ETV Bharat / bharat

आय के संबंध में सकारात्मक साक्ष्य होने पर न्यूनतम वेतन अधिसूचना पर भरोसा नहीं रखा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जारी एक अधिसूचना मोटर दुर्घटना दावा मामले में मृतक की आय का निर्धारण करने में केवल एक मार्गदर्शक कारक हो सकती है. कोर्ट ने उक्त बातें पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक निर्णय के खिलाफ सुनवाई के दौरान कहीं.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Oct 6, 2022, 4:32 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की है कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जारी एक अधिसूचना मोटर दुर्घटना दावा मामले में मृतक की आय का निर्धारण करने में केवल एक मार्गदर्शक कारक हो सकती है, जब आय के संबंध में सकारात्मक सबूत होते हों तो न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दावेदारों द्वारा दायर अपील पर विचार कर रहा था, जिसने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को कम कर दिया था. मृतक 25 वर्षीय युवक था, जो ठेकेदार के रूप में आजीविका कमा रहा था. मामले में दावा की गई मासिक आय 50,000 रुपये थी, जबकि ट्रिब्यूनल ने मासिक आय के रूप में 25,000 रुपये की गणना की.

ट्रिब्यूनल ने कारकों को ध्यान में रखा जैसे कि मृतक 10 मार्च 2014 से वह खरीदे गए ट्रैक्टर के ऋण के लिए 11,550 रुपये मासिक किस्त का भुगतान कर रहा था और 24 मार्च 2015 तक पूरी ऋण देता का भुगतान किया गया था, यानि उसकी मृत्यु के बाद तक. वहीं जिस दर पर ईएमआई का भुगतान किया जा रहा था, उसे ध्यान में रखते हुए, ट्रिब्यूनल ने कहा कि मृतक को दुर्घटना से पहले कम से कम 25,000 रुपये प्रति माह की कमाई होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें - जम्मू कश्मीर परिसीमन पर केंद्र ने कहा, अधिसूचना के बाद इसे चुनौती नहीं दी जा सकती

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की है कि न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जारी एक अधिसूचना मोटर दुर्घटना दावा मामले में मृतक की आय का निर्धारण करने में केवल एक मार्गदर्शक कारक हो सकती है, जब आय के संबंध में सकारात्मक सबूत होते हों तो न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दावेदारों द्वारा दायर अपील पर विचार कर रहा था, जिसने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को कम कर दिया था. मृतक 25 वर्षीय युवक था, जो ठेकेदार के रूप में आजीविका कमा रहा था. मामले में दावा की गई मासिक आय 50,000 रुपये थी, जबकि ट्रिब्यूनल ने मासिक आय के रूप में 25,000 रुपये की गणना की.

ट्रिब्यूनल ने कारकों को ध्यान में रखा जैसे कि मृतक 10 मार्च 2014 से वह खरीदे गए ट्रैक्टर के ऋण के लिए 11,550 रुपये मासिक किस्त का भुगतान कर रहा था और 24 मार्च 2015 तक पूरी ऋण देता का भुगतान किया गया था, यानि उसकी मृत्यु के बाद तक. वहीं जिस दर पर ईएमआई का भुगतान किया जा रहा था, उसे ध्यान में रखते हुए, ट्रिब्यूनल ने कहा कि मृतक को दुर्घटना से पहले कम से कम 25,000 रुपये प्रति माह की कमाई होनी चाहिए.

ये भी पढ़ें - जम्मू कश्मीर परिसीमन पर केंद्र ने कहा, अधिसूचना के बाद इसे चुनौती नहीं दी जा सकती

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.