श्योपुर । कोरोना ने इंसानी ज़िन्दगी के साथ साथ सामाजिक आर्थिक ताने बाने को भी नुकसान पहुंचाया है. अब कोरोना के नए वेरिएंट का साया भारत आने वाले खास मेहमान अफ्रीकी चीते पर भी पड़ता दिख रहा है. दक्षिण अफ्रीका से लेकर भारत तक ओमीक्रॉन (omicron in mp) की दस्तक के बाद मध्यप्रदेश के श्योपुर के कूनों पालपुर अभ्यारण्य में लाए जा रहे अफ्रीकी चीतों (african cheetahs in sheopur) की बसाहट पर खतरा मंडरा रहा है (Kuno waits get longer). वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ओमीक्रॉन के खतरे को देखते हुए जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते तब तक अफ्रीकी चीतों को यहां लाना मुमकिन नहीं होगा. पहले चरण में 10-15 चीते लाने का समझौता हुआ था. अगले 5 साल में 40-50 चीतों को लाया जाना था. अफ्रीकी चीता International Union for Conservation of Nature's (IUCN) की रेड लिस्ट में है जिसका मतलब है कि ये विलुप्तप्राय (Endangered African Cheetah) है. अफ्रीकी चीतों की संख्या घटते घटते 7000 तक पहुंच चुकी है.
पूरी हो गई थी अफ्रीकन चीतों की शिफ्टिंग की तैयारियां
मध्यप्रदेश के श्योपुर के कूनो पालपुर अभ्यारण्य को अफ्रीकी चीतों का नया घर चुने जाने के बाद उनके स्वागत की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं.शुरआत में 10 चीतों को लाया जाना है जिसमें 5 मादा चीता होनी हैं. वाइल्ड लाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Wildlife Institute of India, WII) ने चीता के री-इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट को तैयार किया था.सुप्रीम कोर्ट ने प्रयोग के तौर पर अफ्रीकी चीतों को बसाने का आदेश दिया था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने अफ्रीकी चीता के पनर्वास के लिए National Tiger Conservation Authority (NTCA) की मदद करने के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इसके बाद कूनों पालपुर अभ्यारण्य में तैयारियां शुरू हुईं जो अब पूरी होने पर है.वनकर्मियों के मुताबिक चीतों के लिए बाड़े का निर्माण कर लिया गया है.अफ्रीकी चीतों को बसाने के लिए 14 करोड़ का बजट तय किया गया था. National Tiger Conservation Authority (NTCA) की देखरेख में इस बजट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अफ्रीकी चीतों के लिए कूनो पालपुर अभ्यारण्य क्यों?
चंबल क्षेत्र में पड़ने वाला कूनो करीब 750 वर्ग किमी में फैला है जो चीतों के लिए अनुकूल वातावरण पेश करता है. हर चीते को 10 से 20 वर्ग किमी का क्षेत्र चाहिए, इस लिहाज़ से कूनो उनके प्रसार के लिए पर्याप्त जगह देता है.कूनो में 27575 चीतल, 27500 सांभर, 5561 नीलगाय, 3762 जंगली सूअर, 75883 चिंकारा, 2771 काले हिरण, 660 हिरण, 8989 लंगूर और 20,000 से अधिक दूसरे जानवर जैसे भालू, जंगली बिल्ली, खरगोश, पैंथर मौजूद हैं. इसके अलावा यहां 300 से अधिक प्रजातियों के पक्षी भी हैं जो चीता के लिए शिकार की कमी नहीं होने देंगे. पर्यटकों के लिए भी ये आकर्षण का केंद्र होंगे. कूनो पालपुर अभ्यारण्य में जीव जंतुओं के अलावा घना जंगल और आकर्षण पहाड़िया और झरने भी मौजूद हैं. इस अभ्यारण्य का ज्यादा एरिया समतल है साथ ही घास और पेड़ पौधे भी घने हैं.यही वजह है कि इसे अफ्रीकी चीता के लिए इसे उपयुक्त माना जा रहा है. इसी साल 26 अप्रैल को एक्सपर्ट की टीम WWI की टीम के वैज्ञानिकों के साथ दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क(Kuno National Park) आई थी और उसने इस जगह को अफ्रीकी चीतों के लिए उपयुक्त बताया था. WWI की टीम ने मध्यप्रदेश के कई नेशनल पार्क का दौरा किया था जिसमें सागर का नौरादेही अभ्यारण्य,शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क शामिल है लेकिन कूनो को ही चीतों के लिए आदर्श माना गया.आपको बता दें कि श्योपुर जिले के राष्ट्रीय कूनों पालपुर अभ्यारण्य को एशियाई शेरों के दूसरे घर के रुप में विकसित किया गया था. सारी तैयारियों के बाद यहां एशियाई शेर तो नहीं लाए जा सके लेकिन अफ्रीकी चीतों की शिफ्टिंग का रास्ता साफ हो गया.
रणथंभौर-कूनो- पालपुर को मिलाकर बनेगा टूरिज़्म सर्किट
अफ्रीकी चीतों के कूनो आने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.आपको बता दें कि कूनो-पालपुर की सीमा राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगती है. इसे देखते हुए राजस्थान आने वाले देसी और विदेशी पर्यटकों को मध्य प्रदेश तक लाने के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान की सरकार कूनो पालपुर और रणथंभौर को टूरिज्म सर्किट बनाने जा रही हैं. ऐसा होने से मध्यप्रदेश का कूनो पालपुर नेशनल पार्क एक बड़ा पर्यटन का केंद्र बन जाएगा. इसके साथ ही देश में 70 साल बाद चीतों के पालपुर- कूनो में आने से बड़ी संख्या में पर्यटक इनका दीदार करने यहां पहुंचेंगे.
क्यों खास हैं दक्षिण अफ्रीकी चीते (Southern African cheetah)?
आइए जानते हैं क्या है साउथ अफ्रीकन चीता की खासियतें-
1. धरती पर दौड़ने वाला सबसे तेज़ जानवर
2. अधिकतम रफ्तार 100 किलोमीटर/घंटे
3.सबसे लंबी छलांग मारने वाला जानवर
4. शिकार को सेकंडों में पकड़ सकता है
5.नर चीता 168 से 200 सेमी लंबा
6.मादा चीता 162 से 213 सेमी लंबी
7.पीले या गोल्डन रंग का घने रोंवे(fur) वाला शरीर
8.चौड़े जबड़े और भूरी मूंछें
9. जर्मन पशुविज्ञानी (naturalist) जोहान क्रिश्चियन डेनियल वॉन श्रेबर ने पहली बार साउथ अफ्रीकन चीता के बारे में बताया
साउथ अफ्रीकन चीते का इंतज़ार हुआ लंबा
अब जबकि इस शानदार जानवर के भारत आने का समय नज़दीक आया तो कोरोना वेरिएंट ओमीक्रॉन का साया पड़ गया. फिलहाल श्योपुर के डीएफओ का तो यही कहना है कि जब तक कोरोना खत्म नहीं हो जाता तब तक अफ्रीकन चीतों का आना मुश्किल है. ये खबर पर्यटकों और वनप्रेमियों को निराश करने वाली है. हालांकि अच्छी खबर ये है कि इंतज़ार लंबा ज़रूर हुआ है लेकिन अफ्रीकन चीतों का आना रद्द नहीं हुआ है.