रायसेन। प्रदेश में सरकार भले ही बदल गई हैं, लेकिन सरकारी ढर्रा आज भी वही है. योजनाओं के नाम पर सरकारी पैसे का कैसे दुरुपयोग होता है, मध्यप्रदेश के खेल मैदान को देखकर आसानी से समझा जा सकता है.
मध्यप्रदेश खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल मैदान एवं स्टेडियम निर्माण के लिए योजना बनाई गई थी, जिसके तहत ब्लॉक स्तर पर एक बड़ा खेल मैदान जिसमें बाउंड्री वाल और छोटा स्टेडियम स्वरूप सर्व सुविधा युक्त मैदान बनाया जाना था. साथ ही हर ग्राम पंचायत में खेल मैदान के लिए भी अलग से बजट आवंटित कर काम कराने के निर्देश ग्राम पंचायत को दिए गए थे, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि ग्राम पंचायतों में इस योजना का सारा रुपया बंदरबांट में खत्म हो गया.
एक स्टेडियम सांची में भी बनाया गया है. जहां करीब 80 लाख रुपए की लागत से 3 साल पहले स्टेडियम शहर से करीब 6 किलोमीटर दूर बनाया गया था. इसका उद्घाटन तत्कालीन वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार ने किया था, जिसमें अब कंक्रीट की दीवार के बीच झाड़ियों का पहाड़ बन गया है. जिसके चलते आज भी आसपास के इलाके के ग्रामीण बच्चे गांव की गलियों और खेतों में खेलने को मजबूर हैं.