नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जल्द ही जारी करेगी. सीटों को लेकर करीब 75 से अधिक नामों पर सहमति बन चुकी है. इसी सिलसिले में केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने गुरुवार को अपनी पहली बैठक की. वहीं जीत को अपना एकमात्र मानदंड रखते हुए, कांग्रेस चाहती है कि राज्य के उसके कुछ वरिष्ठ नेता भी विधानसभा चुनाव लड़ें.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में पार्टी के कोर ग्रुप द्वारा शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक बुलाई जा सकती है, जिसके बाद उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की जाएगी. यह भी कहा जा रहा है कि इस बार करीब 15-20 मौजूदा विधायकों को टिकट कट सकता है. इनमें से कुछ विधायक चुनाव जीतने में सक्षम नहीं हैं, अन्य ऐसे हैं जिनसे पार्टी को उनकी वफादारी पर संदेह था.
कांग्रेस भी अपने सांसदों को चुनावी मैदान में उतारने पर विचार कर रही है. इसमें कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा का नाम भी शामिल है. इसके अलावा इसके लोकसभा सांसद जसबीर सिंह गिल भी पार्टी के लिए चुनाव लड़ने को तैयार हैं, जबकि एक अन्य सांसद डॉ अमर सिंह अपने बेटे के लिए कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं. वहीं अनुसूचित जाति के वोटों को देखते हुए कांग्रेस पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को दो सीटों से टिकट दे सकती है. चमकौर साहिब सीट जहां से उन्होंने तीन बार जीत हासिल की है, इसके अलावा जालंधर जिले के आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से भी पार्टी उन्हें मैदान में उतारने पर विचार कर रही है.
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चन्नी और पंजाब कांग्रेस के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू भी राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा के पक्ष में हैं. चन्नी ने जहां दावा किया था कि सीएम चेहरे की घोषणा से पार्टी को चुनाव जीतने में मदद मिलेगी, वहीं सिद्धू ने कहा था कि यह पार्टी आलाकमान नहीं बल्कि पंजाब के लोग हैं जो सीएम का फैसला करेंगे. हालांकि, वोटों को लुभाने के अलावा, कांग्रेस के सामने एक और चुनौती अपने समूह को एक साथ रखने की भी है. गौरतलब है कि सीईसी की बैठक से ठीक पहले सिद्धू ने एक बार फिर पार्टी आलाकमान को एक तरह की चेतावनी दी थी और यहां तक कह दिया था कि वह किसी पद की इच्छा नहीं रखते, बल्कि उस व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए काम कर रहे हैं जो ’हमारे गुरू’ को न्याय नहीं दे सकी और ड्रग गिरोह में शामिल 'बड़ी मछलियों' को दंडित नहीं कर सकी. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी लड़ाई इस व्यवस्था को बदलने की है जिसने पंजाब की दीमक की तरह नष्ट कर दिया और माफिया द्वारा संचालित की जा रही है.
सिद्धू ने ट्वीट किया, 'ऐसी व्यवस्था जो हमारे गुरू को न्याय नहीं दे सकी और ड्रग गिरोह में शामिल बड़ी मछलियों को सजा नहीं दे सकी, उसे ध्वस्त करने की जरूरत है. मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि मैं किसी पद के पीछे नहीं भाग रहा। यह व्यवस्था रहेगी या नवजोत सिंह सिद्धू.' वह 2015 में फरीदकोट में घटी बेअदबी की घटना का परोक्ष रूप से उल्लेख कर रहे थे.