खंडवा। चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना. किशोर कुमार का यह अमर गीत गाते हुए बप्पी लहरी की आंखे बरस पड़ी थी. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिए जाने वाले किशोर अलंकरण सम्मान पर अपने मामा किशोर को याद करते हुए वर्ष 2008 में बप्पी दा ने यह गीत गाया था. प्रदेश सरकार ने बप्पी दा को 2008 में किशोर कुमार सम्मान से अलंकृत किया था.
बप्पी लहरी ने नम आंखों से किशोर दा को किया याद
बप्पी लहरी के निधन की खबर से खंडवा के संगीत प्रेमियाें में मातम छा गया है. दरअसल बप्पी लहरी का खंडवा से गहरा रिश्ता था. बप्पी लहरी हरफन मौला कलाकर किशोर कुमार के भांजे थे।. बप्पी लहरी को किशोर दा ही संगीत की दुनिया में लेकर आए थे. वर्ष 2008 में बप्पी लहरी को किशोर कुमार सम्मान दिया गया. वह अपनी बेटी के साथ खंडवा पहुंचे, यहां किशोर कुमार की समाधी के दर्शन करने के दौरान ही उनकी आंखे नम हो गई थी. उन्होने कहा था कि अपने गुरु की समाधी पर आकर वे धन्य हो गए. वे आज जो कुछ भी हैं, वह किशोर दा की वजह से ही हो पाया है.
बप्पी लहरी को किशोर अलंकरण से किया गया सम्मानित
बप्पी लहरी को पुलिस लाइन में किशोर अलंकरण समारोह में सम्मानित किया गया. उन्होने अपने मामा व गुरु किशोर दा का गीत कभी अलविदा न कहना गाया था. यह गीत गाते हुए बप्पी लहरी की आंखे छलक पड़ी थी. इस दौरान उनकी बेटी भी अपने आंसू रोक नहीं पाई. इस अवसर पर उन्होने कहा था कि वे खंडवा के भांजे हैं. इस भांजे को जब भी खंडवा वाले याद करेगें, वे बिना किसी रुपयों के दौडे चले आएंगे. मामा को याद कर रो पड़े थे बप्पी लहरी