हैदराबाद : प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को गुजरात इन्वेस्टर्स समिट में नेशनल ऑटोमॉबिल स्क्रैपिंग पॉलिसी की शुरूआत की. कचरे से कंचन अभियान के तहत पुरानी गाड़ियां सड़कों से हटाई जाएंगी. पीएम ने दावा किया कि इस कैंपेन के कारण देश में ऑटो और मेटल इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा. यह पॉलिसी देश में 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश लाएगी.
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The launch of Vehicle Scrappage Policy today is a significant milestone in India’s development journey. The Investor Summit in Gujarat for setting up vehicle scrapping infrastructure opens a new range of possibilities. I would request our youth & start-ups to join this programme.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 13, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Narendra Modi (@narendramodi) August 13, 2021
पॉलिसी के तहत, पुरानी गाड़ी को कबाड़ डिक्लेयर करने पर एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. बाद में नई गाड़ी खरीदने के दौरान सर्टिफिकेट दिखाने पर रजिस्ट्रेशन चार्ज और रोड टैक्स में छूट मिलेगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2021-22 में ही पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए इस स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की थी. देश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या के मद्देनजर सरकार यह पॉलिसी लाई है. तब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्क्रैपिंग पॉलिसी के बारे में बताया था कि इससे भारत में 10 हजार करोड़ का निवेश आएगा. साथ ही 50 हजार नई नौकरियां जेनरेट होंगी. इसके अलावा ऑटो सेक्टर का आकार 4.50 लाख करोड़ से बढ़कर 6 लाख करोड़ हो जाएगा.
क्या है स्क्रैप पॉलिसी : स्क्रैपिंग पॉलिसी की वजह से 20 साल से पुराने वाहनों को रोड पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी. भारत में अभी 51 लाख पुराने वाहन स्क्रैपिंग के लिए चिह्नित हैं. इसका उद्देश्य नई गाड़ी खरीदने को बढ़ावा देना भी है. 20 साल पुराने वाहन के मालिकों को स्क्रैप करने पर एक सर्टिफिकेट मिलेगा. इस सर्टिफिकेट के बाद उन्हें नई गाड़ी खरीदने पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज में छूट मिलेगी.
क्या इस पॉलिसी के जद में 15 साल पुरानी गाड़ी भी आएगी : केंद्र सरकार ने मार्च में नई स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की थी. यह अक्टूबर 2021 से लागू होगी. इसके तहत पेट्रोल और डीजल से चलने वाली 20 साल पुराने प्राइवेट वाहन को चलाने की इजाजत है. मगर शर्त यह है कि गाड़ी को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. फेल होने पर वाहन स्क्रैप में जाएगी. 1 जून 2024 के बाद से उसका 'ऑटोमैटिक डी-रजिस्ट्रेशन' या रजिस्ट्रेशन रद्द हो जाएगा. 1 अप्रैल 2023 से 15 साल पुराने कमर्शियल वाहनों का रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएगा. 15 साल पुराने वाहनों की संख्या देश में 34 लाख आंकी गई है.
कैसे होगा स्क्रैप करने वाले का फायदा : जब कोई गाड़ी स्क्रैप कैटिगरी में जाएगी तो उसका एक मूल्य आंका जाएगा. यह रकम भी वीइकल ओनर को मिलेगी. फिर उसे नई कार खरीदने पर रजिस्ट्रेशन चार्ज और रोड टैक्स की भी छूट मिलेगी. उदाहरण के लिए दिल्ली में एक कार की स्क्रैप वैल्यू 40 हजार मिली. 6 लाख की नई गाड़ी का रजिस्ट्रेशन फीस 26 हजार रुपये है. फिर रोड टैक्स भी गाड़ी की कीमत का 4 प्रतिशत यानी 24 हजार है. पुरानी गाड़ी की वैल्यू और नए वाहन के टैक्स माफ को जोड़ दें तो यह बचत 90 हजार के करीब हो जाएगी.
आखिर क्यों बनी स्क्रैप पॉलिसी : पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, देश भर में इस समय एक करोड़ पुराने वाहन सड़कों पर चल रहे हैं. ऐसे वाहनों को एंड ऑफ लाइफ वीइकल (ELV) भी कहते हैं. अनुमान के मुताबिक, स्क्रैप पॉलिसी पर अमल नहीं हुआ तो 2025 तक 2.18 करोड़ ईएलवी हो जाएंगे. स्टडी के अनुसार, भारत में 1 करोड़ से ज्यादा वाहन ऐसे हैं, जो आम वाहनों की तुलना में 10 से 12 गुणा ज्यादा प्रदूषण करते हैं. अगर ऐसे वाहनों को रोड से हटा दिए जाएं तो प्रदूषण में 25 से 30 फीसदी की कमी होगी.
स्क्रैप की साइंटिफिक प्रोसेसिंग जरूरी : भारत में स्क्रैप बड़ी मुसीबत है. अगर स्क्रैप में वाहनों के कचरे का सही से निपटान नहीं किया गया तो पर्यावरण का नुकसान बढ़ जाएगा. इसलिए जरूरी है कि गाड़ियों को स्क्रैपिंग कैटिगरी में डालने से पहले उसकी प्रोसेसिंग की व्यवस्था की जाए. सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की स्टडी में यह सामने आया कि एक कार में 70 प्रतिशत इस्पात और 7-8 प्रतिशत एलुमिनियम होता है. बाकी बचा 20-25 प्रतिशत हिस्सा प्लास्टिक, रबड़, कांच होता है. अगर साइंटिफिक प्रोसेस से इसकी रीसाइक्लिंग की जाए, इनमें से अधिकांश चीजें दोबारा इस्तेमाल की जा सकती हैं.
सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय के वाहन के अनुसार, भारत में इस समय 22.95 करोड़ पंजीकृत वाहन हैं. 2030 तक 31.5 करोड़ वाहन देश की सड़कों पर होंगे. यूरोपीय यूनियन, जापान, कोरिया, चीन और ताइवान में स्क्रैपिंग पॉलिसी लागू है. अब भारत की बारी है.