के संसदीय बोर्ड में हुए बदलाव को क्या सीएम शिवराज के राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जाए. क्या वाकई इस फैसले से उनके राजनीतिक कद पर कोई असर पड़ेगा. यहां एक बात गौर करने वाली है कि 2013 में जब बीजेपी संसदीय बोर्ड में शिवराज शामिल हुए थे तब बाकी कई महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसी वरीयता नहीं मिली थी. आज जब वे पार्टी की इन अहम कमेटियों में नहीं है तब उनका ही नाम नहीं बीजेपी शासित राज्य के किसी राज्य के मुख्यमंत्री को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में जगह नहीं मिली है.

राज्यपाल की भूमिका निभाने की चाहत रखने वाले जटिया को बड़ा मौका: संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से सीएम शिवराज की जगह सत्यनारायण जटिया की मौजूदगी को सियासत का कौन सा संदेश माना जाए. लंबे समय से किसी राज्य में राज्यपाल की भूमिका में आने की बाट जोह रहे जटिया को पार्टी ने बड़ा मौका दिया है. वहीं चुनाव से पहले ये दलित समाज के नेता को पार्टी की सबसे पॉवरफुल कमेटी में लाने का संदेश भी यही है. ये संतुलन पहले थावरचंद गहलोत बनाए हुए थे. जानकार मानते हैं कि सीएम शिवराज का नाम कटने से के साथ ज़रुरी गौर करने की बात ये है कि फिर किस मुख्यमंत्री की नाम इस सूची में जुड़ा है. योगी आदित्यनाथ जैसे दमदार मुख्यमंत्री का नाम इस सूची में शामिल न होना ये साबित कर देता है कि सूची में नाम आना और कट जाना पॉवर गेम नहीं है. लिहाजा इसे शिवराज के भविष्य की सियासत से जोड़कर देखा जाना चाहिए.

शिवराज को बड़ा झटका, BJP Parliamentary Board से हुई छुट्टी, जानें MP से किसकी हुई एंट्री

संदेश कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए भी: 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड और 15 सदस्यों वाली चुनाव समिति में कर्नाटक और महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर स्पष्ट संदेश दिया गया है. बीएस येदयुरप्पा की मौजूदगी ये बताती है कि पार्टी ने चुनाव के मुहाने पर खड़े कर्नाटक में लंबे वक्त तक नाराज़ रहे नेता का मान रखकर स्थिति संभाल ली है. महाराष्ट्र कोटे से नितिन गडकरी को हटाकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस को जगह दिया जाना संकेत है कि पार्टी में उनका कद बढ़ाया जा रहा है.

निकाय चुनाव नतीजों का साइड इफेक्ट? मध्यप्रदेश में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव हैं. इससे पहले कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी के सबसे दमदार और मजबूत पारी निकाल देने वाले खिलाड़ी शिवराज ही हैं. कमलनाथ उनपर हमलावर होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. बीजेपी मुख्यालय से जारी हुई संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की सूची को कांग्रेस मुख्यालय से भी सोशल मीडिया पर इस कैप्शन के साथ कि शेयर किया गया है- संसदीय बोर्ड से शिवराज की छुट्टी के मायने ये हैं कि एमपी में हाल ही में हुए निकाय और पंचायत चुनाव बीजेपी की हार के रुझान आने शुरु हो गए हैं.

भोपाल. बीजेपी संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की नई जारी सूची में पार्टी के दो कद्दावर नेताओं की गैर मौजूदगी सबसे बड़ी खबर बनी है. इनमें एक हैं केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और दूसरे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान. दोनों नेताओं को पार्टी की सबसे पॉवरफुल समितियों से हटा (shivraj singh removal from bjp parliamentary board) दिया गया है. मध्यप्रदेश से शिवराज की (mp cm shivraj singh chouhan)जगह पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया को प्रदेश से जगह मिली है. चुनावी साल से पहले दलित नेता को संसदीय समिति में शामिल कर पार्टी ने एक सियासी संदेश दिया है, हालांकि सियासी गलियारों में बीजेपी संसदीय बोर्ड से शिवराज सिंह चौहान की छुट्टी होने को उनके (side effect of urban election result) राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जा रहा है.

जटिया का पुर्नवास, चुनाव से पहले का संदेश: पार्टी के संसदीय बोर्ड में हुए बदलाव को क्या सीएम शिवराज के राजनीतिक भविष्य से जोड़कर देखा जाए. क्या वाकई इस फैसले से उनके राजनीतिक कद पर कोई असर पड़ेगा. यहां एक बात गौर करने वाली है कि 2013 में जब बीजेपी संसदीय बोर्ड में शिवराज शामिल हुए थे तब बाकी कई महत्वपूर्ण राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ऐसी वरीयता नहीं मिली थी. आज जब वे पार्टी की इन अहम कमेटियों में नहीं है तब उनका ही नाम नहीं बीजेपी शासित राज्य के किसी राज्य के मुख्यमंत्री को संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति में जगह नहीं मिली है.

राज्यपाल की भूमिका निभाने की चाहत रखने वाले जटिया को बड़ा मौका: संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति से सीएम शिवराज की जगह सत्यनारायण जटिया की मौजूदगी को सियासत का कौन सा संदेश माना जाए. लंबे समय से किसी राज्य में राज्यपाल की भूमिका में आने की बाट जोह रहे जटिया को पार्टी ने बड़ा मौका दिया है. वहीं चुनाव से पहले ये दलित समाज के नेता को पार्टी की सबसे पॉवरफुल कमेटी में लाने का संदेश भी यही है. ये संतुलन पहले थावरचंद गहलोत बनाए हुए थे. जानकार मानते हैं कि सीएम शिवराज का नाम कटने से के साथ ज़रुरी गौर करने की बात ये है कि फिर किस मुख्यमंत्री की नाम इस सूची में जुड़ा है. योगी आदित्यनाथ जैसे दमदार मुख्यमंत्री का नाम इस सूची में शामिल न होना ये साबित कर देता है कि सूची में नाम आना और कट जाना पॉवर गेम नहीं है. लिहाजा इसे शिवराज के भविष्य की सियासत से जोड़कर देखा जाना चाहिए.

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संदेश कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए भी: 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड और 15 सदस्यों वाली चुनाव समिति में कर्नाटक और महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर स्पष्ट संदेश दिया गया है. बीएस येदयुरप्पा की मौजूदगी ये बताती है कि पार्टी ने चुनाव के मुहाने पर खड़े कर्नाटक में लंबे वक्त तक नाराज़ रहे नेता का मान रखकर स्थिति संभाल ली है. महाराष्ट्र कोटे से नितिन गडकरी को हटाकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस को जगह दिया जाना संकेत है कि पार्टी में उनका कद बढ़ाया जा रहा है.

निकाय चुनाव नतीजों का साइड इफेक्ट? मध्यप्रदेश में डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव हैं. इससे पहले कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी के सबसे दमदार और मजबूत पारी निकाल देने वाले खिलाड़ी शिवराज ही हैं. कमलनाथ उनपर हमलावर होने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. बीजेपी मुख्यालय से जारी हुई संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति की सूची को कांग्रेस मुख्यालय से भी सोशल मीडिया पर इस कैप्शन के साथ कि शेयर किया गया है- संसदीय बोर्ड से शिवराज की छुट्टी के मायने ये हैं कि एमपी में हाल ही में हुए निकाय और पंचायत चुनाव बीजेपी की हार के रुझान आने शुरु हो गए हैं.

Last Updated : Aug 17, 2022, 6:34 PM IST
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