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Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting: वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का अस्तित्व नहीं होगा खत्म, वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में खरमोर और सोन चिड़िया के संरक्षण पर हुई चर्चा

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Published : Oct 15, 2022, 6:42 AM IST

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में राजधानी भोपाल में वन्य प्राणी बोर्ड की 23वीं बैठक आयोजित हुई. जिसमें दुर्लभ पक्षी खरमोर और सोन चिड़िया के संरक्षण पर बात हुई. फैसला लिया गया कि सरदारपुर और सैलाना की जमीनें डेनोटिफाई करके जंगल मुक्त नहीं की जाएंगी. सीएम शिवराज ने कहा कि सोन चिड़िया और खरमोर के संरक्षण के लिए भी सरकार और समाज मिल कर प्रयास करेंगे तो मध्यप्रदेश की वन्य-प्राणी संरक्षण की पहचान को बनाए रखने में सहयोग मिलेगा. (Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting) (Discussion on Son Chiraya Kharmor Conservation) (Wildlife Sanctuary will not be Denotified) (MP Son Chiraya and Kharmor Extinct) (Great Indian Bustard)

Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting
भोपाल में वन्य प्राणी बोर्ड की 23वीं बैठक

भोपाल। मंत्रालय में आयोजित वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में सरदारपुर के संरक्षण और सैलाना क्षेत्र में दुर्लभ पक्षी खरमोर के संरक्षण के लिए नागरिकों में जागरूक लाने पर बात हुई, वहीं विलुप्त हो रही सोन चिड़िया के संरक्षण पर भी चर्चा हुई. माना जा रहा था की सरदारपुर और सैलाना की जमीनें डेनोटिफाई करके जंगल मुक्त की जाएंगी, लेकिन फिलहाल इस मंजूरी का प्रस्ताव अटक गया है. हालांकि बैठक में वन्य प्राणियों की जगह मनुष्यों की ज्यादा चिंता की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य-प्राणी और मनुष्य दोनों का अस्तित्व और सुरक्षा महत्वपूर्ण है, इस कार्य में ऐसा समन्वय होना चाहिए कि किसी भी पक्ष को हानि न हो. बैठक में आधा दर्जन प्रस्ताव लाए गए, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए आठ चीतों की बात हुई और मुख्यमंत्री ने बोर्ड को बधाई दी और कहा कि कूनो पालपुर में चीतों के आने के बाद अब प्रदेश चीता स्टेट भी बन गया है. वन्य प्राणी बोर्ड की ये 23वीं बैठक थी जिसे सी एम ने संबोधित किया.

Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting
खरमोर और सोन चिड़िया के संरक्षण पर हुई चर्चा

10 सालों से नहीं दिखी सोनचिरैया, खरमोर: मध्यप्रदेश में खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण और वंश वृद्धि की तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका. सोन चिरैया और खरमोर को दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके तहत सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करैरा अभ्यारण में 202 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र एवं घाटीगांव हुकना पक्षी अभ्यारण के लिए 398.92 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित किया गया था, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी यहां सोनचिरैया दिखाई नहीं दी. इसी तरह खरमोन के लिए रतलाम के सैलाना और धार जिले के सरदारपुर में 342 वर्ग किलोमीटर भूमि संरक्षित की गई, खरमोर के लिए सरकार 'खरमोर बताओ 500 रुपए पाओ' योजना भी लेकर आई, लेकिन पिछले दस सालों से इस पक्षी को यहां नहीं देखा गया.

मंजूरी का प्रस्ताव अटका: करीब एक दशक से संरक्षित वन क्षेत्र में खरमोर और सोन चिरैया न दिखाई देने पर सरकार ने दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को जंगल मुक्त करने का फैसला किया था. इसके तहत धार जिले के सरदारपुर और रतलाम जिले के सैलाना की 331 वर्ग किलोमीटर और ग्वालियर के घाटीगांव और शिवपुरी में करैरा की करीब 300 वर्ग किलोमीटर जमीन को जंगल मुक्त करने पर सहमति बनी थी, लेकिन इस मंजूरी का प्रस्ताव अटक गया है. करैरा की भूमि को जंगल मुक्त बनाने के लिए शिवराज सरकार हाल में कैबिनेट में फैसला कर चुकी है.

इंसानी दखल के चलते विलुप्त हुए दोनों पक्षी: वन्यप्राणी विशेषज्ञ सुदेश वाघमारे कहते हैं कि सोनचिरैया और खरमोर दोनों पक्षियों की खासियत यह है कि इन्हें घास के मैदान पंसद हैं. घास के खुले मैदानों में वे रहती हैं और मैदान में ही वे अंडे देती हैं. लेकिन इंसानी दखल और घास के मैदान कम होने के चलते यह पक्षी लगभग विलुप्त हो गए हैं.

(Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting) (Discussion on Son Chiraya Kharmor Conservation) (Wildlife Sanctuary will not be Denotified) (MP Son Chiraya and Kharmor Extinct) (Great Indian Bustard)

भोपाल। मंत्रालय में आयोजित वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में सरदारपुर के संरक्षण और सैलाना क्षेत्र में दुर्लभ पक्षी खरमोर के संरक्षण के लिए नागरिकों में जागरूक लाने पर बात हुई, वहीं विलुप्त हो रही सोन चिड़िया के संरक्षण पर भी चर्चा हुई. माना जा रहा था की सरदारपुर और सैलाना की जमीनें डेनोटिफाई करके जंगल मुक्त की जाएंगी, लेकिन फिलहाल इस मंजूरी का प्रस्ताव अटक गया है. हालांकि बैठक में वन्य प्राणियों की जगह मनुष्यों की ज्यादा चिंता की गई. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्य-प्राणी और मनुष्य दोनों का अस्तित्व और सुरक्षा महत्वपूर्ण है, इस कार्य में ऐसा समन्वय होना चाहिए कि किसी भी पक्ष को हानि न हो. बैठक में आधा दर्जन प्रस्ताव लाए गए, दक्षिण अफ्रीका से लाए गए आठ चीतों की बात हुई और मुख्यमंत्री ने बोर्ड को बधाई दी और कहा कि कूनो पालपुर में चीतों के आने के बाद अब प्रदेश चीता स्टेट भी बन गया है. वन्य प्राणी बोर्ड की ये 23वीं बैठक थी जिसे सी एम ने संबोधित किया.

Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting
खरमोर और सोन चिड़िया के संरक्षण पर हुई चर्चा

10 सालों से नहीं दिखी सोनचिरैया, खरमोर: मध्यप्रदेश में खरमोर और सोन चिरैया के संरक्षण और वंश वृद्धि की तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी संख्या को नहीं बढ़ाया जा सका. सोन चिरैया और खरमोर को दुर्लभ और संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. इसके तहत सोन चिरैया के संरक्षण के लिए करैरा अभ्यारण में 202 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र एवं घाटीगांव हुकना पक्षी अभ्यारण के लिए 398.92 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अधिसूचित किया गया था, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी यहां सोनचिरैया दिखाई नहीं दी. इसी तरह खरमोन के लिए रतलाम के सैलाना और धार जिले के सरदारपुर में 342 वर्ग किलोमीटर भूमि संरक्षित की गई, खरमोर के लिए सरकार 'खरमोर बताओ 500 रुपए पाओ' योजना भी लेकर आई, लेकिन पिछले दस सालों से इस पक्षी को यहां नहीं देखा गया.

मंजूरी का प्रस्ताव अटका: करीब एक दशक से संरक्षित वन क्षेत्र में खरमोर और सोन चिरैया न दिखाई देने पर सरकार ने दो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को जंगल मुक्त करने का फैसला किया था. इसके तहत धार जिले के सरदारपुर और रतलाम जिले के सैलाना की 331 वर्ग किलोमीटर और ग्वालियर के घाटीगांव और शिवपुरी में करैरा की करीब 300 वर्ग किलोमीटर जमीन को जंगल मुक्त करने पर सहमति बनी थी, लेकिन इस मंजूरी का प्रस्ताव अटक गया है. करैरा की भूमि को जंगल मुक्त बनाने के लिए शिवराज सरकार हाल में कैबिनेट में फैसला कर चुकी है.

इंसानी दखल के चलते विलुप्त हुए दोनों पक्षी: वन्यप्राणी विशेषज्ञ सुदेश वाघमारे कहते हैं कि सोनचिरैया और खरमोर दोनों पक्षियों की खासियत यह है कि इन्हें घास के मैदान पंसद हैं. घास के खुले मैदानों में वे रहती हैं और मैदान में ही वे अंडे देती हैं. लेकिन इंसानी दखल और घास के मैदान कम होने के चलते यह पक्षी लगभग विलुप्त हो गए हैं.

(Bhopal Wildlife Board 23rd Meeting) (Discussion on Son Chiraya Kharmor Conservation) (Wildlife Sanctuary will not be Denotified) (MP Son Chiraya and Kharmor Extinct) (Great Indian Bustard)

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