नई दिल्ली : कांग्रेस नेता के. राजू ने कहा कि दलितों को बांटा जाना जारी है और उनका भगवाकरण चिंता का विषय है जो हाल में उत्तर प्रदेश चुनाव में दिखा. उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न दलित संगठनों को एकजुट होकर एक समेकित शक्ति के रूप में उभरना चाहिए ताकि समुदाय के हितों की रक्षा की जा सके और विभिन्न क्षेत्रों में उनका सही एवं न्यायसंगत दावा सुनिश्चित किया जा सके.
कांग्रेस के अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभागों के राष्ट्रीय समन्वयक राजू ने एक साक्षात्कार में कहा, 'दलित एक समेकित शक्ति नहीं हैं और बिखर गए हैं. दलित, जिनके पास कभी लड़ने की सामान्य ऊर्जा थी, आज नई आकांक्षाएं रख रहे हैं क्योंकि वे शिक्षित हो गए हैं. अब, विभाजनकारी विमर्श भी आ गया है और उन्हें एक समूह के रूप में बिखेर रहा है.'
उन्होंने कहा कि दलितों को यह महसूस करना चाहिए कि यह उनके हित में है कि उन्हें राजनीतिक दलों के लिए एक समूह के रूप में देखा जाना चाहिए ताकि वे उनके महत्व का एहसास कर सकें. राजू ने उल्लेख किया कि दलितों की आबादी 25 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, 'मैं इस बात की पुरजोर वकालत करता हूं कि विभिन्न दलित समूहों का विलय होना चाहिए और उन्हें एक मजबूत राजनीतिक शक्ति के रूप में सामने आना चाहिए.'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'अगर दलितों में जागरूकता हो तो वे किसी भी चुनाव में परिणाम निर्धारित कर सकते हैं. अगर वे एकजुट हो जाते हैं, तो वे अपने लक्ष्यों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.' उन्होंने कहा कि दलितों को अगड़ी जातियों से सीखना चाहिए और अपने भले के विषय को समान ताकत से उठाना चाहिए. राजू ने यह भी कहा, 'दलितों का भगवाकरण हुआ है और यह उत्तर प्रदेश के चुनावों में सामने आया है. दलितों की पहचान आज एक हिंदू के रूप में हो गई है. लेकिन, दलितों को एक दिन इसका एहसास होगा और उन्हें जवाब देना होगा. आज दलित हिंदुत्व के आकर्षण में हैं जो समाज के लिए अच्छा नहीं है.'
यह पूछे जाने पर कि पंजाब में क्या गलत हुआ, जहां कांग्रेस ने दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया था, लेकिन बुरी तरह हार गई, कांग्रेस नेता ने कहा कि चन्नी सरकार से चार साल पहले दलितों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया गया. उन्होंने कहा, 'सिर्फ एक दलित मुख्यमंत्री की घोषणा करना ही काफी नहीं है, दलितों के लिए पार्टी के विमर्श को प्रदर्शित करना होगा. दलितों को ऐसी प्रतीकात्मक चीजों पर हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक सतत दृष्टिकोण की जरूरत है.' पूर्व नौकरशाह ने कहा कि दलितों के दृष्टिकोण को साकार करने की लड़ाई को समुदाय को समझने की जरूरत है. हाल के उत्तर प्रदेश चुनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के प्रयास बेकार नहीं जाएंगे तथा आने वाले दिनों में जब संसदीय चुनाव होगा तो चीजें अलग होंगी.
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(पीटीआई-भाषा)