भोपाल। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) के आदेश पर एक बार फिर भोपाल की गैस पीड़ित बस्तियों (Bhopal gas affected areas) में पानी के नमूने इकट्ठे किए गए. यहां मौजूद बस्तियों से पानी इकट्ठा करने का काम 2 दिन और चलेगा. पहले दिन 17 बस्तियों से भूजल एकत्र किया गया. इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी. भोपाल गैस त्रासदी को करीब 38 साल बीत चुके हैं और इसके बावजूद अभी तक लोग जहरीले रासायनों की चपेट में आने की आशंका से डर रहे हैं.
2012 में हुआ था समिति का गठन: यह समिति भूजल प्रादूषित बस्तियों में साफ पानी मुहैया कराने, इन बस्तियों में सीवेज निकासी की उत्तम व्यवस्था की देखरेख के लिए बनी थी. भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन (Bhopal Group for Information and Action) ने समिति बनने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस समिति का गठन 2012 में किया था. समिति में अध्यक्ष और सदस्य सचिव, मध्य प्रदेश के विधिक सेवा प्राधिकरण, भोपाल नगर निगम कमिश्नर, कमिश्नर गैस राहत, सदस्य सचिव मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं याचिकर्ता हैं.
29 नई बस्तियों में यूका का प्रदूषण फैलने की आशंका: जांच का कार्य 21 एवं 22 जुलाई को भी चलेगा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 42 भूजल बस्तियों में सप्लाई में दिए जा रहे पानी की जांच की जाएगी. गैस पीड़ित संगठनों द्वारा 29 नई बस्तियों में यूका (Union Carbide) का प्रदूषण फैलने की आशंका जताई गई है. इन 29 बस्तियों में भी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Madhya Pradesh Pollution Control Board) केमिकल की जांच करेंगी. रचना ढींगरा ने बताया कि विजिट के उपरांत समिति सभी मुद्दों पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को पेश करेंगी.
(Bhopal Gas Tragedy) (Water samples in Bhopal gas affected areas) (Monitoring committee visited 15 groundwater affected areas)