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भोपाल अग्निकांड हादसे में GAD की अनदेखी! 4 साल से भरा है सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में कबाड़, पत्र लिखकर किया गया था अलर्ट

Satpura Bhawan Fire Incident: सतपुड़ा अग्निकांड हादसे में गठित कमेटी की जांच पूरी हो गई है, लेकिन उसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है. इस दौरान ईटीवी भारत की इंवेस्टिगेशन में एक बड़ी बात का खुलासा हुआ कि सतपुड़ा भवन में जिस पुरानी सामग्री और फर्नीचर के कारण आग बढ़ी, वह बीते 4 साल से सीढ़ियों पर रखा था.

satpura bhawan fire files
सतपुड़ा भवन फायर फाइल्स
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Published : Jun 16, 2023, 12:44 PM IST

Updated : Jun 16, 2023, 2:31 PM IST

4 साल से भरा है सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में कबाड़

भोपाल। "सतपुड़ा और विंध्याचल भवन की सीढ़ियों, बैसमेंट और छत पर पुराना फर्नीचर रखा हुआ है, कृपया इसका निष्पादन किया जाए. संबंधित विभाग को सूचित करके इसे इन जगहों से हटाया जाए." यह इबारत है तत्कालीन सीपीए (राजधानी परियोजना प्रशासन) इंजीनियर्स द्वारा लिखे गए पत्र की, जिसमें आगाह किया जा रहा है कि सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के भीतर रखे कबाड़ को हटा दिया जाए, अन्यथा इससे बड़ा नुकसान हो सकता है.

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
खुले में पड़ा फर्नीचर

हर ओर बस कबाड़ ही कबाड़: ईटीवी भारत के पास संबंधित अधिकारी से बातचीत की रिकार्डिंग मौजूद है. साथ ही एक्सलूसिव तस्वीरें मिली हैं, जिनसे पता चला कि विंध्याचल और सतपुड़ा भवन के यह हाल वर्ष 2019 के बाद से हैं. नवंबर 2020 में खींची गई तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि सतपुड़ा और विंध्याचल भवन की छत से लेकर नीचे बैसमेंट तक कबाड़ ही कबाड़ भरा है. उस समय भी ग्राउंड फ्लोर पर अलमारियों का ढेर था, इनके भीतर फाइलें रखी गई हैं.

ग्राउंड फ्लोर से लगी पीछे की तरफ वाली छत पर भी कबाड़ था, लोहे और लकड़ी की अलमारी के साथ दूसरे तरह का फर्नीचर भी खुले में डाल दिया गया था. ऊपर के फ्लोर पर यानी पांचवी मंजिल की सीढ़ियां और छत पर भी कबाड़ था, विंग ए और बी दोनों तरह कबाड़ गैलेरी में भी रखा हुआ था.

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
सतपुड़ा और विंध्याचल में कबाड़

स्कूलों में फर्नीचर देने की थी योजना: सरकार की तीनों महत्वपूर्ण इमारतें वल्लभ भवन, विंध्याचल और सतपुड़ा की देखरेख का जिम्मा राजधानी परियोजना प्रशासन का था, एक बड़ी जानकारी मिली है कि वर्ष 2020 में कबाड़ हटाने के लिए पत्राचार हुआ था. सीपीए के तत्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सीएस जायसवाल ने सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में भरे कबाड़ को हटाने के लिए पहले संबंधित विभाग और फिर जीएडी यानी सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखे थे, लेकिन इस पर एक्शन नहीं हुआ.

इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने निरीक्षण करवाकर संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भी कहा था, लेकिन इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक कि इस पूरे फर्नीचर को नीलाम करने की योजना भी बनाई, जब इस पर अमल नहीं हुआ तो तय किया कि सरकारी स्कूलों में यह फर्नीचर दे दिया जाए. हालांकि बाद में इस पर भी अमल नहीं हुआ.

जरूर पढ़िए ये खबरें:

पढ़िए जिम्मेदरों के जवाब: कबाड़ हटाने को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के रजिस्ट्रार मनोज श्रीवास्तव से बात की तो वे बोले कि "मेरी जानकारी में नहीं है कि ऐसा कोई पत्र आया था. हम वैसे भी आवंटन करने के लिए सीमित हैं, यानी किसी विभाग ने एक बार दफ्तर के लिए स्पेस मांगा तो उसे आवंटन कर दिया और इसके बाद जिम्मेदारी संबंधित मेंटनेंस एजेंसी की है."

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
सतपुड़ा और विंध्याचल के कबाड़ भी रखी पुरानी फाइल्स

अब आते हैं मेंटनेंस एजेंसी के ऊपर तो एक साल पहले तक जवाबदारी राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) के पास थी, लेकिन इसका जब लोक निर्माण विभाग (PWD) जिम्मा संभाल रहा है. ईटीवी भारत ने PWD के इंजीनियर इन चीफ (ENC) आरके मेहरा से बात और पूछा कि आपने क्यों ध्यान नहीं दिया तो वे बोले कि "हमारा काम मेंटनेंस करने का है. हम सामान्य प्रशासन विभाग को लिख सकते हैं, लेकिन अपनी मर्जी से हटा नहीं सकते."

4 साल से भरा है सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में कबाड़

भोपाल। "सतपुड़ा और विंध्याचल भवन की सीढ़ियों, बैसमेंट और छत पर पुराना फर्नीचर रखा हुआ है, कृपया इसका निष्पादन किया जाए. संबंधित विभाग को सूचित करके इसे इन जगहों से हटाया जाए." यह इबारत है तत्कालीन सीपीए (राजधानी परियोजना प्रशासन) इंजीनियर्स द्वारा लिखे गए पत्र की, जिसमें आगाह किया जा रहा है कि सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के भीतर रखे कबाड़ को हटा दिया जाए, अन्यथा इससे बड़ा नुकसान हो सकता है.

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
खुले में पड़ा फर्नीचर

हर ओर बस कबाड़ ही कबाड़: ईटीवी भारत के पास संबंधित अधिकारी से बातचीत की रिकार्डिंग मौजूद है. साथ ही एक्सलूसिव तस्वीरें मिली हैं, जिनसे पता चला कि विंध्याचल और सतपुड़ा भवन के यह हाल वर्ष 2019 के बाद से हैं. नवंबर 2020 में खींची गई तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि सतपुड़ा और विंध्याचल भवन की छत से लेकर नीचे बैसमेंट तक कबाड़ ही कबाड़ भरा है. उस समय भी ग्राउंड फ्लोर पर अलमारियों का ढेर था, इनके भीतर फाइलें रखी गई हैं.

ग्राउंड फ्लोर से लगी पीछे की तरफ वाली छत पर भी कबाड़ था, लोहे और लकड़ी की अलमारी के साथ दूसरे तरह का फर्नीचर भी खुले में डाल दिया गया था. ऊपर के फ्लोर पर यानी पांचवी मंजिल की सीढ़ियां और छत पर भी कबाड़ था, विंग ए और बी दोनों तरह कबाड़ गैलेरी में भी रखा हुआ था.

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
सतपुड़ा और विंध्याचल में कबाड़

स्कूलों में फर्नीचर देने की थी योजना: सरकार की तीनों महत्वपूर्ण इमारतें वल्लभ भवन, विंध्याचल और सतपुड़ा की देखरेख का जिम्मा राजधानी परियोजना प्रशासन का था, एक बड़ी जानकारी मिली है कि वर्ष 2020 में कबाड़ हटाने के लिए पत्राचार हुआ था. सीपीए के तत्कालीन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर सीएस जायसवाल ने सतपुड़ा और विंध्याचल भवन में भरे कबाड़ को हटाने के लिए पहले संबंधित विभाग और फिर जीएडी यानी सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिखे थे, लेकिन इस पर एक्शन नहीं हुआ.

इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग के तत्कालीन रजिस्ट्रार ने निरीक्षण करवाकर संबंधित विभागों को कार्रवाई के लिए भी कहा था, लेकिन इस पर भी कार्रवाई नहीं हुई. यहां तक कि इस पूरे फर्नीचर को नीलाम करने की योजना भी बनाई, जब इस पर अमल नहीं हुआ तो तय किया कि सरकारी स्कूलों में यह फर्नीचर दे दिया जाए. हालांकि बाद में इस पर भी अमल नहीं हुआ.

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पढ़िए जिम्मेदरों के जवाब: कबाड़ हटाने को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग के रजिस्ट्रार मनोज श्रीवास्तव से बात की तो वे बोले कि "मेरी जानकारी में नहीं है कि ऐसा कोई पत्र आया था. हम वैसे भी आवंटन करने के लिए सीमित हैं, यानी किसी विभाग ने एक बार दफ्तर के लिए स्पेस मांगा तो उसे आवंटन कर दिया और इसके बाद जिम्मेदारी संबंधित मेंटनेंस एजेंसी की है."

Satpura and Vindhyachal buildings filled with junk
सतपुड़ा और विंध्याचल के कबाड़ भी रखी पुरानी फाइल्स

अब आते हैं मेंटनेंस एजेंसी के ऊपर तो एक साल पहले तक जवाबदारी राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) के पास थी, लेकिन इसका जब लोक निर्माण विभाग (PWD) जिम्मा संभाल रहा है. ईटीवी भारत ने PWD के इंजीनियर इन चीफ (ENC) आरके मेहरा से बात और पूछा कि आपने क्यों ध्यान नहीं दिया तो वे बोले कि "हमारा काम मेंटनेंस करने का है. हम सामान्य प्रशासन विभाग को लिख सकते हैं, लेकिन अपनी मर्जी से हटा नहीं सकते."

Last Updated : Jun 16, 2023, 2:31 PM IST
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