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कोविड के बीच प्राइमरी स्कूल खोलने पर छिड़ी बहस, विशेषज्ञों ने किया आगाह

कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच कई राज्यों ने प्राइमरी स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है. कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके खिलाफ हैं और स्कूल खोलने के फैसले पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है. ईटीवी भारत संवाददाता गौतम देबरॉय ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से इस मुद्दे पर चर्चा की...

प्राइमरी स्कूल खोलने पर छिड़ी बहस
प्राइमरी स्कूल खोलने पर छिड़ी बहस
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Published : Aug 30, 2021, 7:47 PM IST

Updated : Aug 30, 2021, 9:21 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच, देशभर में प्राइमरी स्कूलों को फिर से खोलने पर बहस छिड़ गई है. हालांकि, केंद्र सरकार ने बच्चों के स्कूल फिर से खोलने के निर्णय का न तो समर्थन किया और नहीं कोई आपत्ति जताई है. अब भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ इस मुद्दे पर अपने तर्क के साथ सामने आए हैं.

जहां विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का एक वर्ग प्राथमिक विद्यालय खोलने के पक्ष में है, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसके खिलाफ हैं और उनका मानना है कि जल्दबाजी में स्कूल खोलने का फैसला अच्छा विचार नहीं है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तमोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि कोविड-19 ने स्पष्ट रूप से बच्चों के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा कर दिया है, क्योंकि यह अनुमान लगाया गया है कि तीसरी लहर वयस्कों की तुलना में बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है.

डॉ. कोले ने कहा कि हमें इस समय स्कूल खोलने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. हमारे पास 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए तीन खुराक वाली आरएनए वैक्सीन ZyCovid-D है, इसलिए हमें दिसंबर 2021 तक बच्चों के टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए.

कोले ने कहा कि यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक 35 लाख बच्चे हैं, जिसमें 2019 से 14 लाख की वृद्धि हुई है.

गौरतलब है कि भारत बायोटेक कंपनी अपने कोविड टीके कोवैक्सीन का बच्चों पर भी ट्रायल कर रही है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि सितंबर तक वैक्सीन को औषधि नियामक DCGI की मंजूरी मिलने की संभावना है.

डॉ. कोले ने कहा, 'अगर बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित होते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, हो सकता है कि हमारे पास ऐसे संकट से निपटने की क्षमता और दक्षता न हो. स्कूल खोलने से पहले हमें उन संकट परिदृश्यों पर विचार करना होगा.

अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलिफोर्निया में मारिन काउंटी (Marin County) प्राथमिक विद्यालय के 24 में से 12 छात्र डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल के एक शिक्षक को शुरू में कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था. इसके बाद स्क्रीनिंग में 12 छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए. विडंबना यह है कि सभी बच्चे उम्र के कारण टीकाकरण के लिए पात्र नहीं थे.

विशेषज्ञों का सुझाव है कि चूंकि सरकार पहले ही वयस्कों और बच्चों के बीच आपातकालीन उपयोग के लिए ZyCovid-D टीके को मंजूरी दे चुकी है, इसलिए सरकार को दो-तीन महीने तक इंतजार करना चाहिए, जब तक कि बच्चों को कोविड टीका नहीं लग जाता.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को वापस स्कूल भेजने का समय आ गया है. वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ, सुनीला गर्ग का कहना है कि चूंकि छोटे बच्चों को कम से कम जोखिम होता है, इसलिए हम संबंधित अधिकारियों से प्राथमिक स्कूल खोलने की अनुमति देने का आग्रह करते हैं.

बच्चों में लगभग वयस्कों के समान एंटीबॉडी
सीरो सर्वे का हवाला देते हुए डॉ. गर्ग ने कहा कि बच्चों और वयस्कों में संक्रमण दर समान पाई गई है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर किए जा रहे कई सीरो सर्वेक्षणों से पता चला है कि बच्चों में भी लगभग वयस्कों के समान एंटीबॉडी होते हैं.

डॉ. सुनीला गर्ग उस 56 सदस्यीय समूह में शामिल हैं, जिनसे हाल ही में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखकर स्कूलों को फिर से खोलने पर तत्काल विचार करने की अपील की है.

यह भी पढ़ें- पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड सहित इन राज्यों में खुले स्कूल

वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए, डॉ. गर्ग ने कहा कि विशेष रूप से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मजबूत प्रतिरक्षा शक्ति होती है जो SARS-CoV-2 संक्रमण से लड़ती है. उन्होंने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए टीकाकरण कोई शर्त नहीं है और बच्चों को गंभीर या घातक कोविड-19 का अपेक्षाकृत कम जोखिम है.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच, देशभर में प्राइमरी स्कूलों को फिर से खोलने पर बहस छिड़ गई है. हालांकि, केंद्र सरकार ने बच्चों के स्कूल फिर से खोलने के निर्णय का न तो समर्थन किया और नहीं कोई आपत्ति जताई है. अब भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञ इस मुद्दे पर अपने तर्क के साथ सामने आए हैं.

जहां विशेषज्ञों और शिक्षाविदों का एक वर्ग प्राथमिक विद्यालय खोलने के पक्ष में है, वहीं कुछ विशेषज्ञ इसके खिलाफ हैं और उनका मानना है कि जल्दबाजी में स्कूल खोलने का फैसला अच्छा विचार नहीं है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ तमोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने कहा कि कोविड-19 ने स्पष्ट रूप से बच्चों के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा कर दिया है, क्योंकि यह अनुमान लगाया गया है कि तीसरी लहर वयस्कों की तुलना में बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकती है.

डॉ. कोले ने कहा कि हमें इस समय स्कूल खोलने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. हमारे पास 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए तीन खुराक वाली आरएनए वैक्सीन ZyCovid-D है, इसलिए हमें दिसंबर 2021 तक बच्चों के टीकाकरण पर ध्यान देना चाहिए.

कोले ने कहा कि यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक 35 लाख बच्चे हैं, जिसमें 2019 से 14 लाख की वृद्धि हुई है.

गौरतलब है कि भारत बायोटेक कंपनी अपने कोविड टीके कोवैक्सीन का बच्चों पर भी ट्रायल कर रही है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि सितंबर तक वैक्सीन को औषधि नियामक DCGI की मंजूरी मिलने की संभावना है.

डॉ. कोले ने कहा, 'अगर बड़ी संख्या में बच्चे प्रभावित होते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, हो सकता है कि हमारे पास ऐसे संकट से निपटने की क्षमता और दक्षता न हो. स्कूल खोलने से पहले हमें उन संकट परिदृश्यों पर विचार करना होगा.

अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कैलिफोर्निया में मारिन काउंटी (Marin County) प्राथमिक विद्यालय के 24 में से 12 छात्र डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित पाए गए.

रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल के एक शिक्षक को शुरू में कोविड-19 पॉजिटिव पाया गया था. इसके बाद स्क्रीनिंग में 12 छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए. विडंबना यह है कि सभी बच्चे उम्र के कारण टीकाकरण के लिए पात्र नहीं थे.

विशेषज्ञों का सुझाव है कि चूंकि सरकार पहले ही वयस्कों और बच्चों के बीच आपातकालीन उपयोग के लिए ZyCovid-D टीके को मंजूरी दे चुकी है, इसलिए सरकार को दो-तीन महीने तक इंतजार करना चाहिए, जब तक कि बच्चों को कोविड टीका नहीं लग जाता.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को वापस स्कूल भेजने का समय आ गया है. वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष डॉ, सुनीला गर्ग का कहना है कि चूंकि छोटे बच्चों को कम से कम जोखिम होता है, इसलिए हम संबंधित अधिकारियों से प्राथमिक स्कूल खोलने की अनुमति देने का आग्रह करते हैं.

बच्चों में लगभग वयस्कों के समान एंटीबॉडी
सीरो सर्वे का हवाला देते हुए डॉ. गर्ग ने कहा कि बच्चों और वयस्कों में संक्रमण दर समान पाई गई है. उन्होंने कहा कि समय-समय पर किए जा रहे कई सीरो सर्वेक्षणों से पता चला है कि बच्चों में भी लगभग वयस्कों के समान एंटीबॉडी होते हैं.

डॉ. सुनीला गर्ग उस 56 सदस्यीय समूह में शामिल हैं, जिनसे हाल ही में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को पत्र लिखकर स्कूलों को फिर से खोलने पर तत्काल विचार करने की अपील की है.

यह भी पढ़ें- पंजाब, उत्तराखंड, झारखंड सहित इन राज्यों में खुले स्कूल

वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए, डॉ. गर्ग ने कहा कि विशेष रूप से 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मजबूत प्रतिरक्षा शक्ति होती है जो SARS-CoV-2 संक्रमण से लड़ती है. उन्होंने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने के लिए टीकाकरण कोई शर्त नहीं है और बच्चों को गंभीर या घातक कोविड-19 का अपेक्षाकृत कम जोखिम है.

Last Updated : Aug 30, 2021, 9:21 PM IST
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