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खतरे में देश का भविष्य, 8 दिन में 180 से ज्यादा बाल मजदूरों को किया गया रेस्क्यू

खरगोन में बीते 8 दिनों में लगभग 180 से ज्यादा बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया है. इन्हें बाल कल्याण समिति में रखा गया है.

बाल मजदूरी
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Published : Jul 2, 2019, 8:52 AM IST

Updated : Jul 2, 2019, 9:06 AM IST

खरगोन। देश में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कई योजनाएं चलाए जाने का दावा सरकार करती है, लेकिन जमीनी हकीकत सारे दावों की पोल खोल देती है. जिले में बीते 8 दिनों में लगभग 180 से ज्यादा बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का भविष्य कैसा होगा.

हफ्तेभर में 180 से ज्यादा बच्चों को किया गया रेस्क्यू


खरगोन जिले में बाल मजदूरी करने जा रहे नाबालिगों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया. नाबालिगों को मजदूरी पर भेजने को लेकर पालकों ने बताया कि गांव में काम नहीं है और खेती भी कम है. पेट भरने के लिए बच्चों को भी हाथ बंटाना पड़ता है. वहीं शहर के समाजसेवी नरेंद्र सिंह चावला ने बताया कि देश की शासकीय योजनाएं कागजों पर बनती हैं और कागजों पर ही रह जाती हैं, अगर यह धरातल पर पहुंचती तो आज यह बच्चे हमारे साथ खड़े ना हो कर घरों में पढ़ाई कर रहे होते.

खरगोन। देश में बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कई योजनाएं चलाए जाने का दावा सरकार करती है, लेकिन जमीनी हकीकत सारे दावों की पोल खोल देती है. जिले में बीते 8 दिनों में लगभग 180 से ज्यादा बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का भविष्य कैसा होगा.

हफ्तेभर में 180 से ज्यादा बच्चों को किया गया रेस्क्यू


खरगोन जिले में बाल मजदूरी करने जा रहे नाबालिगों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया. नाबालिगों को मजदूरी पर भेजने को लेकर पालकों ने बताया कि गांव में काम नहीं है और खेती भी कम है. पेट भरने के लिए बच्चों को भी हाथ बंटाना पड़ता है. वहीं शहर के समाजसेवी नरेंद्र सिंह चावला ने बताया कि देश की शासकीय योजनाएं कागजों पर बनती हैं और कागजों पर ही रह जाती हैं, अगर यह धरातल पर पहुंचती तो आज यह बच्चे हमारे साथ खड़े ना हो कर घरों में पढ़ाई कर रहे होते.

Intro:मध्य प्रदेश में सरकारी योजनाएं धरातल पर उतर रही है। उसका सहज ही अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खरगोन जिले में बीते 8 दिनों में लगभग 180 से ज्यादा बाल मजदूरों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया है। वहीं परिजनों का कहना है कि काम नहीं है तो खाएंगे क्या? वही एक समाजसेवी ने शासकीय योजनाओं को कागजों पर करार देते हुए कहा कि यह योजनाएं गरीबों तक नहीं पहुंच पाती है। जिससे बच्चों को मजदूरी करने जाना पड़ता है। नहीं तो आज यह हमारे साथ नहीं घर में पढ़ रहे होते हैं।


Body:खरगोन जिले में बाल मजदूरी करने जा रहे हैं नाबालिक बच्चों को रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति लाया गया नाबालिक बच्चों को मजदूरी पर भेजने को लेकर पालकों ने बताया कि गांव में काम नहीं है और खेती भी कम है पेट भरने के लिए बच्चों को भी हाथ बटाना पड़ता है। कल से स्कूल खुल रहे हैं तो बच्चे स्कूल नहीं जाएंगे।
बाइट- परिजन
वहीं शहर के समाजसेवी नरेंद्र सिंह चावला ने बताया कि देश की विडंबना है कि शासकीय योजनाएं कागजों पर बनती है और कागजों पर ही रह जाती है अगर यह धरातल पर पहुंचती तो आज यह बच्चे हमारे साथ खड़े ना हो कर घरों में पढ़ाई कर रहे होते।
बाइट नरेंद्र सिंह चावला समाज सेवी
बाल कल्याण समिति कि अध्यक्ष अक्षता जोशी ने बताया कि आज 180 बच्चों को चाइल्डलाइन द्वारा रेस्क्यू कर लाया गया है। हमने वाहन मालिक से शपथ पत्र लेकर उनसे आगे इस तरह की लाने ले जाने की क्षमा पत्र लेकर छोड़ दिया है। इसमें कई विभागों का सहयोग लेना होता है। जिसमें श्रम विभाग आरटीओ पुलिस प्रशासन सभी अपने-अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं। पूछने पर कि चेतावनी देकर छोड़ देना से यह बंद हो जाएगा तो श्रीमती जोशी ने कहा कि हमारे अधिकार सीमित है। साथ ही कहा कि श्रम विभाग का कहना है कि हमें काम करते बच्चे मिले तो हम कार्रवाई कर सकते हैं। परंतु श्रम विभाग अगर कार्य करने जाता है तो इतने बच्चे पकड़ पाना संभव नहीं हैं।
बाइट- अक्षता जोशी अध्यक्ष बालकल्याण समिति


Conclusion:
Last Updated : Jul 2, 2019, 9:06 AM IST
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