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पन्ना के इस मंदिर में भगवान का होता है इलाज, आस्था के अजब अनोखे रंग - jagannath temple in panna

जगन्नाथ स्वामी के प्रसिद्ध मंदिर में भगवान खुद बीमार होते हैं, जिसके बाद 15 दिनों तक उनका इलाज करने के बाद उन्हें छप्पन भोग लगाया जाता है.

आस्था के अनोखे रंग
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Published : Jun 18, 2019, 4:14 PM IST

पन्ना। अभी तक आप सभी ने लोगों को बीमार होते हुए देखा और सुना होगा, लेकिन पन्ना में एक ऐसी परंपरा है, जहां खुद भगवान भी बीमार हो जाते हैं. डेढ़ शताब्दी से अधिक पुरानी हो चुकी ये परंपरा ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी के प्रसिद्ध मंदिर में मनाई जाती है.

आस्था के अनोखे रंग


दरअसल भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को ज्येष्ठ शुक्ल की पूर्णिमा को स्नान के लिए मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाकर एक बड़े बर्तन में स्नान कराया जाता है, जिस कारण से भगवान जगन्नाथ को लू लग जाती है और भगवान बीमार हो जाते हैं. इसके बाद 15 दिनों तक भगवान का जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है. पन्ना जिले में यह परंपरा पुरी के मंदिर की तर्ज पर मनाई जाती है. भगवान के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. जब भगवान 15 दिन बाद ठीक हो जाते हैं, तो छप्पन भोग लगाकर 9 दिनों की रात यात्रा सम्पन हो जाती है.

पन्ना। अभी तक आप सभी ने लोगों को बीमार होते हुए देखा और सुना होगा, लेकिन पन्ना में एक ऐसी परंपरा है, जहां खुद भगवान भी बीमार हो जाते हैं. डेढ़ शताब्दी से अधिक पुरानी हो चुकी ये परंपरा ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी के प्रसिद्ध मंदिर में मनाई जाती है.

आस्था के अनोखे रंग


दरअसल भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को ज्येष्ठ शुक्ल की पूर्णिमा को स्नान के लिए मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाकर एक बड़े बर्तन में स्नान कराया जाता है, जिस कारण से भगवान जगन्नाथ को लू लग जाती है और भगवान बीमार हो जाते हैं. इसके बाद 15 दिनों तक भगवान का जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है. पन्ना जिले में यह परंपरा पुरी के मंदिर की तर्ज पर मनाई जाती है. भगवान के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. जब भगवान 15 दिन बाद ठीक हो जाते हैं, तो छप्पन भोग लगाकर 9 दिनों की रात यात्रा सम्पन हो जाती है.

Intro:अभी तक आप सभी ने लोगो को बीमार होते हुए देखा और सुना होगा लेकिन पन्ना में एक ऐसी परंपरा है जहाँ खुद भगवान बीमार हो जाते है। डेढ़ शताब्दी से अधिक पुरानी हो चुकी ये परंपरा ऐतिहासिक जगन्नाथ स्वामी जी के प्रसिद्ध मंदिर में मनाई जाती है।


Body:एंकर :- मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ जी सुभद्रा जी और बलभद्र जी जेष्ठ शुक्ल की पूर्णिमा को स्नान हेतु मंदिर के गर्भ गृह से बाहर ला कर एक बड़े बर्तन में स्नान कराया जाता है। जिस कारण से भगवान जगन्नाथ को लू लग जाती है और भगवान बीमार हो जाते है। और 15 दिनों तक भगवान का जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है।



Conclusion:बीओ :- 1 पन्ना जिले में यह परंपरा पुरी के मंदिर की तर्ज पर बनाई जाती है । भगवान के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। जब भगवान 15 दिन बाद ठीक हो जाते है 56 भोग लगा कर 9 दिनों की रात यात्रा सम्पन हो जाती है।
बाइट :- 1 अनुराग पाण्डेय
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