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तलाक-ए-किनाया' व 'तलाक-ए-बैन' को असंवैधानिक घोषित करने संबंधी याचिका पर केंद्र को नोटिस

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Published : Oct 10, 2022, 2:44 PM IST

Updated : Oct 10, 2022, 8:19 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बैन (alaq e kinaya and talaq e bain) सहित एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के सभी रूप को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है.

Supreme Court issued notice
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 'तलाक-ए-किनाया' और 'तलाक-ए-बैन' सहित मुसलमानों के बीच 'एकतरफा और न्यायेतर' तलाक के सभी रूपों को अमान्य और असंवैधानिक घोषित करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा.

  • Supreme Court has issued notice, tagged the plea seeking declaration that all forms of unilateral and extra-judicial Talaq including 'Talaq-e-Kinaya' and 'Talaq-e-Bain' as void and unconstitutional, with other petitions dealing with similar issues.

    — ANI (@ANI) October 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने विधि एवं न्याय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी.

शीर्ष अदालत कर्नाटक स्थित सैयदा अंबरीन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि ये प्रथाएं मनमानी, तर्कहीन और समानता, गैर-भेदभाव, जीवन और धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के विपरीत हैं. याचिकाकर्ता ने केंद्र को 'लिंग तटस्थ और धर्म तटस्थ तलाक के समान आधार और सभी नागरिकों के लिए तलाक की समान प्रक्रिया' के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-किनाया, तलाक-ए-बैन और एकतरफा और न्यायेतर तलाक के अन्य रूप सती के समान एक सामाजिक बुराई हैं, जो मुस्लिम महिलाओं की परेशानी का सबब हैं और बेहद गंभीर स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और भावनात्मक जोखिम वाले हालात पैदा करते हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि जनवरी 2022 में 'काजी' के कार्यालय से एक पहले से भरा पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें अस्पष्ट आरोप लगाए गए थे. उनके पति की ओर से कहा गया कि इन 'शर्तों' के चलते इस रिश्ते को जारी रखना संभव नहीं है और उन्हें वैवाहिक संबंधों से मुक्ति दे दी गई है.

याचिका में कहा गया, 'इन शब्दों को किनाया शब्द कहा जाता है (अस्पष्ट शब्द या अस्पष्ट रूप जैसे, मैंने तुम्हें आज़ाद किया, अब तुम आज़ाद हो, तुम/ये रिश्ता मुझ पर हराम है, अब तुम मुझसे अलग हो गए हो, आदि) जिनके जरिये तलाक-ए-किनाया या तलाक-ए-बैन (तलाक का तात्कालिक और अपरिवर्तनीय और न्यायेतर रूप, एकल बैठक में, या तो उच्चारित या लिखित/इलेक्ट्रॉनिक रूप में) दिया जाता है.'

ये है मामला : याचिकाकर्ता कर्नाटक की पेशे से डॉक्टर सैयदा अंबरीन ने कहा कि उनकी शादी 22 अक्टूबर, 2020 को मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार एक डॉक्टर से हुई थी. शादी के बाद, उसके पति और उसके परिवार के सदस्यों ने दहेज के लिए उसे शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. जब याचिकाकर्ता के पिता ने दहेज देने से इनकार कर दिया, तो उसके पति ने उसे एक काजी और वकील के माध्यम से तलाक-ए-किनाया/तलाक-ए-बैन दिया, जो पूरी तरह से अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ है.

पढ़ें- दहेज में बुलेट नहीं मिलने पर पत्नी को पीटकर गंजा किया, तीन तलाक दिया

याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बैन मनमाने ढंग से तर्कहीन हैं और न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के विपरीत हैं बल्कि पूरी तरह से नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के खिलाफ हैं.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 'तलाक-ए-किनाया' और 'तलाक-ए-बैन' सहित मुसलमानों के बीच 'एकतरफा और न्यायेतर' तलाक के सभी रूपों को अमान्य और असंवैधानिक घोषित करने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा.

  • Supreme Court has issued notice, tagged the plea seeking declaration that all forms of unilateral and extra-judicial Talaq including 'Talaq-e-Kinaya' and 'Talaq-e-Bain' as void and unconstitutional, with other petitions dealing with similar issues.

    — ANI (@ANI) October 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने विधि एवं न्याय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी.

शीर्ष अदालत कर्नाटक स्थित सैयदा अंबरीन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि ये प्रथाएं मनमानी, तर्कहीन और समानता, गैर-भेदभाव, जीवन और धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों के विपरीत हैं. याचिकाकर्ता ने केंद्र को 'लिंग तटस्थ और धर्म तटस्थ तलाक के समान आधार और सभी नागरिकों के लिए तलाक की समान प्रक्रिया' के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की भी मांग की है.

याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-किनाया, तलाक-ए-बैन और एकतरफा और न्यायेतर तलाक के अन्य रूप सती के समान एक सामाजिक बुराई हैं, जो मुस्लिम महिलाओं की परेशानी का सबब हैं और बेहद गंभीर स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और भावनात्मक जोखिम वाले हालात पैदा करते हैं.

याचिकाकर्ता ने कहा कि जनवरी 2022 में 'काजी' के कार्यालय से एक पहले से भरा पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें अस्पष्ट आरोप लगाए गए थे. उनके पति की ओर से कहा गया कि इन 'शर्तों' के चलते इस रिश्ते को जारी रखना संभव नहीं है और उन्हें वैवाहिक संबंधों से मुक्ति दे दी गई है.

याचिका में कहा गया, 'इन शब्दों को किनाया शब्द कहा जाता है (अस्पष्ट शब्द या अस्पष्ट रूप जैसे, मैंने तुम्हें आज़ाद किया, अब तुम आज़ाद हो, तुम/ये रिश्ता मुझ पर हराम है, अब तुम मुझसे अलग हो गए हो, आदि) जिनके जरिये तलाक-ए-किनाया या तलाक-ए-बैन (तलाक का तात्कालिक और अपरिवर्तनीय और न्यायेतर रूप, एकल बैठक में, या तो उच्चारित या लिखित/इलेक्ट्रॉनिक रूप में) दिया जाता है.'

ये है मामला : याचिकाकर्ता कर्नाटक की पेशे से डॉक्टर सैयदा अंबरीन ने कहा कि उनकी शादी 22 अक्टूबर, 2020 को मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार एक डॉक्टर से हुई थी. शादी के बाद, उसके पति और उसके परिवार के सदस्यों ने दहेज के लिए उसे शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित किया. जब याचिकाकर्ता के पिता ने दहेज देने से इनकार कर दिया, तो उसके पति ने उसे एक काजी और वकील के माध्यम से तलाक-ए-किनाया/तलाक-ए-बैन दिया, जो पूरी तरह से अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ है.

पढ़ें- दहेज में बुलेट नहीं मिलने पर पत्नी को पीटकर गंजा किया, तीन तलाक दिया

याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-किनाया और तलाक-ए-बैन मनमाने ढंग से तर्कहीन हैं और न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के विपरीत हैं बल्कि पूरी तरह से नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के खिलाफ हैं.

Last Updated : Oct 10, 2022, 8:19 PM IST
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