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टीएमसी राज्यपाल के खिलाफ 'संकल्प' प्रस्ताव लाने पर कर रही विचार, धनखड़ ने ममता पर लगाए आरोप

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Published : Jan 27, 2022, 8:22 PM IST

टीएमसी ने प. बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ राज्यसभा में संकल्प प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है. पार्टी ने उन पर राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है. हालांकि, दूसरी ओर राज्यपाल ने एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना का आरोप लगाया है.

mamata, dhankhar
ममता, जगदीप धनखड़

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच तनातनी चलती रहती है. अब इनकी लड़ाई संसद तक पहुंचती दिख रही है. टीएमसी सांसद आगामी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में राज्यपाल को हटाने को लेकर संकल्प लाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर इस प्रस्ताव को ला सकते हैं. गुरुवार को टीएमसी संसदीय दल की बैठक के दौरान इस पर विचार किया गया. पार्टी ने इस बैठक में बजट सत्र के दौरान अपनी रणनीति पर भी विमर्श किया.

बैठक के बाद टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल की भूमिका इस वक्त अलार्मिंग स्थिति पर पहुंच चुकी है. ऐसा लगता है कि उन्हें प.बंगाल में राज्य सरकार को शर्मिंदा करने के लिए ही भेजा गया है और इसका उन्हें एक खाका सौंपा गया है. देश के राष्ट्रपति चुनकर आते हैं. उनका काफी सम्मान होता है. लेकिन राज्यपाल की नियुक्ति होती है. नियुक्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, वह भी उस सरकार के खिलाफ जिसे दो-तिहाई बहुमत मिला है. इसलिए इस विषय पर विचार करने की जरूरत है. हम इस विषय को लोकसभा में भी उठाएंगे.

बैठक के बाद हालांकि इसका निर्णय नहीं लिया जा सका कि बजट सत्र के दौरान पार्टी कांग्रेस के साथ किस प्रकार से तालमेल बिठाकर आगे बढ़ेगी. सुदीप बंदोपाध्याय ने इस सवाल के जवाब में कहा कि बैठक में यह विषय नहीं था, लेकिन जब जरूरत होगी, तो हम विपक्ष के साथ संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे. केंद्र सरकार पर हमला करते हुए बंदोपाध्याय ने कहा कि वह राज्य की एक चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र होकर काम करने नहीं दे रही है, वह लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है. हम इस विषय को संसद तक ले जा रहे हैं. हम आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को लेकर लाए जा रहे नए नियमों का भी विरोध करेंगे.

sudeep bandopadhyay
सुदीप बंदोपाध्याय, टीएमसी

राज्यपाल ने 25 जनवरी के पत्र में ममता पर संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना का आरोप लगाया

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दो दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को पत्र लिखकर भी आरोप लगाया कि सभी दस्तावेज सरकार की विफलता दर्शाते हैं. राज्यपाल के मुताबिक, 'राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.' राज्यपाल का 25 जनवरी का पत्र गुरुवार को तब सामने आया, जब उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया. धनखड़ ने ममता बनर्जी से पेगासस अधिसूचना और महामारी में खरीद संबंधी पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट और बंगाल एरोट्रोपोलिस परियोजना, जीटीए, एमएए कैंटीन और राज्य वित्त आयोग के बारे में जल्द से जल्द जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की.

राज्यपाल ने कहा कि जानकारी पिछले साल 26 जुलाई को मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा. राजभवन से कई पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने पत्र में मुख्यमंत्री को उनके संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाई और कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी वह प्रस्तुत करें. उन्होंने लिखा है कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी की जांच नहीं की जा सकती. जानकारी नहीं देने का संकेत यह होगा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.

राज्यपाल ने लिखा, 'मेरे 19 जनवरी, 2022 के संचार में, महामारी खरीद पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के मामलों में, अन्य के अलावा, संविधान के अनुच्छेद 167 का जिक्र करते हुए मांगी गई जानकारी देने में आपकी क्रमिक चूक पर ध्यान केंद्रित किया गया है. बंगाल एक्रोपोलिस प्रोजेक्ट, गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन, एमएए कैंटीन, राज्य वित्त आयोग और पेगासस अधिसूचना के बारे में जल्द से जल्द जानकारी दें.'

'वित्त विभाग में राज्य सरकार को 21 जनवरी, 2022 के अपने नोट में उपरोक्त के अलावा, मैंने राज्य सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट के लिए राज्य की संचित निधि से खर्च किए गए धन की जानकारी भी मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से विज्ञापन, जिसमें एंटी-सीएए से संबंधित खर्च और निजी कंपनी के साथ एक निजी विमान को किराए पर लेने/ पट्टे पर देने के संबंध में लीज एग्रीमेंट का विवरण भी दें.'

मुख्यमंत्री के एक पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, 'इसके अलावा, राज्यपाल के कार्यालय के किसी विषय पर दस्तावेजों और फाइलों तक पहुंच की मांग करने का कोई सवाल ही नहीं हो सकता, जो पूरी तरह से राज्य कार्यकारिणी के अधिकार क्षेत्र में है.' धनखड़ ने ममता बनर्जी को संविधान के अनुच्छेद 167 की याद दिलाई, जिसमें कहा गया है,'राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी और प्रस्ताव देना मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा. विधान के अनुसार राज्यपाल जानकारी मांग सकता है.'

J dhankhar governor wb
जगदीप धनखड़, राज्यपाल, प. बंगाल

'मुझे इस बात की गहरी चिंता है कि इन मामलों में जहां सार्वजनिक डोमेन में और अन्यथा हजारों करोड़ के कथित घोटालों का संकेत देने वाली वित्तीय अनियमितताएं परिलक्षित होती हैं, क्योंकि आपने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा है.' धनखड़ ने लिखा, 'दोषपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं के कारण कथित घोटालों के संबंध में सूचना मांगी गई थी. सूचना प्रदान न करने के परिणामस्वरूप कानून तोड़ने वालों को राहत सुरक्षा प्रदान की गई. इस तरह के संलिप्त आचरण की बजाय आपसे कम से कम 'संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा आस्था रखने की उम्मीद की जाती है, जिसकी आपने शपथ ली है.'

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को संविधान के अनुच्छेद 166 (3) का पालन करते हुए उन्हें 26 जुलाई, 2021 की अधिसूचना के संबंध में मांगी गई सभी जानकारी और साथ ही महामारी में खरीद की जांच से संबंधित जानकारी देने के लिए कहा है.

ये भी पढ़ें : R-Day Parade: शुभेंदु बोले- ममता को नहीं पच रही नंदीग्राम की हार, नहीं किया आमंत्रित

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सरकार के बीच तनातनी चलती रहती है. अब इनकी लड़ाई संसद तक पहुंचती दिख रही है. टीएमसी सांसद आगामी बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में राज्यपाल को हटाने को लेकर संकल्प लाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. पार्टी के वरिष्ठ सांसद सुखेंदु शेखर इस प्रस्ताव को ला सकते हैं. गुरुवार को टीएमसी संसदीय दल की बैठक के दौरान इस पर विचार किया गया. पार्टी ने इस बैठक में बजट सत्र के दौरान अपनी रणनीति पर भी विमर्श किया.

बैठक के बाद टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि राज्यपाल की भूमिका इस वक्त अलार्मिंग स्थिति पर पहुंच चुकी है. ऐसा लगता है कि उन्हें प.बंगाल में राज्य सरकार को शर्मिंदा करने के लिए ही भेजा गया है और इसका उन्हें एक खाका सौंपा गया है. देश के राष्ट्रपति चुनकर आते हैं. उनका काफी सम्मान होता है. लेकिन राज्यपाल की नियुक्ति होती है. नियुक्ति पाने वाले ऐसे व्यक्ति राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, वह भी उस सरकार के खिलाफ जिसे दो-तिहाई बहुमत मिला है. इसलिए इस विषय पर विचार करने की जरूरत है. हम इस विषय को लोकसभा में भी उठाएंगे.

बैठक के बाद हालांकि इसका निर्णय नहीं लिया जा सका कि बजट सत्र के दौरान पार्टी कांग्रेस के साथ किस प्रकार से तालमेल बिठाकर आगे बढ़ेगी. सुदीप बंदोपाध्याय ने इस सवाल के जवाब में कहा कि बैठक में यह विषय नहीं था, लेकिन जब जरूरत होगी, तो हम विपक्ष के साथ संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन करेंगे. केंद्र सरकार पर हमला करते हुए बंदोपाध्याय ने कहा कि वह राज्य की एक चुनी हुई सरकार को स्वतंत्र होकर काम करने नहीं दे रही है, वह लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है. हम इस विषय को संसद तक ले जा रहे हैं. हम आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को लेकर लाए जा रहे नए नियमों का भी विरोध करेंगे.

sudeep bandopadhyay
सुदीप बंदोपाध्याय, टीएमसी

राज्यपाल ने 25 जनवरी के पत्र में ममता पर संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना का आरोप लगाया

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने दो दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो को पत्र लिखकर भी आरोप लगाया कि सभी दस्तावेज सरकार की विफलता दर्शाते हैं. राज्यपाल के मुताबिक, 'राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.' राज्यपाल का 25 जनवरी का पत्र गुरुवार को तब सामने आया, जब उन्होंने इसे अपने ट्विटर हैंडल पर अपलोड किया. धनखड़ ने ममता बनर्जी से पेगासस अधिसूचना और महामारी में खरीद संबंधी पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट और बंगाल एरोट्रोपोलिस परियोजना, जीटीए, एमएए कैंटीन और राज्य वित्त आयोग के बारे में जल्द से जल्द जानकारी उपलब्ध कराने की अपील की.

राज्यपाल ने कहा कि जानकारी पिछले साल 26 जुलाई को मांगी गई थी, लेकिन सरकार ने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा. राजभवन से कई पत्र भेजकर जानकारी मांगे जाने का जिक्र करते हुए धनखड़ ने पत्र में मुख्यमंत्री को उनके संवैधानिक दायित्वों की याद दिलाई और कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी वह प्रस्तुत करें. उन्होंने लिखा है कि राज्यपाल द्वारा मांगी गई जानकारी की जांच नहीं की जा सकती. जानकारी नहीं देने का संकेत यह होगा कि राज्य सरकार संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है.

राज्यपाल ने लिखा, 'मेरे 19 जनवरी, 2022 के संचार में, महामारी खरीद पूछताछ, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के मामलों में, अन्य के अलावा, संविधान के अनुच्छेद 167 का जिक्र करते हुए मांगी गई जानकारी देने में आपकी क्रमिक चूक पर ध्यान केंद्रित किया गया है. बंगाल एक्रोपोलिस प्रोजेक्ट, गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन, एमएए कैंटीन, राज्य वित्त आयोग और पेगासस अधिसूचना के बारे में जल्द से जल्द जानकारी दें.'

'वित्त विभाग में राज्य सरकार को 21 जनवरी, 2022 के अपने नोट में उपरोक्त के अलावा, मैंने राज्य सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट के लिए राज्य की संचित निधि से खर्च किए गए धन की जानकारी भी मांगी थी. राज्य सरकार की ओर से विज्ञापन, जिसमें एंटी-सीएए से संबंधित खर्च और निजी कंपनी के साथ एक निजी विमान को किराए पर लेने/ पट्टे पर देने के संबंध में लीज एग्रीमेंट का विवरण भी दें.'

मुख्यमंत्री के एक पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, 'इसके अलावा, राज्यपाल के कार्यालय के किसी विषय पर दस्तावेजों और फाइलों तक पहुंच की मांग करने का कोई सवाल ही नहीं हो सकता, जो पूरी तरह से राज्य कार्यकारिणी के अधिकार क्षेत्र में है.' धनखड़ ने ममता बनर्जी को संविधान के अनुच्छेद 167 की याद दिलाई, जिसमें कहा गया है,'राज्य के मामलों और प्रशासन से संबंधित जानकारी और प्रस्ताव देना मुख्यमंत्री का कर्तव्य होगा. विधान के अनुसार राज्यपाल जानकारी मांग सकता है.'

J dhankhar governor wb
जगदीप धनखड़, राज्यपाल, प. बंगाल

'मुझे इस बात की गहरी चिंता है कि इन मामलों में जहां सार्वजनिक डोमेन में और अन्यथा हजारों करोड़ के कथित घोटालों का संकेत देने वाली वित्तीय अनियमितताएं परिलक्षित होती हैं, क्योंकि आपने गैर-प्रतिक्रियात्मक रुख बनाए रखा है.' धनखड़ ने लिखा, 'दोषपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं के कारण कथित घोटालों के संबंध में सूचना मांगी गई थी. सूचना प्रदान न करने के परिणामस्वरूप कानून तोड़ने वालों को राहत सुरक्षा प्रदान की गई. इस तरह के संलिप्त आचरण की बजाय आपसे कम से कम 'संविधान के प्रति सच्ची निष्ठा आस्था रखने की उम्मीद की जाती है, जिसकी आपने शपथ ली है.'

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को संविधान के अनुच्छेद 166 (3) का पालन करते हुए उन्हें 26 जुलाई, 2021 की अधिसूचना के संबंध में मांगी गई सभी जानकारी और साथ ही महामारी में खरीद की जांच से संबंधित जानकारी देने के लिए कहा है.

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