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ऐसी क्या मजबूरी है, जिससे बीमार लालू यादव को उपचुनाव के प्रचार में उतरना पड़ा ?

उपचुनाव अक्सर इतना बड़ा चैलेंज नहीं होता, जिसको लेकर पार्टियां सर्वस्व दांव पर लगा दे. मगर बिहार में उपचुनाव में आरजेडी और जेडी-यू के अलावा अलावा कांग्रेस ने ताकत झोंक दी है. जेडी-यू अगर हार जाती है तो नीतीश के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे. अगर कांग्रेस जीती तो आरजेडी की मुसीबत बढ़ जाएगी. जानिए और क्या है राजद की चुनौती, जिसने बीमार लालू प्रसाद यादव को मैदान में उतरने के लिए मजबूर कर दिया.

lalu prasad bihar byelection
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Published : Oct 25, 2021, 4:40 PM IST

हैदराबाद : 41 महीने बाद लालू प्रसाद यादव बिहार लौटे और प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी. वह तारापुर और कुशेश्‍वरस्‍थान उपचुनाव के लिए प्रचार भी करेंगे, जहां कांग्रेस की कमान कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी संभाल रहे हैं. इस उपचुनाव में कांग्रेस और आरजेडी अब आमने-सामने हैं और गठबंधन टूटने के बाद दोनों तरफ से वार पलटवार कर रहे हैं.

24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में हैं लालू यादव : दो विधानसभा के उपचुनाव में ऐसा क्या छिपा है, जिसे हासिल करने के लिए बीमार लालू प्रसाद को करीब साढ़े तीन साल बाद मैदान में उतरने के लिए मजबूर कर दिया. लालू प्रसाद यादव इससे पहले 10 मई 2018 को बेटे तेजप्रताप यादव की शादी में पटना आए थे. इसी साल 30 अप्रैल को उन्हें चारा घोटाले मामले में जमानत मिली थी. जमानत के बाद वह दिल्ली में बेटी मीसा भारती के आवास पर रह रहे थे. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, लालू प्रसाद की बीमारी की स्थिति यह है कि पटना में उनके साथ 24 घंटे डॉक्टरों की टीम की ड्यूटी लगाई गई है. साथ ही, उनके कमरे में गिने-चुने लोगों को जाने की अनुमति दी गई है.

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लालू प्रसाद यादव .

आरजेडी का कवच हैं लालू, जिसे भेदना कांग्रेस के लिए आसान नहीं : ध्यान रहे लालू प्रसाद यादव की यह यात्रा उस समय हो रही है, जब कांग्रेस आरजेडी पर हमला बोल रही है और उनके बड़े बेटे तेजप्रताप राष्ट्रीय जनता दल में अपने भाई तेजस्वी के नेतृत्व को लगातार चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अतिरेक कुमार को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. साथ ही तारापुर में संजय कुमार को छात्र जनशक्ति परिषद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, तेजप्रताप ने यह घोषणा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार की गुजारिश पर की थी. इसके अलावा तेजप्रताप राष्ट्रीय जनता दल में अपनी हैसियत को लेकर भी असंतुष्ट है और उन्होंने छात्र जनशक्ति परिषद के नाम से संगठन भी बना रखा है.

  • #WATCH | Delhi: RJD leader Lalu Prasad Yadav speaks on the breaking of party's alliance with Congress in Bihar. He says, "What is Congress' alliance? Would we have left everything to Congress for a loss? For losing of deposits?"

    The RJD leader will go to Patna. pic.twitter.com/3IZpa41zuU

    — ANI (@ANI) October 24, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले ही लालू यादव ने कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने कहा कि जमानत जब्त कराने वाले दल से गठबंधन नहीं किया जा सकता है. हालांकि इस बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास को भकचोंधर बोल दिया. इस पर वह दलित आलोचना के आरोपों से घिर गए.

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तेजस्वी की पकड़ आरजेडी में मजबूत है.

लालू प्रसाद यादव का फैसला सही या गलत, यह भी तय होगा : 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के प्रत्याशी जीते थे. कुशेश्वरस्थान से विधायक शशिभूषण हजारी और तारापुर के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के बाद दोनों सीटें खाली हो गई थीं. दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार रनर-अप थे. इस उपचुनाव में कांग्रेस की दावेदारी खुद लालू प्रसाद ने खारिज की थी और राजद उम्मीदवारों का चयन किया है. इस तरह उन्होंने महागठबंधन को एक झटके से खत्म कर दिया. अब इन सीटों पर हार-जीत में आरजेडी का राजनीतिक भविष्य भी जुड़ा है.

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तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार बनाम तेजस्वी यादव, कौन है दमदार युवा चेहरा : उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किया. जेएनयू के दौर से ही कन्हैया के की तुलना तेजस्वी यादव से हो रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी गठबंधन के बावजूद तेजस्वी ने कभी कन्हैया के साथ मंच साझा नहीं किया. कन्हैया भी गाहे-बगाहे वंशवाद की राजनीति के बहाने तेजस्वी और लालू यादव पर हमला करते रहे. तेजस्वी यादव के पास पार्टी का कैडर वोट और कार्यकर्ता है और विधानसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीट बटोरकर काबिलियत साबित कर चुके हैं. फिलहाल अब यह पेंच फंसा है कि फिलहाल केंद्र और बिहार की राजनीति में दमदार युवा चेहरा कौन है ? कांग्रेस के कन्हैया या आरजेडी के तेजस्वी यादव.

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तेजस्वी बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं, तेजप्रताप भी पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं.

तेजस्वी की साख को बचाने के लिए मैदान में उतरे लालू : कन्हैया ने कांग्रेस की तरफ से जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल के साथ तारापुर और कुशेश्वरस्थान पर कैंप कर रखा है. यहां तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर है. अगर कांग्रेस सीट जीत जाती है या दूसरे स्थान पर भी रहती है, तो यह तेजस्वी के ब्रांड वैल्यू को खत्म कर सकता है. किसी हालत में कांग्रेस से नीचे रहना आरजेडी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. लालू प्रसाद राजनीतिक संकट के दौर में ब्रांड तेजस्वी को खराब नहीं होने देना चाहेंगे, इसलिए बीमार होने के बाद भी उन्होंने चुनावी मैदान का रुख कर लिया.

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लालू प्रसाद के पटना आगमन पर तेजप्रताप.

तेजप्रताप की ख्वाहिश का समाधान करने की कोशिश : लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बड़े बेटे तेजप्रताप पिछले एक साल से तेजस्वी के लिए सिरदर्द बन गए हैं. वह जगदानंद सिंह की आलोचना के बहाने तेजस्वी को निशाने पर लेते हैं. राजनीतिक वारिस बनने की लड़ाई में आरजेडी की छबि बिगड़ रही है और संगठन में गुट बन गए हैं. रविवार को भी जब लालू प्रसाद पटना पहुंचे तो तेजप्रताप ने धरना, रूठना और मान मनौव्वल का लंबा एपिसोड किया. बताया जाता है कि लालू यादव ने कई बार तेजस्वी को समझाने की कोशिश की, मगर असफल रहे. उपचुनाव के नतीजों के बाद वह इस संकट का परमानेंट समाधान भी निकालेंगे.

इसे भी पढ़ें : लालू ने तेजप्रताप के आवास पर जाकर की भेंट, पिता से मिलकर बेटा हुआ भावुक

हैदराबाद : 41 महीने बाद लालू प्रसाद यादव बिहार लौटे और प्रदेश की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी. वह तारापुर और कुशेश्‍वरस्‍थान उपचुनाव के लिए प्रचार भी करेंगे, जहां कांग्रेस की कमान कन्हैया कुमार, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी संभाल रहे हैं. इस उपचुनाव में कांग्रेस और आरजेडी अब आमने-सामने हैं और गठबंधन टूटने के बाद दोनों तरफ से वार पलटवार कर रहे हैं.

24 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में हैं लालू यादव : दो विधानसभा के उपचुनाव में ऐसा क्या छिपा है, जिसे हासिल करने के लिए बीमार लालू प्रसाद को करीब साढ़े तीन साल बाद मैदान में उतरने के लिए मजबूर कर दिया. लालू प्रसाद यादव इससे पहले 10 मई 2018 को बेटे तेजप्रताप यादव की शादी में पटना आए थे. इसी साल 30 अप्रैल को उन्हें चारा घोटाले मामले में जमानत मिली थी. जमानत के बाद वह दिल्ली में बेटी मीसा भारती के आवास पर रह रहे थे. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, लालू प्रसाद की बीमारी की स्थिति यह है कि पटना में उनके साथ 24 घंटे डॉक्टरों की टीम की ड्यूटी लगाई गई है. साथ ही, उनके कमरे में गिने-चुने लोगों को जाने की अनुमति दी गई है.

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लालू प्रसाद यादव .

आरजेडी का कवच हैं लालू, जिसे भेदना कांग्रेस के लिए आसान नहीं : ध्यान रहे लालू प्रसाद यादव की यह यात्रा उस समय हो रही है, जब कांग्रेस आरजेडी पर हमला बोल रही है और उनके बड़े बेटे तेजप्रताप राष्ट्रीय जनता दल में अपने भाई तेजस्वी के नेतृत्व को लगातार चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने कुशेश्वरस्थान सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अतिरेक कुमार को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. साथ ही तारापुर में संजय कुमार को छात्र जनशक्ति परिषद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, तेजप्रताप ने यह घोषणा कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार की गुजारिश पर की थी. इसके अलावा तेजप्रताप राष्ट्रीय जनता दल में अपनी हैसियत को लेकर भी असंतुष्ट है और उन्होंने छात्र जनशक्ति परिषद के नाम से संगठन भी बना रखा है.

  • #WATCH | Delhi: RJD leader Lalu Prasad Yadav speaks on the breaking of party's alliance with Congress in Bihar. He says, "What is Congress' alliance? Would we have left everything to Congress for a loss? For losing of deposits?"

    The RJD leader will go to Patna. pic.twitter.com/3IZpa41zuU

    — ANI (@ANI) October 24, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

हालांकि चुनाव प्रचार शुरू करने से पहले ही लालू यादव ने कांग्रेस पर हमला किया. उन्होंने कहा कि जमानत जब्त कराने वाले दल से गठबंधन नहीं किया जा सकता है. हालांकि इस बातचीत के दौरान उन्होंने कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास को भकचोंधर बोल दिया. इस पर वह दलित आलोचना के आरोपों से घिर गए.

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तेजस्वी की पकड़ आरजेडी में मजबूत है.

लालू प्रसाद यादव का फैसला सही या गलत, यह भी तय होगा : 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के प्रत्याशी जीते थे. कुशेश्वरस्थान से विधायक शशिभूषण हजारी और तारापुर के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के बाद दोनों सीटें खाली हो गई थीं. दोनों सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार रनर-अप थे. इस उपचुनाव में कांग्रेस की दावेदारी खुद लालू प्रसाद ने खारिज की थी और राजद उम्मीदवारों का चयन किया है. इस तरह उन्होंने महागठबंधन को एक झटके से खत्म कर दिया. अब इन सीटों पर हार-जीत में आरजेडी का राजनीतिक भविष्य भी जुड़ा है.

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तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार

कन्हैया कुमार बनाम तेजस्वी यादव, कौन है दमदार युवा चेहरा : उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को पार्टी में शामिल किया. जेएनयू के दौर से ही कन्हैया के की तुलना तेजस्वी यादव से हो रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी गठबंधन के बावजूद तेजस्वी ने कभी कन्हैया के साथ मंच साझा नहीं किया. कन्हैया भी गाहे-बगाहे वंशवाद की राजनीति के बहाने तेजस्वी और लालू यादव पर हमला करते रहे. तेजस्वी यादव के पास पार्टी का कैडर वोट और कार्यकर्ता है और विधानसभा चुनाव में उम्मीद से ज्यादा सीट बटोरकर काबिलियत साबित कर चुके हैं. फिलहाल अब यह पेंच फंसा है कि फिलहाल केंद्र और बिहार की राजनीति में दमदार युवा चेहरा कौन है ? कांग्रेस के कन्हैया या आरजेडी के तेजस्वी यादव.

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तेजस्वी बिहार के डिप्टी सीएम रह चुके हैं, तेजप्रताप भी पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं.

तेजस्वी की साख को बचाने के लिए मैदान में उतरे लालू : कन्हैया ने कांग्रेस की तरफ से जिग्नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल के साथ तारापुर और कुशेश्वरस्थान पर कैंप कर रखा है. यहां तेजस्वी की प्रतिष्ठा दांव पर है. अगर कांग्रेस सीट जीत जाती है या दूसरे स्थान पर भी रहती है, तो यह तेजस्वी के ब्रांड वैल्यू को खत्म कर सकता है. किसी हालत में कांग्रेस से नीचे रहना आरजेडी के लिए नुकसानदेह हो सकता है. लालू प्रसाद राजनीतिक संकट के दौर में ब्रांड तेजस्वी को खराब नहीं होने देना चाहेंगे, इसलिए बीमार होने के बाद भी उन्होंने चुनावी मैदान का रुख कर लिया.

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लालू प्रसाद के पटना आगमन पर तेजप्रताप.

तेजप्रताप की ख्वाहिश का समाधान करने की कोशिश : लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के बड़े बेटे तेजप्रताप पिछले एक साल से तेजस्वी के लिए सिरदर्द बन गए हैं. वह जगदानंद सिंह की आलोचना के बहाने तेजस्वी को निशाने पर लेते हैं. राजनीतिक वारिस बनने की लड़ाई में आरजेडी की छबि बिगड़ रही है और संगठन में गुट बन गए हैं. रविवार को भी जब लालू प्रसाद पटना पहुंचे तो तेजप्रताप ने धरना, रूठना और मान मनौव्वल का लंबा एपिसोड किया. बताया जाता है कि लालू यादव ने कई बार तेजस्वी को समझाने की कोशिश की, मगर असफल रहे. उपचुनाव के नतीजों के बाद वह इस संकट का परमानेंट समाधान भी निकालेंगे.

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