भोपाल। कोरोना के कारण देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है, जिससे गरीब और मजदूर वर्ग के लिए रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया. इन परिस्थितियों में केंद्र और राज्य सरकार ने कई तरह की राहत घोषणाएं की हैं. एक तरफ जहां जनधन योजना की खाता धारक महिलाओं को केंद्र सरकार 500 रुपए दे रही है, तो दूसरी तरफ प्रदेश सरकार मजदूर कार्ड पर 1000 की मदद कर रही है. वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने राशन कार्ड धारकों के लिए 3 महीने का अग्रिम राशन दे दिया है. लेकिन यह तमाम मदद ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं.
भोपाल में एक बड़ा तबका ऐसा है, जो इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहा है. योजनाओं के लिए मापदंडों में तो व्यक्ति आ रहा है. लेकिन लालफीताशाही और दूसरे का कारणों से योजनाओं के लिए पात्र होने के बाद भी उसके पास कोई दस्तावेज नहीं है. जिससे इन गरीब मजदूरों को परेशानियों का सामना हर दिन करना पड़ता है. प्रदेश सरकार की तरफ से मार्च, अप्रैल और मई का राशन दिया गया है. राशन कार्ड में दर्ज प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से 4 किलो राशन मिल रहा है इस हिसाब से 3 महीने के लिए एक व्यक्ति को 12 किलो राशन मिलना है लेकिन 3 महीने तक सिर्फ 12 किलो राशन बहुत कम नजर आता है. जबकि केंद्र सरकार की 500 रुपए की राहत राशि भी महीनेभर के लिए नाकाफी नजर आती है. प्रदेश सरकार की तरफ से दिए जाने वाले 1000 रुपए भी जल्द खातों में पहुंचने की उम्मीद है. लेकिन लॉकडाउन लंबा चलता है तो स्थितियां बिगड़ेगीं.
मजदूरों को हो रही सबसे ज्यादा परेशानी
भोपाल की एक महिला मजदूर दुर्गा जिनके जनधन खाते में 500 रुपए तो आ गए. दुर्गा कहती हैं 500 रुपए से क्या होता है. जैसे तैसे नमक रोटी खाकर चला रहे हैं और ज्यादा मदद होनी चाहिए। 500 में क्या हो होगा, लॉकडाउन के कारण महंगाई तो ऐसी हो गई है कि 120 और 130 रूपए का तेल ही आ रहा है. 500 रूपए तो दो-तीन दिन में ही खत्म हो जाएंगे. इससे क्या होना है. कुछ यही कहा मजदूर सेवालाल ने कहते है राशन कार्ड पर 3 महीने का राशन मिला है. परिवार में 4 लोग हैं, इस हिसाब से 48 किलो राशन मिला. लेकिन इतने राशन से परिवार का गुजारा नहीं होगा, काम धंधा सब बंद है.
नहीं बना मजदूरी कार्ड
मजदूर सुभाष बोरसे कहते हैं कि मजदूर कार्ड किसी के पास है, किसी के पास नहीं है. अभी सरकार बदलने पर बीच में बंद कर दिया गया था. मजदूर कार्ड लोगों के पास पहुंचे भी नहीं हैं. 1 हजार रुपए मिलेंगे भी तो उसमें गुजारा कैसे होगा. 200 से 300 रोज कमाने वाले आदमी का एक हजार में अपना खर्चा नहीं चल सकता. वृद्धावस्था पेंशन की हितग्राही लक्ष्मी रानी कहती है कि अभी पिछले महीने पेंशन मिली थी. इस महीने कुछ नहीं मिला कह तो रहे थे कि 5-5 हजार आएंगे, लेकिन एक हजार रुपए भी नहीं आए. मजदूरी कर घर चलाने वाली जूही सिंह बताती हैं कि राशन कार्ड नहीं है. कार्ड बनवाने के लिए एक दो बार कलेक्टर ऑफिस गई. कह दिया कि निरस्त हो गया है. हमारा वोटर कार्ड यही का है, हम यही वोट करते हैं फिर भी राशन कार्ड नहीं बना. किरण देवी बताती है कि हमारे पति मजदूरी करते हैं. लेकिन उनका मजदूरी कार्ड आज तक नहीं बना है.
राजधानी भोपाल के इन मजदूरों की बात सुनकर इतना तो तय है कि लॉकडाउन का ये वक्त इनके लिए सबसे कठिन बीत रहा है. अगर लॉकडाउन और आगे बढ़ा तो इनकी मुसीबतें भी बढ़ेंगी. क्योंकि जो दिनभर मजदूरी करके दो पैसे कमाते थे वो पिछले कई दिनों बंद हैं. पल-पल बीतता ये वक्त इन मजदूरों के लिए परेशानियां बढ़ाता जा रहा है.