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मालवा में जलसंकट, गर्मी के मौसम में कैसे बुझेगी लोगों की प्यास?

डेड स्टोरेज से भी नीचे पहुंचा टिल्लर बांध का पानी, गर्मी में कैसे बुझेगी शहरवासियों की प्यास, शहर के लिए प्रतिदिन खर्च हो रहा 20 लाख क्यूबिक मीटर पानी

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Published : Mar 16, 2019, 5:42 PM IST

टिल्लर बांध

आगर मालवा। गर्मी शुरू होते ही मालवा क्षेत्र में जल संकट शुरू हो गया है. इलाके की प्यास बुझाने वाले टिल्लर बांध का जलस्तर भी डेड स्टोरेज से नीचे जा पहुंचा है. ऐसे में आने वाले दिनों में शहरवसियों को भारी पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए जरूरी पानी सुरक्षित रखने की बात प्रशासन ने की है.

मालवा में जलसंकट, गर्मी के मौसम में कैसे बुझेगी लोगों की प्यास?

टिल्लर बांध की कुल क्षमता 52.12 मिलियन क्यूबिक मीटर है. 6.85 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होने पर बांध का डेड स्टोरेज माना जाता है. बांध के पानी का उपयोग सिंचाई में भी किया जाता है. इस साल बांध की कुल क्षमता का केवल 30 प्रतिशत पानी ही भर पाया था यानि आधे से भी कम. उसके बाद किसानों द्वारा सिंचाई और वाष्पीकरण से ये डेड स्टोरेज के नीचे पहुंच गया है.

हालांकि अब अधिकारियों कहना है कि पेयजल के लिए डैम का 2 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सुरक्षित रखा जाएगा. वहीं 1 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उज्जैन जिले के इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और नगर परिषद माकड़ौन को भी दिया जाना है. अभी वर्षा ऋतु में करीब 3 माह शेष है, गर्मी की तपिश भी अभी बाकी है. शहर को भी 20 लाख क्यूबिक मीटर पानी प्रतिदिन चाहिए. वहीं अधिकारी ग्रीष्म ऋतु में भी पानी उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में गिरते जलस्तर के बीच ये संभव होगा या नहीं ये तो समय ही बता पाएगा?

आगर मालवा। गर्मी शुरू होते ही मालवा क्षेत्र में जल संकट शुरू हो गया है. इलाके की प्यास बुझाने वाले टिल्लर बांध का जलस्तर भी डेड स्टोरेज से नीचे जा पहुंचा है. ऐसे में आने वाले दिनों में शहरवसियों को भारी पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए जरूरी पानी सुरक्षित रखने की बात प्रशासन ने की है.

मालवा में जलसंकट, गर्मी के मौसम में कैसे बुझेगी लोगों की प्यास?

टिल्लर बांध की कुल क्षमता 52.12 मिलियन क्यूबिक मीटर है. 6.85 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होने पर बांध का डेड स्टोरेज माना जाता है. बांध के पानी का उपयोग सिंचाई में भी किया जाता है. इस साल बांध की कुल क्षमता का केवल 30 प्रतिशत पानी ही भर पाया था यानि आधे से भी कम. उसके बाद किसानों द्वारा सिंचाई और वाष्पीकरण से ये डेड स्टोरेज के नीचे पहुंच गया है.

हालांकि अब अधिकारियों कहना है कि पेयजल के लिए डैम का 2 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सुरक्षित रखा जाएगा. वहीं 1 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उज्जैन जिले के इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन और नगर परिषद माकड़ौन को भी दिया जाना है. अभी वर्षा ऋतु में करीब 3 माह शेष है, गर्मी की तपिश भी अभी बाकी है. शहर को भी 20 लाख क्यूबिक मीटर पानी प्रतिदिन चाहिए. वहीं अधिकारी ग्रीष्म ऋतु में भी पानी उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में गिरते जलस्तर के बीच ये संभव होगा या नहीं ये तो समय ही बता पाएगा?

Intro:इस बार मानसून की बेरुखी के कारण शहर की प्यास बुझाने वाले टिल्लर बांध में पानी की आवक काफी कम होने के चलते वर्तमान में बांध का जलस्तर डेड स्टोरेज से भी नीचे जा पहुंचा है ऐसे में ग्रीष्मऋतु में शहरवासियों को पेयजल की भारी समस्या का सामना करना पड़ सकता है हालांकि शहरवासियों की प्यास बुझाने के लिए जरूरी पानी सुरक्षित रखने बात कही जा रही लेकिन इतने कम पानी मे किस प्रकार पानी उपलब्ध करवाया जाएगा यह आगामी दिनों में देखने को मिलेगा।


Body:बता दे कि टिल्लर बांध की कुल क्षमता 52.12 मिलियन क्यूबिक मीटर है वही 6.85 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होने पर बांध का डेड स्टोरेज माना जाता है। इस बांध के पानी का उपयोग सिंचाई के कार्य मे भी किया जाता है डेड स्टोरेज से ऊपर 45.27 मिलियन क्यूबिक मीटर तक के पानी का उपयोग नहर के माध्यम से सिंचाई के लिए किया जाता है। बता दे कि शहरवासियों को भरपूर पानी उपलब्ध कराने वाले इस बांध में वर्ष 2018 में कुल क्षमता का 30 प्रतिशत पानी ही भरा पाया था। बारिश के पानी से 16.02 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी इस बार बांध में भराया था लेकिन कुछ किसानों द्वारा इस पानी का उपयोग सिंचाई में किये जाने तथा वाष्पीकरण के चलते वर्तमान में यहां पानी की उपलब्धता डेड स्टोरेज से भी नीचे जा पहुंची है।


Conclusion:अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि इस डेड स्टोरेज में से आगर शहर के लोगो को आगामी माह में पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए 2 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सुरक्षित रखा जाएगा वही 1 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी उज्जैन जिले में आने वाले इंडियन ऑयल करपोरेशन गैलखेड़ा तथा नगर परिषद माकड़ौन को भी दिया जाना है। बता दे कि वर्षा ऋतु आने में करीब 3 माह शेष है। बांध में डेड स्टोरेज से भी पानी नीचे चला गया है ऐसे में आने वाले इन तीन माह में गर्मी के चलते वाष्पीकरण क्रिया होने पर पानी की मात्रा और कम हो जाएगी ऐसी स्थिति में आखिर किस प्रकार शहर के लिए 2 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सुरक्षित रखने की बात कही जा रही है। शहर में प्रतिदिन 20 लाख क्यूबिक मीटर पानी की आवश्यकता होती है जब इस बांध में पर्याप्त पानी नही रहेगा तो आखिर इस पानी की पूर्ति कहा से की जाएगी। इस संबंध में जब नगर पालिका सीएमओ सीएस जाट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहरवासियों को गर्मी के सीजन में पानी के लिए परेशान नही होने देंगे यदि टिल्लर बांध से पानी नही उपलब्ध हो पाया तो अन्य संसाधनों के जरिये शहरवासियों को पानी उपलब्ध करवाया जाएगा।
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