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डीजीसीए ने एअर इंडिया पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

वैध टिकट रहने के बावजूद विमान पर नहीं चढ़ने देने और उसके बाद उचित मुआवजा नहीं देने पर डीजीसीए ने एयरइंडिया पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. डीजीसीए ने इस बाबत एयर लाइन की हैदराबाद, बेंगलुरु और दिल्ली सेवा पर निगरानी की थी.

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एयर इंडिया
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Published : Jun 14, 2022, 7:03 PM IST

नई दिल्ली : नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने मंगलवार को कहा कि उसने वैध टिकट होने के बावजूद यात्रियों को विमान पर नहीं चढ़ने देने और इसके बाद अनिवार्य मुआवजा नहीं देने पर ‘एअर इंडिया’ पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. डीजीसीए ने एक बयान जारी करके कहा, ‘‘डीजीसीए द्वारा जांच का सिलसिला शुरू हुआ और बेंगलुरु, हैदराबाद तथा दिल्ली में हमने निगरानी की. हमने पाया कि एयर इंडिया के मामले में यात्रियों को मुआवजा देने के संबंध में नियम का पालन नहीं किया जा रहा है. इसलिए एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी करके व्यक्तिगत सुनवाई भी की गई थी.’’

विमानन नियामक के अनुसार हो सकता है कि इस संबंध में एयर इंडिया की कोई नीति नहीं हो और वह यात्रियों को मुआवजे का भुगतान नहीं कर रही है. बयान में कहा गया कि यह गंभीर चिंता का विषय है, जो अस्वीकार्य है. इसमें कहा गया कि एअर इंडिया की दलीलों का अध्ययन करने के बाद 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.’’ बयान में यह भी कहा गया है कि एयरलाइन को सलाह दी गई है कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए तुरंत तंत्र विकसित करे और ऐसा ना करने पर डीजीसीए द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी.

डीजीसीए के नियमों के मुताबिक यदि संबंधित एयरलाइन एक घंटे के भीतर प्रभावित यात्री के लिए वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था करने में सक्षम है, तो कोई मुआवजा नहीं दिया जाता है. हालांकि, एयरलाइन अगले 24 घंटों के भीतर यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने में सक्षम हैं, तो नियमों में 10,000 रुपये तक का मुआवजा निर्धारित किया गया है. नियम के मुताबिक 24 घंटे से अधिक विलंब पर 20,000 रुपये का मुआवजा निर्धारित किया गया है.

सूत्रों ने आरोप लगाया है कि देश में कोविड-19 मामले घटने के बाद से एयरलाइनें उड़ानों के लिए बहुत अधिक बुकिंग कर रही हैं. ऐसे में जब यात्रियों की संख्या सीट संख्या से अधिक हो जाती है, तो कुछ यात्रियों को विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है.

ये भी पढे़ं : एयर इंडिया ने दी सीनियर सिटिजंस को राहत, टिकट बुकिंग में बेसिक प्राइस पर 50 फीसदी की छूट

(PTI)

नई दिल्ली : नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने मंगलवार को कहा कि उसने वैध टिकट होने के बावजूद यात्रियों को विमान पर नहीं चढ़ने देने और इसके बाद अनिवार्य मुआवजा नहीं देने पर ‘एअर इंडिया’ पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. डीजीसीए ने एक बयान जारी करके कहा, ‘‘डीजीसीए द्वारा जांच का सिलसिला शुरू हुआ और बेंगलुरु, हैदराबाद तथा दिल्ली में हमने निगरानी की. हमने पाया कि एयर इंडिया के मामले में यात्रियों को मुआवजा देने के संबंध में नियम का पालन नहीं किया जा रहा है. इसलिए एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी करके व्यक्तिगत सुनवाई भी की गई थी.’’

विमानन नियामक के अनुसार हो सकता है कि इस संबंध में एयर इंडिया की कोई नीति नहीं हो और वह यात्रियों को मुआवजे का भुगतान नहीं कर रही है. बयान में कहा गया कि यह गंभीर चिंता का विषय है, जो अस्वीकार्य है. इसमें कहा गया कि एअर इंडिया की दलीलों का अध्ययन करने के बाद 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.’’ बयान में यह भी कहा गया है कि एयरलाइन को सलाह दी गई है कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए तुरंत तंत्र विकसित करे और ऐसा ना करने पर डीजीसीए द्वारा आगे की कार्रवाई की जाएगी.

डीजीसीए के नियमों के मुताबिक यदि संबंधित एयरलाइन एक घंटे के भीतर प्रभावित यात्री के लिए वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था करने में सक्षम है, तो कोई मुआवजा नहीं दिया जाता है. हालांकि, एयरलाइन अगले 24 घंटों के भीतर यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करने में सक्षम हैं, तो नियमों में 10,000 रुपये तक का मुआवजा निर्धारित किया गया है. नियम के मुताबिक 24 घंटे से अधिक विलंब पर 20,000 रुपये का मुआवजा निर्धारित किया गया है.

सूत्रों ने आरोप लगाया है कि देश में कोविड-19 मामले घटने के बाद से एयरलाइनें उड़ानों के लिए बहुत अधिक बुकिंग कर रही हैं. ऐसे में जब यात्रियों की संख्या सीट संख्या से अधिक हो जाती है, तो कुछ यात्रियों को विमान में चढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती है.

ये भी पढे़ं : एयर इंडिया ने दी सीनियर सिटिजंस को राहत, टिकट बुकिंग में बेसिक प्राइस पर 50 फीसदी की छूट

(PTI)

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