प्रतापगढ़: उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद में एक सारस पक्षी और युवक के बीच अनोखी दोस्ती की कहानी के बाद अब एक नई कहानी आई है. ये कहानी है राष्ट्रीय पक्षी मोर और प्रतापगढ़ के वकीलों की. लालगंज तहसील में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक राष्ट्रीय पक्षी मोर चहल कदमी करता है. मोर सुबह वकीलों के आने के समय पहुंच जाता है और शाम वकीलों के जाने के बाद जंगल में उड़ जाता है. इतना ही नहीं, वकीलों के साथ दिन भर रहने वाला मोर उन्हीं के साथ खाता है और नाच-नाचकर लोगों का मनोरंजन भी करता है. इसके अलावा यह मोर फोटो और वीडियो बनवाने का भी काफी शौक रखता है.
कहावत है जंगल में मोर नाचा किसने देखा, लेकिन लालगंज तहसील परिसर में अक्सर रहने और नाचने वाला मोर फोटो और वीडियो का भी शौकीन है. दरअसल, जब कोई मोर का वीडियो बनाना चाहता है तो वह पंख उठा कर नाचना शुरू कर देता है. वीडियो बनते समय मोर शांत होकर पंख ऊपर करके बाकायदा पोज भी देता है.
अक्सर आपने देखा होगा कि जब मोर नाचता हो और कोई पहुंच जाता है तो वह उड़ जाता है, लेकिन इस मोर का स्वाभाव ही कुछ और है. इसे किसी के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. कचहरी परिसर में दिनभर वकीलों समेत अन्य हजारों लोगों की चहल-कदमी रहती है. बावजूद इसके मोर को नाचता है और भागता नहीं है. यह मोर कचेहरी परिसर में वकीलों के साथ इतना घुल मिल गया है कि उनके साथ खाता है और अपना पूरा दिन यहीं बिताता है.
जब वकील कचहरी से चले जाते हैं तो वह भी जंगल में उड़ जाता है. मोर की इस दिनचर्या की चर्चा भी जिले में खूब होती है, लेकिन इसके फोटो वीडियो का शौकीन होने की ज्यादा चर्चा रहती है. इस मोर को कैमरे में कैद करने के लिए आए दिन हर लोग कचहरी पहुंच जाते हैं.
तहसील परिसर के अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस तरह से वकील वकालत कर रहे हैं, उसी तरह से यह मोर भी अपने समय का पाबंद है. मोर दिन भर तहसील परिसर में वकालत करता है और वकीलों के जाने के बाद यहां से चला जाता है, लेकिन लोगों का यह भी कहना है कि यह मोर औरतों को देख नहीं सकता है. जब औरते यहां पर आती हैं तो वह उन्हें दौड़ा लेता है.
वकील जयवीर सिंह ने बताया कि बहुत सारे मोर देखे होंगे आपने कि आदमी को देखते ही भागने लगते हैं, लेकिन ये लोगों के प्रति आकर्षित होता है. यदि इसके सामने आपने मोबाइल कैमरा ले जाएंगे तो ये पंख फैलाकर नाचते हुए जो मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है, दिल खुश हो जाता है. उन्होंने कहा कि 'जंगल में मोर नाचा किसने देखा' कहावत यहां पर बिलकुल उल्टी है. यहां पर मोर नाचता है और सब देखते हैं. मोर लगभग एक साल से यहां पर है. इसका दाना-पानी चना, बिस्किट और पानी बस्ते के मुंशी करते हैं. वे बताते हैं कि ये मोर सुबह 9 से शाम 5 बजे तक हमेशा रहता है.
एडवोकेट शैलेश कुमार मिश्रा का कहना है कि तहसील परिसर में मोर सुबह आ जाएगा. यहीं पर अधिवक्ता लोग इसे बिस्किट-पानी वगैरह खिला देते हैं. शाम को 3-4 बजे के बाद डांस करेगा. लोगों की सेल्फी लेने के लिए लाइन लगी रहती है. लेकिन महिलाएं नहीं आती हैं. उन्होंने बताया कि मोर को महिलाओं से पता नहीं क्यों एलर्जी है कि उन्हें देख लिया तो खेद कर तहसील परिसर से बाहर कर देता है.