हैदराबाद : हिंदी की प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी (Mannu bhandari) का सोमवार को हरियाणा में गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया है. वह 91 वर्ष की थीं. 'महाभोज' और 'आपका बंटी' जैसे प्रसिद्ध उपन्यासों की रचनाकार मन्नू भंडारी पिछले कुछ दिनों से बीमार थीं.
उनकी बेटी रचना यादव ने बताया, 'वह करीब 10 दिन से बीमार थीं. उनका हरियाणा के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां आज दोपहर को उन्होंने अंतिम श्वांस ली.' रचना ने कहा कि उनकी मां का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा. तीन अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के भानपुरा में जन्मीं भंडारी प्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं. उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका के पद पर भी अपनी सेवाएं दीं.
कलम की धनी मन्नू भंडारी ने कई किताबें लिखीं, जो काफी प्रसिद्ध हुईं. वह सामाजिक ताने-बाने से लेकर समाज की बुराइयों, भ्रष्ट अफसरशाही, राजनीति जैसे तमाम मुद्दों पर समझ रखती थीं. उन्होंने अपनी लेखनी में उन सभी विषयों को उठाया था. उन्होंने महिलाओं से जुड़े विषयों पर भी प्रकाश डाला था. .
उन्होंने उपन्यास 'महाभोज' और 'आपका बंटी' से ख्याति प्राप्त की. वह कई दशकों तक लेखन में सक्रिय रहीं. इस दौरान उन्होंने विभिन्न विषयों पर लेखनी के माध्यम से प्रकाश डाला.
भंडारी ने हिंदी लेखक राजेंद्र यादव से शादी की. हालांकि, बाद में वह उनसे अलग रहने लगीं. उनका सबसे चर्चित उपन्यास 'आपका बंटी' है. इसमें उन्होंने एक बच्चे की स्थिति पर पूरा प्लॉट तैयार किया है. कैसे वह मां-बाप के बीच पिसता रहता है. जब परिवार टूट रहा होता है, तब एक बच्चे की मनः स्थिति कैसी होती है, किन यातनाओं से होकर उसे गुजरना पड़ता है. परिवार में जब अलगाव होना लगता है, तब एक बच्चे की दुनिया कैसे छीन जाती है, उसके सपने कैसे बिखर जाते हैं, इच्छाओं का दमन कैसे होता है, इन सबको लेखिका ने बड़े ही मार्मिक तरीके से पेश किया है. दरअसल, आपक बंटी को हिंदी साहित्या में मील का पत्थर माना जाता है.
उनका पहला उपन्यास 'एक इंच मुस्कान' 1961 में प्रकाशित हुआ था. इस उपन्यास को उन्होंने अपने पति राजेंद्र यादव के साथ मिलकर लिखा था. प्रेम पर लिखी यह पुस्तक अपने समय में काफी चर्चित हुई थी. पाठकों से इसे बहुत पसंद किया था.
मन्नू भंडारी महिला चरित्रों के चित्रण, उनके संघर्ष, समाज में उनकी जगह और उनके अंदरूनी द्वंद्व को उकेरने के लिए मशहूर हुईं. ऐसा माना जाता है कि इन विषयों पर उन्हें महारत हासिल था.
मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाओं के चित्रण में भी वह पीछे नहीं थीं. महिलाओं उनकी परेशानी, अंतर्द्वंद्व, कुंठा, घुटन, संघर्ष और कामयाबी का चित्रण बखूबी किया.
चर्चित किताब
मैं हार गई, आपका बंटी, यही सच है, महाभोज, एक प्लेट सैलाब, तीन निगाहों की एक तस्वीर, त्रिशंकु, आँखो देखा झूठ आदि शामिल हैं.