इंदौर। जिले में कुपोषण अभी भी अपनी जड़ फैलाए बैठा है. बीते दिनों हुए सर्वे में 1440 बच्चे कम वजन की श्रेणी में पाए गए हैं. सर्वे के बाद इंदौर कलेक्टर कार्यालय में इस गंभीर मुद्दे के उपाय के लिए एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में विभागों के साथ चर्चा कर जल्द कुपोषण पर रोकथाम हेतु किए जाने वाले उपायों पर चर्चा की गई.
स्मार्ट सिटी इंदौर में सरकार के तमाम योजनाओं के बाद भी कुपोषण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कुपोषण बढ़ने के कहीं सारे कारण है जिनमें मुख्य तौर से सबसे ज्यादा जल्द ही स्कूली शिक्षा को छोड़ देना, बाल विवाह और बच्चों की परवरिश या जल्द गर्भधारण के संबंध में महिलाओं को ज्ञान ना होना पाया गया है. इस सर्वे के बाद प्रशासन के सामने कुपोषण और बाल विवाह रोकना दोहरी चुनौती के रूप में सामने आया है.
इंदौर में 6 फरवरी को एमवाई हॉस्पिटल में 1 कुपोषित बच्चे से मिलने खुद स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट आए थे और अधिकारियों को कुपोषण को लेकर जल्द ही कड़े कदम उठाने और उपाय करने के निर्देश दिए थे. बावजूद इसके अभी तक इस मामले में कोई गंभीर कदम नहीं उठाए गए हैं. सर्वे रिपार्ट के बाद इस समस्या के रोकथाम हेतु जिला प्रशासन कुपोषण को प्रचार-प्रसार के माध्यम से रोकने की योजना बनाई है.