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5 कमरों को पेंट करने के लिए 3 मजदूरों को लगे 69 दिन, 59 हजार का आया खर्च ! - पैसा

छतरपुर के गांव उर्दू की ग्राम पंचायत के 5 कमरों की पुताई 3 मजदूरों ने 69 दिन तक की और इसमें कुल खर्च 59 हजार रुपए आया. इस मामले में भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है.

5 कमरों को पेंट करने के लिए 59 हजार का आया खर्च
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Published : Apr 12, 2019, 1:11 PM IST

छतरपुर। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए गांव उर्दू की ग्राम पंचायत के पांच कमरों की पुताई के लिए 3 मजदूरों ने 69 दिनों तक लगातार काम किया है और इस पुताई का खर्च 59 हजार रुपए आया है.

5 कमरों को पेंट करने के लिए 59 हजार का आया खर्च


यह सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा हो, लेकिन यह एकदम हकीकत है और चौंकाने वाली बात यह है कि पंचायत की तरफ से इन तमाम बिलों को अधिकारियों से सेटिंग्स कर पास भी करा लिया गया है. इसका सारा पैसा सरपंच के खाते में पहुंचा दिया गया है. इस मामले में भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है. इस मामले में ADM प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

छतरपुर। उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए गांव उर्दू की ग्राम पंचायत के पांच कमरों की पुताई के लिए 3 मजदूरों ने 69 दिनों तक लगातार काम किया है और इस पुताई का खर्च 59 हजार रुपए आया है.

5 कमरों को पेंट करने के लिए 59 हजार का आया खर्च


यह सुनने में भले ही थोड़ा अजीब लग रहा हो, लेकिन यह एकदम हकीकत है और चौंकाने वाली बात यह है कि पंचायत की तरफ से इन तमाम बिलों को अधिकारियों से सेटिंग्स कर पास भी करा लिया गया है. इसका सारा पैसा सरपंच के खाते में पहुंचा दिया गया है. इस मामले में भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है. इस मामले में ADM प्रेम सिंह चौहान ने कहा कि मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro: 5 कमरों को पोतने के लिए 3 मजदूर 69 दिन तक काम करते रहे और पुताई में कुल खर्च हुआ लगभग ₹59000!

जी हां आपको सुनने में भले ही कुछ अजीब लग रहा हो लेकिन यह एकदम हकीकत है मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ गांव उर्दू की ग्राम पंचायत के पांच कमरों की पुताई के लिए तीन मजदूरों ने 69 दिनों तक लगातार काम किया है और इस की पुताई पर जो खर्च हुआ वह लगभग ₹59000!

चौंकाने वाली बात यह है की पंचायत की तरफ से इन तमाम बिलों को अधिकारियों से सेटिंग्स कर पास भी करा लिया गया है और इसका सारा पैसा सरपंच के खाते में पहुंचा दिया गया है!




Body:आज हम बात कर रहे हैं बुंदेलखंड की उस अजब पंचायत की जिसके घोटाले के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे भले ही पैसों का घपला लगभग ₹59000 का किया गया हो लेकिन जिस तरीके से सरपंच और सचिव ने मिलकर सरकारी पैसों का गमन किया है इससे ना सिर्फ अधिकारियों की लापरवाही बल्कि पंचायती विभागों में किस प्रकार की लापरवाही चल रही है यह भी दर्शा रही है!

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ गांव उर्दू यह ग्राम पंचायत नौगांव जनपद पंचायत के अंतर्गत आती है महाराजपुर विधानसभा से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक नीरज दीक्षित इस गांव के निवासी हैं! इस ग्राम पंचायत की सरपंच उर्मिला कुशवाहा एवं सचिव विनोद अवस्थी है!

यहां आपको यह भी बता दें कि भले ही इस ग्राम पंचायत की सरपंच उर्मिला कुशवाहा हो लेकिन इस पंचायत को उनके पति दिनेश कुशवाहा चलाते हैं पंचायत के तमाम कामों में सीधा हस्तक्षेप इन का ही होता है!

ग्राम पंचायत उर्दू मऊ में सितंवर माह में पंचायत भवन के 5 कमरों में पुताई का काम किया गया था और इसी पुताई के काम में सरपंच सचिव ने मिलकर एक घोटाले को अंजाम दे दिया भले ही पैसे का गमन लगभग 59 हजार रुपए का हो लेकिन जिस तरीके से यह गमन किया गया वह चौंकाने वाला है!पंच परमेश्वर पोर्टल पर इस पंचायत द्वारा जो बिल अपलोड किए गए हैं उन्होंने ही इस पंचायत की पोल खोल दी है दरअसल पोर्टल पर जो बिल अपलोड किए गए हैं उनके अनुसार 3 मजदूरों को 69 दिनों तक काम पर लगाया गया और लगभग 46 हजार रुपए का पुताई का सामान लिया गया| जिस हिसाब से पुताई पर जो कुल खर्च हुआ वह लगभग 59 हजार रुपए हो जाता है!

चौंकाने वाली बात यह है कि इस गांव के सरपंच और सचिव ने अधिकारियों से सांठगांठ कर ना सिर्फ इन बिलों को पास कराया बल्कि इसके पैसे का भी गमन कर लिया! इस संबंध में जब हमने एडीएम प्रेम सिंह चौहान से बात की तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहां है कि जल्द ही इस पूरे मामले में जांच की जाएगी संबंधित अधिकारियों को मामले से अवगत कराते हुए दोषियों पर कार्यवाही भी की जाएगी!

बाइट_प्रेम सिंह चौहान _ एडीएम छतरपुर







Conclusion:अब सोचने वाली बात यह है की पांच कमरों को पूछने के लिए 3 मजदूर 69 दिन तक काम करते रहे तब जाकर उन कमरों की पुताई हो सकी और जो पुताई में खर्च आया वह लगभग ₹60000 हुआ है ऐसे में ना सिर्फ इस गांव के सरपंच सचिव बल्कि वह अधिकारी भी इस घोटाले में जांच के दायरे में होने चाहिए जिन्होंने इस प्रकार के बिलों को पास करते हुए उस पैसे का स्थानांतरण सरपंच और सचिव को कर दिया है!
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