पृथ्वी का तीन-चौथाई भाग पानी से ढका हुआ है लेकिन सिर्फ 2.5 प्रतिशत मानव द्वारा उपभोग के लिए उपयुक्त है. आबादी की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जल का संरक्षण किया जाना आवश्यक है. पेयजल की सुरक्षित प्राप्ति, वितरण और उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी योजना और रणनीति तैयार किया जाना महत्वपूर्ण है.
ग्रामीण आबादी के जीवन को बेहतर बनाने के इरादे से केंद्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान, ग्रामीण आवास योजना, उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना को सफलतापूर्वक लागू कर रही है. अधिकांश गांवों में अभी भी सुरक्षित पेयजल की भारी कमी है. जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) को शुरू किया ताकि हर घर तक पाइप द्वारा पानी पहुंचाया जा सके.
इस पहल का लक्ष्य ग्रामीण भारत के सभी घरों में 2024 तक व्यक्तिगत नल का कनेक्शन प्रदान करना है.
कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता में तेजी से गिरावट को दर्ज किया है. जल संरक्षण के मुकाबले पानी का उपयोग असंगत दर से बढ़ रहा है. भारत सरकार ने 1972 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गांवों में पेयजल आपूर्ति योजनाओं को लागू करने के लिए त्वरित ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम (एआरडब्लूएसपी) की शुरुआत की थी.
सरकार द्वारा चलाए गए पेयजल कार्यक्रम
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्लूपी) 2017 के माध्यम से जल शक्ति मंत्रालय का उद्देश्य देश में ग्रामीण आबादी को पर्याप्त और सुरक्षित पेयजल के विस्तार में सुधार करना है. बावजूद इसके देश में केवल 3.23 करोड़ ग्रामीण घरों में नल के कनेक्शन हैं. अगस्त 2019 में, हर ग्रामीण परिवार को कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को जल जीवन मिशन में पुनर्गठित कर दिया है.
राज्यों को जल जीवन मिशन की राशि का आवंटन ग्रामीण आबादी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के निवासियों और नागरिकों के आधार पर संशोधित किया गया है जो भारी धातुओं सहित रासायनिक दूषित पदार्थों से प्रभावित आवास स्थानों में रहते हैं.
पिछले बजट में इस महत्वाकांक्षी मिशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. 2019-20 के दौरान, 83.84 लाख परिवारों को जेजेएम के माध्यम से नल कनेक्शन प्राप्त हुए. 2020-21 में केंद्र ने 23,500 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए समय सीमा निर्धारित की है.
हर घर होगा नल कनेक्शन
गोवा ने पहले ही 100 प्रतिशत नल कनेक्शन देने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और सिक्किम 2022 तक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जबकि असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल ने 2024 में पूर्ण संतृप्ति की योजना बनाई है.
अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2023 तक 100 प्रतिशत कवरेज का लक्ष्य रखा है. तेलंगाना मिशन भगीरथ के माध्यम से प्रत्येक गांव और शहर के घरों के लिए सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति करने में सफल रहा है. राज्य में 98.31 प्रतिशत कार्यात्मक नल कनेक्शन हैं और 100 प्रतिशत लक्ष्य तक पहुंचने के लिए दूसरे राज्य का स्थान पाने के लिए तेजी से काम चल रहा है.
ग्राम पंचायतों को गांवों में पेयजल सुविधा सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए. तालाबों और झीलों जैसे परंपरागत जल स्रोतों को पीने के पानी के लिए टिकाऊ और दीर्घकालिक उपयोग के लिए पुनर्जीवित किया जाना चाहिए. सरकार को सुरक्षित पेयजल का लक्ष्य प्राप्त करने और ग्रामीण भारत के जीवन स्तर में सुधार करने के लिए अनुसंधान और विकास एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों, महिला स्वयं सहायता समूहों और कॉरपोरेट्स के साथ साझेदारी करनी चाहिए.