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MP: रामभद्राचार्य के बाद अब पंडोखर सरकार भी मैदान में, भोपाल को भोजपाल करने की मांग - भोपाल न्यूज

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल आए रामभद्राचार्य महाराज ने राजधानी का नाम 'भोजपाल' करने की मांग की है. रामभद्राचार्य की इस मांग में अब पंडोखर सरकार भी उनके साथ मैदान में उतर आए हैं और भोपाल को 'भोजपाल' करने की मांग कर र हे हैं.

Bhojpal Mahotsava
भोजपाल महोत्सव
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Published : Jan 27, 2023, 7:52 PM IST

भोपाल। भोपाल नहीं भोजपाल कहा जाए, आवाज कई बार उठी इस बार जिद है. जिद जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज की. अब तक सियासत की ओर से भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की आवाज उठती रही है, लेकिन इस बार साधु संतो की ओर से ये मांग उठी है. जब जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने इस मामले में पीएम मोदी से बात करने का दम दिखाया तो मैदान में पंडोखर महाराज का भी स्वर आया. पंडोखर महाराज ने आवाज उठाई है कि इस मामले में सरकार को जल्द संज्ञान लेना चाहिए और भोपाल को भोजपाल किए जाने का निर्णय जल्द से जल्द होना चाहिए. चुनावी साल में संत समुदाय से उठ रही ये आवाज क्या असर दिखाएगी.

Change the name of Bhopal to Bhojpal
भोजपाल महोत्सव

संत की हुंकार अब हो भोजपाल: राम कथा कहने भोपाल आए रामभद्राचार्य महाराज अपने एजेंडे पर कायम हैं. भोपाल आते ही उन्होंने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की मांग इन तेवरों साथ उठाई थी कि भोपाल का नाम भोजपाल हो जाने के बाद ही अब वो भोपाल आएंगे, मांग पर पूरी मजबूती से अड़े रामभद्राचार्य महाराज इस पर लगातार बने हुए हैं. अब इस मामले में वो पीएम मोदी से बात करने जा रहे हैं. उनका सरकार से भी आग्रह है कि अगर देश के बाकी शहरों के नाम बदले जा सकते हैं तो भोपाल का नाम क्यों नहीं. होशंगाबाद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इस जिले का नाम नर्मदापुरम हो सकता है, तो भोपाल को भोजपाल किए जाने में तो केवल 'ज' भर जोड़ना है. रामभद्राचार्य महाराज की इच्छा है कि चुनावी साल में ही ये काम हो जाए और इसके लिए जल्दी विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाए. रामभद्राचार्य महाराज की दृष्टि से भोपाल का नाम भोजपाल किया जाना भारत की सनातन संस्कृति के स्वाभिमान की रक्षा का प्रयास होगा.

पर्ची पंडोखर सरकार ने पहले निकाली फिर आगे बागेश्वर धाम क्यों, जानिए पूरी दास्तां

पंडोखर महाराज ने भी उठाई भोजपाल की मांग: भोपाल को भोजपाल किए जाने के संघर्ष में अब पंडोखर महाराज की भी एंट्री हो गई है. पंडोखर महाराज का कहना है कि रामभद्राचार्य महाराज ने जो भोजपाल नाम किए जाने का ध्यानाकर्षण किया है. मैं उससे पूरी तरह से सहमत हूं और चाहता हूं कि सरकार इसे संज्ञान में ले और इस पर जल्द ही निर्णय हो. उनका कहना है कि भोपाल नगर का इतिहास परमार कालीन रहा है. इस गौरवशाली अतीत को बरकरार रखना चाहिए. अन्य नगरों जैसे भोपाल का नाम भी बदला जाना चाहिए.

उमा से प्रज्ञा तक उठता रहा है भोजपाल का मुद्दा: 2003 में जब मध्यप्रदेश में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थीं तो सबसे पहले ये भोजपाल का मुद्दा उठाया गया था. उमा भारती ने कहा था कि भोपाल का नाम बदला जाएगा. उसके बाद से कुछ सालों के अंतराल से ये मुद्दा गरमाता रहा है. फिर 2011 में बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने सीएम शिवराज को इस मामले में चिट्ठी लिखी थी. जिसके बाद राजा भोज के राज्यारोहण कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की बात कही थी. ये भी कहा था कि इस संबंध में प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा. भोपाल के अलग-अलग इलाकों के नाम बदलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती रही सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी भोपाल का नाम बदले जाने की मांग उठाई थी.

भोपाल। भोपाल नहीं भोजपाल कहा जाए, आवाज कई बार उठी इस बार जिद है. जिद जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज की. अब तक सियासत की ओर से भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की आवाज उठती रही है, लेकिन इस बार साधु संतो की ओर से ये मांग उठी है. जब जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज ने इस मामले में पीएम मोदी से बात करने का दम दिखाया तो मैदान में पंडोखर महाराज का भी स्वर आया. पंडोखर महाराज ने आवाज उठाई है कि इस मामले में सरकार को जल्द संज्ञान लेना चाहिए और भोपाल को भोजपाल किए जाने का निर्णय जल्द से जल्द होना चाहिए. चुनावी साल में संत समुदाय से उठ रही ये आवाज क्या असर दिखाएगी.

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भोजपाल महोत्सव

संत की हुंकार अब हो भोजपाल: राम कथा कहने भोपाल आए रामभद्राचार्य महाराज अपने एजेंडे पर कायम हैं. भोपाल आते ही उन्होंने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की मांग इन तेवरों साथ उठाई थी कि भोपाल का नाम भोजपाल हो जाने के बाद ही अब वो भोपाल आएंगे, मांग पर पूरी मजबूती से अड़े रामभद्राचार्य महाराज इस पर लगातार बने हुए हैं. अब इस मामले में वो पीएम मोदी से बात करने जा रहे हैं. उनका सरकार से भी आग्रह है कि अगर देश के बाकी शहरों के नाम बदले जा सकते हैं तो भोपाल का नाम क्यों नहीं. होशंगाबाद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इस जिले का नाम नर्मदापुरम हो सकता है, तो भोपाल को भोजपाल किए जाने में तो केवल 'ज' भर जोड़ना है. रामभद्राचार्य महाराज की इच्छा है कि चुनावी साल में ही ये काम हो जाए और इसके लिए जल्दी विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाए. रामभद्राचार्य महाराज की दृष्टि से भोपाल का नाम भोजपाल किया जाना भारत की सनातन संस्कृति के स्वाभिमान की रक्षा का प्रयास होगा.

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पंडोखर महाराज ने भी उठाई भोजपाल की मांग: भोपाल को भोजपाल किए जाने के संघर्ष में अब पंडोखर महाराज की भी एंट्री हो गई है. पंडोखर महाराज का कहना है कि रामभद्राचार्य महाराज ने जो भोजपाल नाम किए जाने का ध्यानाकर्षण किया है. मैं उससे पूरी तरह से सहमत हूं और चाहता हूं कि सरकार इसे संज्ञान में ले और इस पर जल्द ही निर्णय हो. उनका कहना है कि भोपाल नगर का इतिहास परमार कालीन रहा है. इस गौरवशाली अतीत को बरकरार रखना चाहिए. अन्य नगरों जैसे भोपाल का नाम भी बदला जाना चाहिए.

उमा से प्रज्ञा तक उठता रहा है भोजपाल का मुद्दा: 2003 में जब मध्यप्रदेश में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थीं तो सबसे पहले ये भोजपाल का मुद्दा उठाया गया था. उमा भारती ने कहा था कि भोपाल का नाम बदला जाएगा. उसके बाद से कुछ सालों के अंतराल से ये मुद्दा गरमाता रहा है. फिर 2011 में बीजेपी विधायक विश्वास सारंग ने सीएम शिवराज को इस मामले में चिट्ठी लिखी थी. जिसके बाद राजा भोज के राज्यारोहण कार्यक्रम में सीएम शिवराज ने भोपाल का नाम भोजपाल किए जाने की बात कही थी. ये भी कहा था कि इस संबंध में प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा. भोपाल के अलग-अलग इलाकों के नाम बदलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती रही सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने भी भोपाल का नाम बदले जाने की मांग उठाई थी.

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