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MP: जेल में पाठशाला, स्किल्ड होंगे कैदी, ये विश्वविद्यालय फ्री में कराएगा डिप्लोमा कोर्स

एमपी के ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय ने बड़ी पहल करते हुए कैदियों के लिए डिप्लोमा कोर्स शुरु किया है. इस पहल के माध्यम से अब ग्वालियर सेंट्रल जेल में बंद कैदी भी पढ़ाई कर पाएंगे. जिनको पढ़ाने के लिए विश्विद्यालय से प्रोफेसर जाएंगे और इसके बाद इन कैदियों की परीक्षा लेकर डिप्लोमा और सर्टिफिकेट भी दिया जाएग. कैदियों के स्किल डेवलपमेंट के लिए यह पहल की गई है.

Gwalior Central Jail
ग्वालियर सेंट्रल जेल कैदी
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Published : Apr 19, 2023, 7:57 PM IST

Updated : Apr 20, 2023, 11:27 AM IST

जीवाजी विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर सेंट्रल जेल की बंदी अब बंधु बनने जा रहे हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा अनोखी पहल की शुरुआत की जा रही है जिसके माध्यम से सेंट्रल जेल में बंद कैदी निशुल्क डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे. इस पहल के माध्यम से जीवाजी विश्वविद्यालय जेल के अंदर कैदियों को डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कराएगा ताकि कैदी जब बाहर निकले तो उनकी पहचान एक शिक्षित और होनहार व्यक्ति के रूप में सामने आए. बताया जा रहा है कि जीवाजी विश्वविद्यालय ने जेल विभाग को यह प्रस्ताव भेजा था उसके बाद इसे मंजूरी मिल गई है.

बंदी बंधु बनकर आएंगे बाहर: जीवाजी विश्वविद्यालय ने इस पहल का नाम "बंदी से बंधु" रखा है. इसका अर्थ है कि जेल के अंदर यह बंदी जब छूट के बाहर आएंगे तो बंधु कहलाएंगे. जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा जेल में बंदियों को पढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था और उसके बाद इस प्रस्ताव को जेल विभाग को भेजा गया, जहां से अनुमति मिल गई है. उसके बाद अब नई सच से यह सभी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स जेल के अंदर ही संचालित किए जाएंगे. इसमें 7 डिप्लोमा और 6 सर्टिफिकेट कोर्स शामिल है जिन्हें जेल के अंदर कैदियों के लिए संचालित किया जाएगा.

जेल में ही होगी परीक्षा: जीवाजी विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने बताया है कि सेंट्रल जेल के अंदर कैदियों को स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कोर्स करवाए जाएंगे और यह कोर्स पूरी तरह निशुल्क होंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के टीचर ही सेंट्रल जेल में कैदियों को पढ़ाने के लिए जाएंगे. जब कोर्स की अवधि पूरी हो जाएगी तो उसके बाद सेंट्रल जेल के अंदर ही परीक्षाएं आयोजित होगी और उसके बाद कोर्स करने वाली यह सभी कैदियों को परीक्षाएं देनी होगी. इन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स कराने का उद्देश्य है कि जेल से निकलने के बाद इन सभी कोर्सों में सिखाई गई स्किल का उपयोग रोजगार के लिए यह बंदी भाई कर सकेंगे.

बंदी से बंधु योजना में ये कोर्स किए जाएंगे संचालित

  1. पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजीकल काउंसलिंग
  2. पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन
  3. पीजी डिप्लोमा इन ड्राइंग एंड पेंटिंग
  4. पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ
  5. पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक साइंस
  6. पीजी डिप्लोमा इन एचआरडी

Also Read

यह संचालित किए जाएंगे सर्टिफिकेट कोर्स

  1. औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती
  2. फैशन डिजाइनिंग
  3. ग्रामीण पत्रकारिता एवं जनसंचार
  4. वैदिक गणित और फलित ज्योतिष
  5. गुड एवं सर्विस टैक्स

बंदियों को भी मिलेगा रोजगार: पहल इसको लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी का कहना है कि डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए जेल विभाग से उन्हें अनुमति मिल गई है और इन सभी सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सों को जेल के अंदर ही संचालित किया जाएगा. कुलपति का कहना है कि जिस तरीके से जेल से बाहर छूटने के बाद कैदी के पास कोई रोजगार नहीं होता है और उसमें सामाजिक स्तर पर भी बदनामी झेलनी पड़ती है. यही कारण है कि जब जेल से बाहर आएगा तो इन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से उसे और रोजगार भी उपलब्ध हो पाएंगे.

जीवाजी विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर सेंट्रल जेल की बंदी अब बंधु बनने जा रहे हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा अनोखी पहल की शुरुआत की जा रही है जिसके माध्यम से सेंट्रल जेल में बंद कैदी निशुल्क डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे. इस पहल के माध्यम से जीवाजी विश्वविद्यालय जेल के अंदर कैदियों को डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कराएगा ताकि कैदी जब बाहर निकले तो उनकी पहचान एक शिक्षित और होनहार व्यक्ति के रूप में सामने आए. बताया जा रहा है कि जीवाजी विश्वविद्यालय ने जेल विभाग को यह प्रस्ताव भेजा था उसके बाद इसे मंजूरी मिल गई है.

बंदी बंधु बनकर आएंगे बाहर: जीवाजी विश्वविद्यालय ने इस पहल का नाम "बंदी से बंधु" रखा है. इसका अर्थ है कि जेल के अंदर यह बंदी जब छूट के बाहर आएंगे तो बंधु कहलाएंगे. जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा जेल में बंदियों को पढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया था और उसके बाद इस प्रस्ताव को जेल विभाग को भेजा गया, जहां से अनुमति मिल गई है. उसके बाद अब नई सच से यह सभी डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स जेल के अंदर ही संचालित किए जाएंगे. इसमें 7 डिप्लोमा और 6 सर्टिफिकेट कोर्स शामिल है जिन्हें जेल के अंदर कैदियों के लिए संचालित किया जाएगा.

जेल में ही होगी परीक्षा: जीवाजी विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने बताया है कि सेंट्रल जेल के अंदर कैदियों को स्किल डेवलपमेंट से जुड़े कोर्स करवाए जाएंगे और यह कोर्स पूरी तरह निशुल्क होंगे. साथ ही उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के टीचर ही सेंट्रल जेल में कैदियों को पढ़ाने के लिए जाएंगे. जब कोर्स की अवधि पूरी हो जाएगी तो उसके बाद सेंट्रल जेल के अंदर ही परीक्षाएं आयोजित होगी और उसके बाद कोर्स करने वाली यह सभी कैदियों को परीक्षाएं देनी होगी. इन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स कराने का उद्देश्य है कि जेल से निकलने के बाद इन सभी कोर्सों में सिखाई गई स्किल का उपयोग रोजगार के लिए यह बंदी भाई कर सकेंगे.

बंदी से बंधु योजना में ये कोर्स किए जाएंगे संचालित

  1. पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजीकल काउंसलिंग
  2. पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर एप्लीकेशन
  3. पीजी डिप्लोमा इन ड्राइंग एंड पेंटिंग
  4. पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ
  5. पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक साइंस
  6. पीजी डिप्लोमा इन एचआरडी

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यह संचालित किए जाएंगे सर्टिफिकेट कोर्स

  1. औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती
  2. फैशन डिजाइनिंग
  3. ग्रामीण पत्रकारिता एवं जनसंचार
  4. वैदिक गणित और फलित ज्योतिष
  5. गुड एवं सर्विस टैक्स

बंदियों को भी मिलेगा रोजगार: पहल इसको लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी का कहना है कि डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए जेल विभाग से उन्हें अनुमति मिल गई है और इन सभी सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्सों को जेल के अंदर ही संचालित किया जाएगा. कुलपति का कहना है कि जिस तरीके से जेल से बाहर छूटने के बाद कैदी के पास कोई रोजगार नहीं होता है और उसमें सामाजिक स्तर पर भी बदनामी झेलनी पड़ती है. यही कारण है कि जब जेल से बाहर आएगा तो इन सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स के माध्यम से उसे और रोजगार भी उपलब्ध हो पाएंगे.

Last Updated : Apr 20, 2023, 11:27 AM IST
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