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गुमान सिंह का बयान हास्यास्पद और काल्पनिक, जानिए क्या कहा था

कांग्रेस की प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने गुमान सिंह के 'अगर मोहम्मद अली जिन्ना प्रधानमंत्री बनते तो देश के टुकड़े नहीं होते' वाले बयान को हास्यास्पद और काल्पनिक बताया है.

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Published : May 13, 2019, 3:13 PM IST

कांग्रेस की प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओझा

भोपाल। भारत-पाक विभाजन के सूत्रधार जिन्ना को लेकर देश और प्रदेश की राजनीति में अब भी विवाद होता रहता है. बीजेपी प्रत्याशी गुमान सिंह डामोर ने कहा कि अगर मोहम्मद अली जिन्ना प्रधानमंत्री बनते तो देश के टुकड़े नहीं होते. कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने इस बयान को हास्यास्पद और काल्पनिक बताया है.

कांग्रेस की प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओझा


शोभा ओझा का कहना है कि डामोर की इस तरह की सोच कोई नई नहीं है. बीजेपी और संघ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सावरकर आडवाणी, जसवंत सिंह और मोदी जैसे नेताओं का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम देश देख चुका है. आडवाणी तो जिन्ना के प्रेम में उनकी मजार तक पहुंच गए थे. यह सभी जानते हैं कि 1941 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल में फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री थे. मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा गठबंधन की सरकार के मुखिया फजलुल हक ने ही पाकिस्तान का प्रस्ताव पहली बार पेश किया था. यह वह दौर था जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल जैसे कांग्रेस के नेता जेल में थे. इस दौरान जिन्ना और सावरकर ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया.


शोभा ओझा ने कहा कि अभी हाल ही में इमरान खान ने बयान दिया था कि हम भारत में बीजेपी की सरकार चाहते हैं. साफ है कि बीजेपी का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम और पाकिस्तान का बीजेपी प्रेम पूरी तरह से अटूट है. उन्होंने कहा कि देश में विभाजनवादी, विभाजन कारी सोच और विचारधारा पर हमें पाकिस्तान और नवाज शरीफ के घर बिन बुलाये बिरयानी खाने वाले मोदी और उनकी पार्टी से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.

भोपाल। भारत-पाक विभाजन के सूत्रधार जिन्ना को लेकर देश और प्रदेश की राजनीति में अब भी विवाद होता रहता है. बीजेपी प्रत्याशी गुमान सिंह डामोर ने कहा कि अगर मोहम्मद अली जिन्ना प्रधानमंत्री बनते तो देश के टुकड़े नहीं होते. कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने इस बयान को हास्यास्पद और काल्पनिक बताया है.

कांग्रेस की प्रदेश मीडिया प्रभारी शोभा ओझा


शोभा ओझा का कहना है कि डामोर की इस तरह की सोच कोई नई नहीं है. बीजेपी और संघ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सावरकर आडवाणी, जसवंत सिंह और मोदी जैसे नेताओं का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम देश देख चुका है. आडवाणी तो जिन्ना के प्रेम में उनकी मजार तक पहुंच गए थे. यह सभी जानते हैं कि 1941 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल में फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री थे. मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा गठबंधन की सरकार के मुखिया फजलुल हक ने ही पाकिस्तान का प्रस्ताव पहली बार पेश किया था. यह वह दौर था जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल जैसे कांग्रेस के नेता जेल में थे. इस दौरान जिन्ना और सावरकर ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया.


शोभा ओझा ने कहा कि अभी हाल ही में इमरान खान ने बयान दिया था कि हम भारत में बीजेपी की सरकार चाहते हैं. साफ है कि बीजेपी का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम और पाकिस्तान का बीजेपी प्रेम पूरी तरह से अटूट है. उन्होंने कहा कि देश में विभाजनवादी, विभाजन कारी सोच और विचारधारा पर हमें पाकिस्तान और नवाज शरीफ के घर बिन बुलाये बिरयानी खाने वाले मोदी और उनकी पार्टी से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है.

Intro:भोपाल। भारत पाक विभाजन के सूत्रधार जिन्ना को लेकर देश और प्रदेश की राजनीति में अब भी होता रहता है। इसके पहले हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा अपने जिन्ना प्रेम के कारण सुर्खियों में आए थे और उन्हें बाद में खेद व्यक्त करना पड़ा था। अब भाजपा के रतलाम झाबुआ संसदीय सीट के प्रत्याशी गुमान सिंह डामोर के बयान को लेकर छाया सियासत हो रही है। इस बयान में उन्होंने कहा था कि अगर मोहम्मद अली जिन्ना प्रधानमंत्री बनते तो देश के टुकड़े नहीं होते। मप्र कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने इस बयान को हास्यास्पद और काल्पनिक बताया है।


Body:शोभा ओझा का कहना है कि डामोर की इस तरह की सोच कोई नई नहीं है। भाजपा और संघ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सावरकर आडवाणी, जसवंत सिंह और मोदी जैसे नेताओं का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम देश देख चुका है। आडवाणी तो जिन्ना के प्रेम में उनकी मजार तक पहुंच गए थे। यह सभी जानते हैं कि 1941 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल में फजलुल हक की सरकार में वित्त मंत्री थे। मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा गठबंधन की सरकार के मुखिया फजलुल हक ने ही पाकिस्तान का प्रस्ताव पहली बार पेश किया था। यह वह दौर था, जब गांधी, नेहरू और सरदार पटेल जैसे कांग्रेस के नेता जेल में थे। इस दौरान जिन्ना और सावरकर ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया।जिन्ना ने उस समय सेंट्रल असेंबली में कहा कि अंग्रेजो ने भारत के अल्पसंख्यकों के लिए यदि वक्त रहते प्रावधान नहीं किए, तो वह बहुसंख्यकयों के रहमों करम पर जिंदा रहेंगे और कभी भी बराबरी हासिल नहीं कर पाएंगे। इस बयान से साफ है कि विभाजन को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थी और वह विभाजन के पक्षधर थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही नहीं सावरकर से लेकर हिंदू महासभा के कई अन्य लोग भी जो आजादी और भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर रहे थे। वे जिन्ना के प्रति प्रेम रखते थे, उनके साथ सरकार में शामिल थे या उनके सहयोगी थे। आजादी के बाद भी लालकृष्ण आडवाणी ने जिन्ना की मजार पर जाकर अपने जिन्ना प्रेम और उनके प्रति श्रद्धा को दर्शाया। जसवंत सिंह ने जिन्ना पर किताब लिखी, जिसमें जिन्ना की प्रशंसा में कसीदे पढ़े गए।


Conclusion:शोभा ओझा ने कहा कि अभी हाल ही में इमरान खान ने बयान दिया था कि हम भारत में भाजपा की सरकार चाहते हैं। साफ है कि भाजपा का जिन्ना और पाकिस्तान प्रेम और पाकिस्तान का भाजपा प्रेम पूरी तरह से अटूट है। उन्होंने कहा कि देश में विभाजनवादी, विभाजन कारी सोच और विचारधारा पर हमें पाकिस्तान और नवाज शरीफ के घर बिन बुलाये बिरयानी खाने वाले मोदी जी और उनकी पार्टी से किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
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