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1 जुलाई से होंगे ट्रांसफर, प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी का पेंच फंसाया, कांग्रेस बोली 'दलाली' की मिलेगी खुली छूट

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Published : Jun 30, 2021, 11:03 PM IST

मध्यप्रदेश में गुरूवार से तबादले शुरू हो जाएंगे. पिछली कांग्रेस सरकार पर तबादला उद्योग चलाने का आरोप लगाने वाली बीजेपी ने पर अब कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस ने तबादले में मंत्री और प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी का पेंच फंसाने को लेकर कांग्रेस का कहना है कि सीएम शिवराज सिंह ने ऐसा करके अपने मंत्रियों को दलाली की खुली छूट दे दी है.

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1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

भोपाल. मध्य प्रदेश में बीते 2 साल से तबादला होने का इंतजार कर रहे लोगों के 1 जुलाई गुरूवार से से तबादले किए जाएंगे. प्रदेश में तबादलों (Transfer) पर लगी रोक गुरूवार से हट जाएगी. 1 जुलाई से लगभग सभी सरकारी विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले शुरू हो जाएंगे. विभागीय स्तर पर मंत्री और स्थानीय स्तर पर प्रभारी मंत्री की मंजूरी से 31 जुलाई तक तबादले किए जा सकेंगे.

1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी

प्रदेश में नियमित, स्थाई, संविदा, दैनिक वेतन भोगी, निगम में काम कर रहे लगभग 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं. कोरोना की वजह से यह सभी पिछले 2 साल से तबादले नहीं हो सके हैं, हालांकि इस दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कई बार तबादले की तारीख का ऐलान किया लेकिन कोरोना के दौर में तबादले नहीं हो सके थे. सीएम ने बीते हफ्ते ही तबादले करने को मंजूरी दे दी थी.

1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

मानवीय आधार पर होंगे तबादले

मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि 1 जुलाई से 31 जुलाई तक प्रदेश में होने वाले तबादले मानवीय संवेदनाओं के आधार पर ही तबादले होंगे.हालांकि अभी तक जरूरी तबादलों की ही अनुमति मिली हुई थी, लेकिन अब 1 जुलाई से सरकार की नई तबादला नीति जिसमें विभागीय स्तर पर मंत्री और स्थानीय स्तर पर प्रभारी मंत्री की मंजूरी से ही तबादले हो सकेंगे.

नई ट्रांसपर पॉलिसी में यह प्रावधान

नई तबादला नीति के मुताबिक पहले अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पदों को भरा जाएगा. कोरोना से गंभीर बीमार होने वालों को प्राथमिकता मिलेगी यदि उनका ट्रांसफर हो रहा होगा तो उनका तबादला रोक भी दिया जाएगा. अभी यह छूट कैंसर या ओपन हार्ट सर्जरी की बीमारियों में नियमित जांच कराने वाले कर्मचारियों को मिलती है.

  • अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्तों को पहले भरा जाएगा. यहां 3 साल की सर्विस होने के बाद ही ट्रांसफर किए जाएंगे।
  • जिन अधिकारियों व कर्मचारियों का रिटायरमेंट 1 साल के भीतर होना है, उनका ट्रांसफर नहीं होगा।
  • पति-पत्नी का एक साथ ट्रांसफर स्वयं के व्यय पर होगा.
  • जिनके आपराधिक प्रकरण या विभागीय जांच लंबित है, उनके ट्रांसफर नहीं होंगे.
1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

डीएसपी से नीचे के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड करेगा

नई नीति के अनुसार डीएसपी से नीचे के पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड करेगा. जिले में प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर पुलिस अधीक्षक पोस्टिंग करेंगे. डीएसपी और उनसे ऊपर के तबादले गृह मंत्री के अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री समन्वय से होंगे. तबादलों को लेकर कई नए नियम भी बनाए गए हैं. प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के तबादले विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होंगे.

  • राज्य जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों का जिले में तबादला कलेक्टर के जरिए लेकिन प्रभारी मंत्री का अनुमोदन जरूरी.
  • राज्य संवर्ग के विभाग अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का तबादला समन्वय से होगा सीएम का अनुमोदन जरूरी.
  • राज्य प्रशासनिक सेवा के तबादले प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होंगे.
  • सेवानिवृत्ति को 1 साल या उससे कम समय बचा है तो ऐसे लोगों का तबादला नहीं होगा.

कांग्रेस ने सीएम पर लगाए तबादलों में लूट करने के आरोप

तबादलों में मंत्री और प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी का पेंच फंसाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार और सीएम शिवराज सिंह पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि शिवराज सरकार के मंत्री लगातार उनके अधिकार कम किए जाने से नाराज हैं. उनका मांग थी कि उन्हें उनके प्रभार वाले जिलों में फ्री हैंड दिया जाए. इसलिए सीएम शिवराज सिंह ने अपने मंत्रियों को 'दलाली' की खुली छूट दे दी है. कांग्रेस का आरोप है की नर्मदा घाटी विकास के लिए बुलाई गई निविदा में मुख्यमंत्री ने डेढ़ हजार करोड़ रुपए का खेल किया है और ट्रांसपर में उनके मंत्री भी अब यही खेल उनके मंत्री भी खेलेंगे.

  • कांग्रेस का आरोप है कि मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में मंत्री की मंजूरी के बगैर ट्रांसफर नहीं होगा, इसके जरिए मंत्री मोटी रकम खाएंगे.
  • सीएम शिवराज पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने एमबीडीए की निविदा में 23% की बढ़ोतरी बता रही है मुख्यमंत्री प्रदेश को लूटने में लगे है.

बीजेपी बोली दागियों पर गिरेगी गाज

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का कहना है कि हमारी नई ट्रांसपर नीति में मंत्रियों के अनुमोदन के बाद ही तबादला हो सकेगा. कांग्रेस ने 1 साल तक मंत्रालय को दलाली का अड्डा बना रखा था, लेकिन नई नीति के लागू होने से भ्रष्ट, लापरवाह और दागी अधिकारियों पर भी गाज गिरेगी.

कर्मचारी संगठन की मांग ऑनलाइन हो तबादला

प्रदेश सरकार की नई तबादला नीति को लेकर कर्मचारी संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि बीजेपी सरकार को ऑनलाइन तबादले करके ईमानदारी दिखानी चाहिए. कर्मचारी नेता लंबे समय से तबादला नीति को ऑनलाइन करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की इस तबादला नीति में कई खामियां हैं और तबादलों को ऑनलाइन न किए जाना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है.

कितने और कैसे हो सकते हैं तबादले

  • विभाग में 200 कर्मचारी होने पर 20%.
  • 201 से 2000 कर्मी होने पर 10% .
  • 2 हजार से ज्यादा होने पर 5% ट्रांसफर किए जा सकते हैं.

तबादलों के पीछे मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी होने को लेकर जहां कांग्रेस 'दलाली' या बड़ा 'खेल' करने के आरोप लगा रही है वहां मंत्रियों को सरकार ने उनके प्रभार वाले जिले भी बांच दिए हैं. ऐसे में तबादलों में मंत्रियों को फ्री हैंड कर देना बीजेपी सरकार को भी कांग्रेस के करीब ले जाकर खड़ा कर सकता है.

भोपाल. मध्य प्रदेश में बीते 2 साल से तबादला होने का इंतजार कर रहे लोगों के 1 जुलाई गुरूवार से से तबादले किए जाएंगे. प्रदेश में तबादलों (Transfer) पर लगी रोक गुरूवार से हट जाएगी. 1 जुलाई से लगभग सभी सरकारी विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले शुरू हो जाएंगे. विभागीय स्तर पर मंत्री और स्थानीय स्तर पर प्रभारी मंत्री की मंजूरी से 31 जुलाई तक तबादले किए जा सकेंगे.

1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी

प्रदेश में नियमित, स्थाई, संविदा, दैनिक वेतन भोगी, निगम में काम कर रहे लगभग 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं. कोरोना की वजह से यह सभी पिछले 2 साल से तबादले नहीं हो सके हैं, हालांकि इस दौरान सीएम शिवराज सिंह ने कई बार तबादले की तारीख का ऐलान किया लेकिन कोरोना के दौर में तबादले नहीं हो सके थे. सीएम ने बीते हफ्ते ही तबादले करने को मंजूरी दे दी थी.

1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

मानवीय आधार पर होंगे तबादले

मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि 1 जुलाई से 31 जुलाई तक प्रदेश में होने वाले तबादले मानवीय संवेदनाओं के आधार पर ही तबादले होंगे.हालांकि अभी तक जरूरी तबादलों की ही अनुमति मिली हुई थी, लेकिन अब 1 जुलाई से सरकार की नई तबादला नीति जिसमें विभागीय स्तर पर मंत्री और स्थानीय स्तर पर प्रभारी मंत्री की मंजूरी से ही तबादले हो सकेंगे.

नई ट्रांसपर पॉलिसी में यह प्रावधान

नई तबादला नीति के मुताबिक पहले अनुसूचित क्षेत्रों के खाली पदों को भरा जाएगा. कोरोना से गंभीर बीमार होने वालों को प्राथमिकता मिलेगी यदि उनका ट्रांसफर हो रहा होगा तो उनका तबादला रोक भी दिया जाएगा. अभी यह छूट कैंसर या ओपन हार्ट सर्जरी की बीमारियों में नियमित जांच कराने वाले कर्मचारियों को मिलती है.

  • अनुसूचित क्षेत्रों में रिक्तों को पहले भरा जाएगा. यहां 3 साल की सर्विस होने के बाद ही ट्रांसफर किए जाएंगे।
  • जिन अधिकारियों व कर्मचारियों का रिटायरमेंट 1 साल के भीतर होना है, उनका ट्रांसफर नहीं होगा।
  • पति-पत्नी का एक साथ ट्रांसफर स्वयं के व्यय पर होगा.
  • जिनके आपराधिक प्रकरण या विभागीय जांच लंबित है, उनके ट्रांसफर नहीं होंगे.
1 जुलाई से होंगे ट्रांसपर

डीएसपी से नीचे के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड करेगा

नई नीति के अनुसार डीएसपी से नीचे के पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले पुलिस स्थापना बोर्ड करेगा. जिले में प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर पुलिस अधीक्षक पोस्टिंग करेंगे. डीएसपी और उनसे ऊपर के तबादले गृह मंत्री के अनुमोदन के बाद मुख्यमंत्री समन्वय से होंगे. तबादलों को लेकर कई नए नियम भी बनाए गए हैं. प्रथम व द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों के तबादले विभागीय मंत्री के अनुमोदन से होंगे.

  • राज्य जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों का जिले में तबादला कलेक्टर के जरिए लेकिन प्रभारी मंत्री का अनुमोदन जरूरी.
  • राज्य संवर्ग के विभाग अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का तबादला समन्वय से होगा सीएम का अनुमोदन जरूरी.
  • राज्य प्रशासनिक सेवा के तबादले प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से होंगे.
  • सेवानिवृत्ति को 1 साल या उससे कम समय बचा है तो ऐसे लोगों का तबादला नहीं होगा.

कांग्रेस ने सीएम पर लगाए तबादलों में लूट करने के आरोप

तबादलों में मंत्री और प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी का पेंच फंसाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश की बीजेपी सरकार और सीएम शिवराज सिंह पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि शिवराज सरकार के मंत्री लगातार उनके अधिकार कम किए जाने से नाराज हैं. उनका मांग थी कि उन्हें उनके प्रभार वाले जिलों में फ्री हैंड दिया जाए. इसलिए सीएम शिवराज सिंह ने अपने मंत्रियों को 'दलाली' की खुली छूट दे दी है. कांग्रेस का आरोप है की नर्मदा घाटी विकास के लिए बुलाई गई निविदा में मुख्यमंत्री ने डेढ़ हजार करोड़ रुपए का खेल किया है और ट्रांसपर में उनके मंत्री भी अब यही खेल उनके मंत्री भी खेलेंगे.

  • कांग्रेस का आरोप है कि मंत्रियों के प्रभार वाले जिलों में मंत्री की मंजूरी के बगैर ट्रांसफर नहीं होगा, इसके जरिए मंत्री मोटी रकम खाएंगे.
  • सीएम शिवराज पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने एमबीडीए की निविदा में 23% की बढ़ोतरी बता रही है मुख्यमंत्री प्रदेश को लूटने में लगे है.

बीजेपी बोली दागियों पर गिरेगी गाज

कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी का कहना है कि हमारी नई ट्रांसपर नीति में मंत्रियों के अनुमोदन के बाद ही तबादला हो सकेगा. कांग्रेस ने 1 साल तक मंत्रालय को दलाली का अड्डा बना रखा था, लेकिन नई नीति के लागू होने से भ्रष्ट, लापरवाह और दागी अधिकारियों पर भी गाज गिरेगी.

कर्मचारी संगठन की मांग ऑनलाइन हो तबादला

प्रदेश सरकार की नई तबादला नीति को लेकर कर्मचारी संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. कर्मचारी नेताओं का कहना है कि बीजेपी सरकार को ऑनलाइन तबादले करके ईमानदारी दिखानी चाहिए. कर्मचारी नेता लंबे समय से तबादला नीति को ऑनलाइन करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की इस तबादला नीति में कई खामियां हैं और तबादलों को ऑनलाइन न किए जाना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है.

कितने और कैसे हो सकते हैं तबादले

  • विभाग में 200 कर्मचारी होने पर 20%.
  • 201 से 2000 कर्मी होने पर 10% .
  • 2 हजार से ज्यादा होने पर 5% ट्रांसफर किए जा सकते हैं.

तबादलों के पीछे मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों की मंजूरी होने को लेकर जहां कांग्रेस 'दलाली' या बड़ा 'खेल' करने के आरोप लगा रही है वहां मंत्रियों को सरकार ने उनके प्रभार वाले जिले भी बांच दिए हैं. ऐसे में तबादलों में मंत्रियों को फ्री हैंड कर देना बीजेपी सरकार को भी कांग्रेस के करीब ले जाकर खड़ा कर सकता है.

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