नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Union Environment Minister Bhupender Yadav) ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने कहा कि दुनिया को जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान के संकट का मुकाबला करने के लिए उत्पादन और खपत के मुद्दे का तत्काल समाधान करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ऐसी नीतियों को विकसित करने की आवश्यकता है जो समावेशी और टिकाऊ हों ताकि असमानता को कम किया जा सके और लोगों को सशक्तिकरण और गुणवत्ता के सुधार में योगदान दिया जा सके.
पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली के साथ विकास को संतुलित करना विषय पर आयोजित शिखर सम्मेलन में चौदह देशों के मंत्रियों ने भाग लिया. वहीं केंद्रीय मंत्री यादव ने विकासशील देशों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने में विकसित दुनिया की भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारण छोटे द्वीप, विकासशील देशों के सामने आने वाली समस्याओं और इस संबंध में भारत द्वारा की गई पहलों जैसे कि कोऑलिशेन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (CDRI), इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेजिलिएंट आइलैंड स्टेट्स (IRIS) और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) आदि पर प्रकाश डाला. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पर्यावरण के अनुकूल कार्य (LiFE Actions) हमारी आम और एकमात्र दुनिया को बचाने में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान दे सकते हैं. उन्होंने आगे जलवायु परिवर्तन के वैश्विक मुद्दे से निपटने में मिशन LiFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) के महत्व को भी रेखांकित किया.
यादव ने कहा, 'भारत और जापान ने क्रमशः जी20 और जी7 की अध्यक्षता संभाली है. यह दोनों देशों के लिए वसुधैव कुटुम्बकम या 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' (एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य) की दिशा में दुनिया के भविष्य को आकार देने के लिए एजेंडा और प्राथमिकताएं निर्धारित करने का एक अवसर है जो भारत की जी20 अध्यक्षता का भी विषय है.' उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के लिए जलवायु परिवर्तन, समुद्री कचरे, वायु प्रदूषण और टिकाऊ परिवहन और प्रौद्योगिकियों से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर चर्चा करने का एक अवसर है, जिससे हरित और टिकाऊ भविष्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने में मदद मिलेगी.
मंत्री ने कहा, 'हमारा दृढ़ विश्वास है कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान की ग्रह संबंधी चुनौतियों से धरती को बचाने के लिए, हमें रियो संधि के बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है. यदि हमें संकट का मुकाबला करना है तो उत्पादन और खपत पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.' उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में स्थायी जीवनशैली और उत्पादन एवं खपत के पैटर्न के महत्व को मिस्र के शर्म अल शेख में हाल ही में संपन्न सीओपी27 में रेखांकित किया गया था.
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ में मंत्रियों ने छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (SIDS) द्वारा सामना की जा रही विभिन्न समस्याओं को उठाया. इस अवसर पर खाद्य सुरक्षा, समुद्र के स्तर में वृद्धि, तटीय क्षरण, कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक मंदी और अन्य मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया गया. वहीं कई विकासशील देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विकसित की जा रही अनुकूलन नीतियों की भूमिका पर प्रकाश डाला. सभी देशों ने भारत को G20 की अध्यक्षता पर बधाई दी और ब्लू इकोनॉमी, सर्कुलर इकोनॉमी और भूमि क्षरण के विषयों पर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई.
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