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Bhopal Gas Tragedy फिर होगी SC में भोपाल गैस कांड की सुनवाई, संगठनों ने लगाए भेदभाव के आरोप, कम मौतें दिखाने से आक्रोश

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Published : Aug 27, 2022, 4:54 PM IST

12 साल बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में भोपाल गैस कांड को लेकर सुनवाई होगी. 29 अगस्त को यह सुनवाई होना है. गैस पीड़ित संगठनों ने इस सुनवाई का स्वागत किया है. दिसंबर 1984 में राजधानी में भीषण गैस कांड हुआ था. गैस पीड़ितों ने राज्य सरकार पर उनकी अनदेखी के आरोप लगाए हैं. गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित सुधार याचिका की सुनवाई शुरू होनी है, लेकिन सरकार गैस कांड की वजह से हुई मौतों के आंकड़ों को कम करके प्रस्तुत करता रहा है. इसके चलते गैस पीड़ितों को उनके हक का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. Bhopal gas tragedy, Hearing again in SC, Bhopal gas victims angry, Why Showing fewer deaths

Bhopal Gas Tragedy
फिर होगी SC में भोपाल गैस कांड की सुनवाई

भोपाल। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा कि संगठन भी इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ याचिकाकर्ता है. हम अतिरिक्त मुआवज़े के रूप में 646 अरब रुपए माँग रहे हैं. जबकि सरकारें मात्र 96 अरब रुपए मांग रही हैं. अब वक़्त आ गया है कि अपने कानूनी अधिकारों पर हो रहे इस हमले के खिलाफ भोपाल के गैस पीड़ित फिर से सक्रिय हो जाएं. सरकारें 93% गैस पीड़ितों की सेहत में हुए नुकसान को अस्थाई मान रही है

फिर होगी SC में भोपाल गैस कांड की सुनवाई

गैस कांड में 23 हजार मौतें होने का दावा : इस मामले में भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन रचना ढींगरा का कहना है कि सरकार मौतों के वास्तविक आंकड़ों को पेश नहीं कर रही है. वैज्ञानिक रिपोर्ट और सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि मौत का सही आंकड़ा 23,000 से ज्यादा है और गैस लगने की वजह से बहुसंख्यक पीड़ितों के स्वास्थ्य को अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई नुकसान पहुचा है. वहीं, गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव का कहना है कि यदि राज्य और केंद्र की सरकारें सुनवाई से पहले वादे के अनुसार सुधार याचिका में आंकड़े नहीं सुधारती है तो गैस पीड़ितों को इंसाफ मिलना नामुमकिन हो जाएगा.

Bhopal Gas Tragedy
फिर होगी SC में भोपाल गैस कांड की सुनवाई

हाईकोर्ट की केन्द्र को अंतिम चेतावनी, भोपाल गैस पीड़ितों का हो सही इलाज

गैस रिसाव का असर बच्चों पर भी : गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि सरकार गैस पीड़ितों के साथ भेदभाव कर रही है. वैज्ञानिक रिपोर्टों में भी स्पष्ट हो चुका है कि गैस पीड़ितों के बच्चे मानसिक रूप से जहरीली गैस के कारण विक्षिप्त हैं और उनका सही विकास नहीं हो पा रहा है. लिहाजा सरकार सुप्रीम कोर्ट में मौत के सही आंकड़े पेश करें और पीड़ितों को जो राशि राहत के रूप में मिलनी चाहिए, वह फौरन मुहैया कराएं. Bhopal gas tragedy, hearing again in SC, Bhopal gas victims angry, Why Showing fewer deaths

भोपाल। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा कि संगठन भी इस मामले में राज्य और केंद्र सरकारों के साथ याचिकाकर्ता है. हम अतिरिक्त मुआवज़े के रूप में 646 अरब रुपए माँग रहे हैं. जबकि सरकारें मात्र 96 अरब रुपए मांग रही हैं. अब वक़्त आ गया है कि अपने कानूनी अधिकारों पर हो रहे इस हमले के खिलाफ भोपाल के गैस पीड़ित फिर से सक्रिय हो जाएं. सरकारें 93% गैस पीड़ितों की सेहत में हुए नुकसान को अस्थाई मान रही है

फिर होगी SC में भोपाल गैस कांड की सुनवाई

गैस कांड में 23 हजार मौतें होने का दावा : इस मामले में भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एन्ड एक्शन रचना ढींगरा का कहना है कि सरकार मौतों के वास्तविक आंकड़ों को पेश नहीं कर रही है. वैज्ञानिक रिपोर्ट और सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि मौत का सही आंकड़ा 23,000 से ज्यादा है और गैस लगने की वजह से बहुसंख्यक पीड़ितों के स्वास्थ्य को अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई नुकसान पहुचा है. वहीं, गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव का कहना है कि यदि राज्य और केंद्र की सरकारें सुनवाई से पहले वादे के अनुसार सुधार याचिका में आंकड़े नहीं सुधारती है तो गैस पीड़ितों को इंसाफ मिलना नामुमकिन हो जाएगा.

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गैस रिसाव का असर बच्चों पर भी : गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि सरकार गैस पीड़ितों के साथ भेदभाव कर रही है. वैज्ञानिक रिपोर्टों में भी स्पष्ट हो चुका है कि गैस पीड़ितों के बच्चे मानसिक रूप से जहरीली गैस के कारण विक्षिप्त हैं और उनका सही विकास नहीं हो पा रहा है. लिहाजा सरकार सुप्रीम कोर्ट में मौत के सही आंकड़े पेश करें और पीड़ितों को जो राशि राहत के रूप में मिलनी चाहिए, वह फौरन मुहैया कराएं. Bhopal gas tragedy, hearing again in SC, Bhopal gas victims angry, Why Showing fewer deaths

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