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रूस-यूक्रेन युद्ध पर संयुक्त राष्ट्र में फिर बोला भारत, वार्ता और कूटनीति से ही निकलेगा समाधान

भारत ने एक बार फिर रूस -यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई को रोकने और विवाद को बातचीत के जरिये सुलझाने की वकालत की है. संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजदूत ने कहा कि इस विवाद को सुलझाने के लिए वार्ता और कूटनीति के जरिये आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है.

इंद्रमणि पांडे
इंद्रमणि पांडे
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Published : May 12, 2022, 4:51 PM IST

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में गुरुवार को एक बार फिर रूस-यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा हुई, जिसमें भारत अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहा. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के विशेष सत्र में बोलते हुए भारत के स्थायी राजदूत इंद्रमणि पांडे ने यूक्रेन में हिंसा और लड़ाई को तत्काल समाप्त करने की अपील की. भारतीय राजदूत ने कहा है कि पीएम मोदी ने रूसी संघ और यूक्रेन के नेतृत्व सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी हालिया बातचीत में यही बात दोहराई है. भारत का मानना है कि वार्ता और कूटनीति के मार्ग पर आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है.

उन्होंने इस युद्ध में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि यूक्रेन के लोगों के लिए मुफ्त और निर्बाध मानवीय पहुंच और सुरक्षित मार्ग होना चाहिए. दो महीने पहले मार्च में भी मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा हुई थी. इसके बाद से उस देश की हालत और खराब हुई है. रिपोर्ट में यह सामने आया है कि युद्ध के कारण यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों पर काफी प्रभाव पड़ा है. वहां के नागरिकों ने बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों में शरण ली है. इसके अलावा देश के भीतर भी लोग विस्थापित हुए हैं.

भारतीय प्रतिनिधि ने अपने बयान में कहा कि यूक्रेन में जारी भयावह हिंसा को देखते हुए इस इलाके से निर्दोष नागरिकों को बाहर निकालने की प्राथमिकता होना चाहिए. भारतीय राजदूत इंद्रमणि पांडे ने मानवाधिकार परिषद में भारत की ओर से यूक्रेन को दिए गए मानवीय सहायता की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को दवाएं और अन्य आवश्यक राहत सामग्री भेज रहे हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध के प्रभाव को पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है. तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. दुनिया में खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी है. इस अस्थिरता ने विकासशील और कम विकसित देशों के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है. भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हम यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण का आह्वान करते हैं और मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.


पढ़ें : UN में भारत ने कहा, इस संघर्ष में कोई विजयी पक्ष नहीं होगा

नई दिल्ली : संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में गुरुवार को एक बार फिर रूस-यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा हुई, जिसमें भारत अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहा. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के विशेष सत्र में बोलते हुए भारत के स्थायी राजदूत इंद्रमणि पांडे ने यूक्रेन में हिंसा और लड़ाई को तत्काल समाप्त करने की अपील की. भारतीय राजदूत ने कहा है कि पीएम मोदी ने रूसी संघ और यूक्रेन के नेतृत्व सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी हालिया बातचीत में यही बात दोहराई है. भारत का मानना है कि वार्ता और कूटनीति के मार्ग पर आगे बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है.

उन्होंने इस युद्ध में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की. साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि यूक्रेन के लोगों के लिए मुफ्त और निर्बाध मानवीय पहुंच और सुरक्षित मार्ग होना चाहिए. दो महीने पहले मार्च में भी मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा हुई थी. इसके बाद से उस देश की हालत और खराब हुई है. रिपोर्ट में यह सामने आया है कि युद्ध के कारण यूक्रेनी महिलाओं और बच्चों पर काफी प्रभाव पड़ा है. वहां के नागरिकों ने बड़ी संख्या में पड़ोसी देशों में शरण ली है. इसके अलावा देश के भीतर भी लोग विस्थापित हुए हैं.

भारतीय प्रतिनिधि ने अपने बयान में कहा कि यूक्रेन में जारी भयावह हिंसा को देखते हुए इस इलाके से निर्दोष नागरिकों को बाहर निकालने की प्राथमिकता होना चाहिए. भारतीय राजदूत इंद्रमणि पांडे ने मानवाधिकार परिषद में भारत की ओर से यूक्रेन को दिए गए मानवीय सहायता की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन और उसके पड़ोसियों को दवाएं और अन्य आवश्यक राहत सामग्री भेज रहे हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध के प्रभाव को पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है. तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं. दुनिया में खाद्यान्न और उर्वरकों की कमी है. इस अस्थिरता ने विकासशील और कम विकसित देशों के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है. भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हम यूक्रेन में लोगों के मानवाधिकारों के सम्मान और संरक्षण का आह्वान करते हैं और मानवाधिकारों के वैश्विक प्रचार और संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.


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