रतलाम। रतलाम-झाबुआ के नवनिर्वाचित सांसद गुमान सिंह डामोर आजकल बेहद पशोपेश में हैं क्योंकि सांसद के साथ-साथ वह विधायक भी हैं, ऐसे में उन्हें एक पद से इस्तीफा देने होगा, अब डामोर ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह विधायकी छोड़ें या सांसदी. विधायकी छोड़ेंगे तो बीजेपी का बैलेंस मध्यप्रदेश में बिगड़ जायेगा. एमपी में बीजेपी को अभी विधायकों की जरूरत है. लिहाजा पार्टी चाहेगी कि डामोर विधायक बने रहें. हालांकि, अभी ये तय करने के लिए उनके पास पांच दिन का वक्त है.
गुमान को पांच दिन के अंदर सांसद या विधायक में से एक पद का चुनाव करना होगा. रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए गुमान सिंह डामोर कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराकर विधानसभा पहुंचे थे. बीजेपी ने गुमान सिंह डामोर को लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट से टिकट दिया था, जहां से चुनकर वे संसद भी पहुंच गये हैं. अब ऐसे में डामोर को 15 दिन के भीतर विधायक और सांसद में से किसी एक पद से इस्तीफा देना है, लेकिन वर्तमान में जिस तरह प्रदेश में बीजेपी परिवर्तन चाह रही है, ऐसे में एक-एक विधायक बीजेपी के लिए बहुत कीमती हैं, और यही वजह है कि पार्टी डामोर को लेकर फैसला नहीं कर पा रही है.
बता दें, डामोर पीएचई विभाग के चीफ इंजीनियर पद से रिटायर हुए थे, उसके बाद उन्होंने बीजेपी का दामन थामा और पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने डामोर को झाबुआ से विधानसभा का टिकट दिया था. जहां से वह कांग्रेस प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को हराकर विधानसभा पहुंच गये. इसके बाद लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर से उन्हें रतलाम-झाबुआ सीट से चुनाव मैदान में उतारा और पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया को हराकर सांसद चुने गए हैं.