भोपाल। रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर बीज, गोबर, पेपर, बांस, सूती धागे की बनी इको फ्रेंडली राखी बांध रही हैं, खास तौर से रक्षा सूत्र बांधते हुए ईश्वर से यह कामना भी कर रही हैं कि हे ईश्वर भैया को कोरोना से बचाए, अभी तीसरी लहर की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसी के चलते बहनों को सबसे ज्यादा चिंता अपने भाइयों की है, यही वजह है की वैदिक रीति रिवाज के साथ-साथ ऐसे रक्षा सूत्र बना रही हैं, जो कि भाई की रक्षा कर सके.
घर के सामान से तेयार की जा रही राखियां
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए इको फ्रेंडली राखी बहनें अपने भाइयों के लिए खूब बना रही है, इस बार कोई केमिकल नहीं बल्कि कागज से राखी बनाई जा रही हैं, 5 से 7 मिनट में एक राखी तैयार हो जाती है.
राखी में डालती हैं बीज जिससे बन सके वृक्ष
कुछ इसी तरह की राखी भोपाल में भी लड़कियां बना रही हैं, जो कि आसानी से तैयार हो जाती हैं, लड़कियां अपने भाइयों के लिए एक संदेश भी दे रही हैं कि पर्यावरण को बचाना जरूरी है, जिस तरह से कोरोना ने कहर ढाया और ऑक्सीजन की कमी हुई, तो इसी वजह से ऐसी राखियां बनाई जा रही हैं, जिसमे बीज हो और यदि बीज घर के गार्डन में फेंक दिए जाते हैं, तो वह पेड़ बन जाते हैं, राखी को इस तरह फोल्ड करके बनाया जाता है कि उसमें अंदर बीज रहते हैं और जब भाई उस राखी को उतारता है, तो वह उन बीजों को गमले में या फिर अपने गार्डन में डाल सकता है जिससे यह बीच बाद में पेड़ बन जाएं.
अक्षत और अलग अलग दालों से बनाई जा रही राखियां
इसके साथ ही धार्मिक रीति रिवाज में चावल और दाल के साथ-साथ अन्य अनाजों का महत्व हैं, इनको भी शामिल कर राखी बनाई जा रही हैं, भोपाल की आशी चौहान इसी तरह इको फ्रेंडली राखी बनाकर अपने भाइयों के हाथों में राखियां बांधेंगी.
खासतौर से इनकी जो राखियां हैं वे घर में पाई जाने वाली चीजों से आसानी से बन जाती हैं, देखने में इतनी सुंदर लगती हैं कि किसी की भी नजर उससे नहीं हटती ,भाई जब राखी पहनता है, तो उसे भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता का ख्याल आता है.
अलग अलग तरह की ईको फ्रेंडली राखी
ऐसी अलग-अलग तरह की राखियां जिसे आप देखते ही रह जाएंगे, आशी, पिछले 3 साल से ईको फ्रेंडली राखी बना रही हैं, इन्होंने बताया कि किस तरह से जो राखी बनाती है और जो घर में रखी सामग्री है, उसका उपयोग कर बेहतरीन राखी बनाती है.
आशी कहती हैं की लगातार जिस तरह से पर्यावरण दूषित हो रहा है और लोग उसकी अनदेखी कर रहे हैं, इसलिए उनके मन में ख्याल आया कि बाजार से खरीदने के बजाय घर पर ही राखी बनाएं, जो कि पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित हो और इसी ख्याल को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने राखी बनानी शुरू कर दी, आशी भाइयों को अपनी बनाई हुई राखी बांधती हैं.
आशी ने बताया राखी बनाने का तरीका
बाजार में महंगी राखी खरीदने से बेहतर है की घर की बनी राखी अपने भाई की कलाई में बांधे, आशी कहती हैं कि वे अपनी सहेलियों से भी कहती हैं कि वह घर पर ही राखी बनाएं और मेरी कई सहेलियां अच्छी-अच्छी राखी बना रही हैं, अपने भाइयों की कलाई में बांधती हैं, आशी के घर वाले भी इनकी बनाई गई राखी की सराहना करते हैं और कहते हैं कि आशी को पहले से ही इस तरह के शौक थे, अब वह इको फ्रेंडली राखी बनाती हैं, इसे देखकर दूसरी लड़कियां भी घर पर राखी तैयार करने लगी है.
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कोरोना का असर बाजार में भी देखने को मिला है, जो राखियां बाजार में बिक रही हैं, वह बहुत महंगी हैं, साथ ही पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित नहीं हैं, इसी के चलते अब लड़कियां ऐसी राखियां बना रही हैं, जो भाइयों के लिए कलाई में अच्छी लगे और पर्यावरण की सुरक्षा भी हो सके.