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रूस-यूक्रेन संघर्ष : 'एक्शन मोड' में सोशल मीडिया - रशियन टुडे स्पुतनिक पर प्रतिबंध फेसबुक यूट्यूब ट्वीटर

दो देशों के बीच जब युद्ध चल रहा हो और वह भी 2022 में, तो आप कब तक सूचनाओं को छिपा सकेंगे. इसका जवाब ढूंढना थोड़ा मुश्किल है. वह भी तब जबकि दुनिया की बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों पर अमेरिका का कब्जा हो. फिर चाहे वह गूगल हो या फेसबुक या व्हाट्सएप. इन कंपनियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या कदम उठाए (action of social media) हैं, जानने कि लिए पढ़ें पूरी खबर. (russia ukraine conflict).

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Published : Mar 2, 2022, 5:35 PM IST

हैदराबाद : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच सूचना प्रसार को लेकर भी वैश्विक जंग जैसी स्थिति बन चुकी है. अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनियों ने रूसी समर्थक चैनलों और अखबारों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. गूगल ने रशियन टुडे न्यूज और स्पुतनिक जैसे एप गूगल प्ले स्टोर से हटा दिए हैं. यूटयूब भी इन पर प्रतिबंध लगा चुका है. (russia ukraine conflict).

इसी तरह से अमेरिकी कंपनी एप्पल ने भी अपने एप स्टोर से रूसी चैनल्स पर प्रतिबंध लगा दिया (action of social media) है. इन दिग्गज टेक कंपनियों ने दावा किया है कि ये सभी मीडिया चैनल्स यूक्रेन को लेकर गलत जानकारी प्रसारित कर रहे थे. फेसबुक की मदर कंपनी मेटा ने भी ऐसे ही कदम उठाए हैं. गूगल मैप्स के लाइव फीचर को यूक्रेन में बंद कर दिया गया है. यही फीचर एप्पल में भी उपलब्ध है. उन्होंने भी यूक्रेन में अपने लाइव फीचर को बंद कर दिया है. उनका कहना है कि रूसी सेना इससे फायदा उठाकर यूक्रेन पर तेजी से आगे बढ़ सकती है.

एप्पल ने अपने स्टोर में सभी रूसी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है. आप कोई भी रूसी सामान को यहां से नहीं खरीद सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रशियन टुडे ने इन प्रतिबंधों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप सही नहीं हैं. स्पुतनिक की ओर से कई टिप्पणी नहीं आई है.

यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष का एक बयान मीडिया में सामने आया है. इसमें कहा गया है कि रूसी सरकार के स्वामित्व वाले रशिया टुडे, स्पुतनिक और उनकी सहायक कंपनियां अब पुतिन के युद्ध को सही ठहराने के लिए अपना झूठ नहीं फैला सकेंगी. हम यूरोप में उनके विषाक्त और हानिकारक दुष्प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के लिए उपकरण विकसित कर रहे हैं.

फेसबुक की मदर कंपनी मेटा में वैश्विक मामलों के अध्यक्ष निक क्लेग ने ट्विटर पर कहा, 'हमें रूसी सरकार नियंत्रित मीडिया के संबंध में और कदम उठाने के लिए कई सरकारों और यूरोपीय संघ से अनुरोध प्राप्त हुए हैं.'

मेटा ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन में ऐसे लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद किए हैं, जो पत्रकार के रूप में रहकर गलत जानकारी प्रसारित कर रहे हैं. मेटा ने कहा कि पत्रकार के रूप में फर्जी समाचार संपादक, विमानन इंजीनियर और लेखक बनकर रूसी हमले के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं.

वैसे, किसकी सूचना सही है, किसकी सूचना गलत है, कहना मुश्किल है. क्योंकि यूक्रेन ने सोशल मीडिया पर दावा किया है कि उसकी सेना ने रूस के 5710 सैनिकों को मार गिराया है, लेकिन स्वतंत्र मीडिया में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. महत्वपूर्ण ये भी है कि यदि युद्ध जारी है तो नुकसान तो दोनों पक्ष का हुआ होगा. फिर यूक्रेन के कितने सैनिक मरे, इसके बारे में तो यूक्रेन ने कोई जानकारी नहीं दी है.

इन सबसे हटकर चीनी सोशल मीडिया वीबो (चीन का ट्वीटर वर्जन) और टिकटॉक पुतिन के समर्थन में खबरें चला रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर पुतिन को 'सम्राट पुतिन' कहकर संबोधित किया जा रहा है. चीन में सोशल मीडिया संचालकों को स्पष्ट आदेश दिया गया है कि वे उन पोस्ट को डिलीट कर दें, जो पुतिन के खिलाफ हैं या फिर उस पोस्ट में पश्चिमी देशों की तारीफ की जा रही है.

रक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जब दो देशों के बीच युद्ध चल रहा हो, तो इन्फॉर्मेशन वॉर बहुत बड़ी रणनीति होती है. हर देश चाहता है कि सिर्फ उनकी ही सूचना पूरी दुनिया तक पहुंचे. लेकिन जब जंग 2022 में हो रहा हो, और इतने सारे तकनीक विकसित हो चुके हैं, कब तक सूचनाओं को छिपाया जा सकता है, कहना मुश्किल है.

ये भी पढे़ं : ukraine russia crisis : पीएम मोदी ने कहा- दुनिया में बन रही नई व्यवस्थाएं, 'आत्मनिर्भर भारत' जरूरी

हैदराबाद : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के बीच सूचना प्रसार को लेकर भी वैश्विक जंग जैसी स्थिति बन चुकी है. अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनियों ने रूसी समर्थक चैनलों और अखबारों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं. गूगल ने रशियन टुडे न्यूज और स्पुतनिक जैसे एप गूगल प्ले स्टोर से हटा दिए हैं. यूटयूब भी इन पर प्रतिबंध लगा चुका है. (russia ukraine conflict).

इसी तरह से अमेरिकी कंपनी एप्पल ने भी अपने एप स्टोर से रूसी चैनल्स पर प्रतिबंध लगा दिया (action of social media) है. इन दिग्गज टेक कंपनियों ने दावा किया है कि ये सभी मीडिया चैनल्स यूक्रेन को लेकर गलत जानकारी प्रसारित कर रहे थे. फेसबुक की मदर कंपनी मेटा ने भी ऐसे ही कदम उठाए हैं. गूगल मैप्स के लाइव फीचर को यूक्रेन में बंद कर दिया गया है. यही फीचर एप्पल में भी उपलब्ध है. उन्होंने भी यूक्रेन में अपने लाइव फीचर को बंद कर दिया है. उनका कहना है कि रूसी सेना इससे फायदा उठाकर यूक्रेन पर तेजी से आगे बढ़ सकती है.

एप्पल ने अपने स्टोर में सभी रूसी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा रखा है. आप कोई भी रूसी सामान को यहां से नहीं खरीद सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रशियन टुडे ने इन प्रतिबंधों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप सही नहीं हैं. स्पुतनिक की ओर से कई टिप्पणी नहीं आई है.

यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष का एक बयान मीडिया में सामने आया है. इसमें कहा गया है कि रूसी सरकार के स्वामित्व वाले रशिया टुडे, स्पुतनिक और उनकी सहायक कंपनियां अब पुतिन के युद्ध को सही ठहराने के लिए अपना झूठ नहीं फैला सकेंगी. हम यूरोप में उनके विषाक्त और हानिकारक दुष्प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के लिए उपकरण विकसित कर रहे हैं.

फेसबुक की मदर कंपनी मेटा में वैश्विक मामलों के अध्यक्ष निक क्लेग ने ट्विटर पर कहा, 'हमें रूसी सरकार नियंत्रित मीडिया के संबंध में और कदम उठाने के लिए कई सरकारों और यूरोपीय संघ से अनुरोध प्राप्त हुए हैं.'

मेटा ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन में ऐसे लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद किए हैं, जो पत्रकार के रूप में रहकर गलत जानकारी प्रसारित कर रहे हैं. मेटा ने कहा कि पत्रकार के रूप में फर्जी समाचार संपादक, विमानन इंजीनियर और लेखक बनकर रूसी हमले के बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं.

वैसे, किसकी सूचना सही है, किसकी सूचना गलत है, कहना मुश्किल है. क्योंकि यूक्रेन ने सोशल मीडिया पर दावा किया है कि उसकी सेना ने रूस के 5710 सैनिकों को मार गिराया है, लेकिन स्वतंत्र मीडिया में इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. महत्वपूर्ण ये भी है कि यदि युद्ध जारी है तो नुकसान तो दोनों पक्ष का हुआ होगा. फिर यूक्रेन के कितने सैनिक मरे, इसके बारे में तो यूक्रेन ने कोई जानकारी नहीं दी है.

इन सबसे हटकर चीनी सोशल मीडिया वीबो (चीन का ट्वीटर वर्जन) और टिकटॉक पुतिन के समर्थन में खबरें चला रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां पर पुतिन को 'सम्राट पुतिन' कहकर संबोधित किया जा रहा है. चीन में सोशल मीडिया संचालकों को स्पष्ट आदेश दिया गया है कि वे उन पोस्ट को डिलीट कर दें, जो पुतिन के खिलाफ हैं या फिर उस पोस्ट में पश्चिमी देशों की तारीफ की जा रही है.

रक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जब दो देशों के बीच युद्ध चल रहा हो, तो इन्फॉर्मेशन वॉर बहुत बड़ी रणनीति होती है. हर देश चाहता है कि सिर्फ उनकी ही सूचना पूरी दुनिया तक पहुंचे. लेकिन जब जंग 2022 में हो रहा हो, और इतने सारे तकनीक विकसित हो चुके हैं, कब तक सूचनाओं को छिपाया जा सकता है, कहना मुश्किल है.

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