भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में खतरनाक स्क्रब टायफस (Scrub Typhus) बीमारी ने दस्तक दे दी है. अब तक प्रदेश के पांच जिलों में स्क्रब टायफस के मरीज (Scrub Typhus Patients) मिल चुके हैं. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) ने अलर्ट (Alert) जारी कर सभी जिलों में जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही बीमारी के दौरान इलाज को लेकर भी गाइडलाइन (Guideline) जारी की गई है.
प्रदेश में अब तक रायसेन (Raisen), नरसिंहपुर (Narsinghpur), सतना (Satna), दमोह (Damoh) और कटनी (Katni) में इस बीमारी से ग्रस्त मरीज मिले हैं. वहीं इस पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) का कहना है कि सरकार अपनी तरफ से हर बीमारी का इलाज मुहैया कराने के लिए सक्षम है, लोग चिंता नहीं सावधानी पर ध्यान दें.
सरकरा बीमारी का इलाज मुहैया कराने में सक्षम : सारंग
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जुलाई से दिसंबर महीने के बीच यह बीमारी ज्यादा फैलती है. ऐसे में इस दौरान ज्यादा सावधानी रखने की जरूरत है. स्क्रब टायफस बीमारी के फैलने पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि सरकार अपनी तरफ से हर बीमारी का इलाज मुहैया कराने के लिए सक्षम है, लेकिन फिर भी मौसम के अनुसार बीमारियां बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में लोगों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है. स्क्रब टायफस को लेकर अलर्ट जारी है, किस उम्र के व्यक्ति को कितनी दवा दी जाए इसकी जानकारी भी दी गई है.
तीस प्रतिशत है मृत्यु दर
जारी निर्देश में कहा गया है कि 'यह बीमारी चूहे, छछुंदर, गिलहरी आदि से फैलती है. इसलिए इनके द्वारा कुतरे गए फल और खाए हुए खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए. सामान्य तौर पर चूहों के शरीर पर पाए जाने वाले जीवाणु ओरिएंटिया सुसुगैमुशी के कारण यह बीमारी होती है. इस बीमारी में सामान्य बुखार के साथ ही शरीर में छोटे-छोटे दाने होते हैं. साथ ही सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, उल्टी होना समेत अन्य लक्षण शामिल हैं. ऐसा होने पर लोगों को तुरंत उपचार कराना चाहिए. चिंता वाली बात यह है कि इस बीमारी की मृत्यु दर 30 फीसदी है'.
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ट्रीटमेंट गाइडलाइन जारी
स्क्रब टायफस को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से बीमारी के इलाज को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है. इस गाइडलाइन में किसको, कौन सी दवाई कितनी मात्रा में देनी है इसका जिक्र किया गया है.
व्यस्क : डॉक्सीसिलीन 200 एमजी, प्रतिदिन के साथ एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी (कम से कम पांच दिन)
बच्चे : डॉक्सीसिलीन 4.5 एमजी प्रतिदिन के हिसाब से, एजिथ्रोमाइसिन 10 एमजी (पांच दिन)
गर्भवती महिलाएं - एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी (कम से कम पांच दिन)
लक्षण और इस तरह करें बचाव
जिस स्थान पर कीट ने काटा होता है, वहां पर त्वचा का रंग गहरा हो जाता है, और त्वचा पर पपड़ी पड़ सकती है. कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते भी नजर आ सकते हैं. समस्या बढ़ने के साथ ही रोगियों में भ्रम से लेकर कोमा तक की समस्या भी हो सकती है. यदि कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें. ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढंके रह सकें. इस रोग से सुरक्षित रहने के लिए बचाव ही सबसे प्रभावी तरीका है.
30 सितंबर तक शत प्रतिशत वैक्सीनेशन: सारंग
मध्य प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर भी चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बयान दिया. उन्होंने कहा, 30 सितंबर तक पहला डोज सबको लग सके इसके लिए कार्ययोजना बन गई है. 17 सितंबर को महावैक्सीनेशन अभियान चलाएंगे. मोबाइल वैन के जरिए घर-घर जाकर भी वैक्सीन लगाई जा रही है.