मुंबई: बैंकरों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से शुक्रवार को घोषित मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) की घोषणाओं को उम्मीद के अनुरूप करार दिया. इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) के चेयरमैन एवं यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख राज किरण राय जी. ने एक बयान में कहा कि आरबीआई ने केंद्र और राज्य सरकारों से ईंधन उत्पादों पर उच्च अप्रत्यक्ष करों में कटौती करने के लिए भी कहा.
उन्होंने कहा कि आरबीआई के मौद्रिक नीति को लेकर नरम रुख बनाए रखने का कदम अपेक्षित था. यह ध्यान देने योग्य है कि जून की मौद्रिक समीक्षा में नीति में नरम रुख को जारी रखने के लिए मौद्रिक नीति समिति का निर्णय एकमत से था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.
कहा कि केंद्रीय बैंक का 2021-22 में मुख्य मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है. उसने पहले इसके 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. राय ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें ऊंचे स्तर पर हैं, इसलिए कीमतों पर दबाव है. इस नीति में आरबीआई ने कीमतों पर दबाव कम करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा ईंधन की कीमतों में अप्रत्यक्ष कर को कम करने के लिए फिर से दबाव डाला है.
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भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने आरबीआई की नीतिगत दर को उपयोगी बताते हुए कहा कि यह रुख और रणनीति के बीच का एकदम ठीक संतुलन है. खारा ने कहा कि वृद्धि का समर्थन करने के लिए नीतिगत रुख लगातार नरम बना हुआ है.
तरलता प्रबंधन के सावधानीपूर्वक सुधार की रणनीति परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) को शुरू करने की तरफ इशारा करती है. निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि मुद्रास्फीति पर दबाव और तरलता के उच्च स्तर को देखते हुए आरबीआई ने इसे सामान्य करने की दिशा में कदम उठाए हैं.
कोटक महिंद्रा बैंक समूह की अध्यक्ष शांति एकांबरम ने कहा कि आरबीआई का ध्यान वृद्धि पर बहुत अधिक है, जिसे शुरुआती और हिचकिचाहट वाले पुनरुद्धार के रूप में देखा जाता है. विदेशी बैंक स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक के ज़रीन दारूवाला ने भी उच्च मुद्रास्फीति और पर्याप्त तरलता को देखते हुए आरबीआई के इस कदम को उपयोगी बताया.
(पीटीआई-भाषा)