हैदराबाद: त्योहारों के बीच कोरोना के नए वैरिएंट की दस्तक डरा रही है. ये नया वैरिएंट इसलिये भी खतरे की घंटी बजा रहा है क्योंकि यही वैरिएंट ब्रिटेन में कोरोना संक्रमण के लिए जिम्मेदार था. क्या है ये नया वैरिएंट ? भारत के लिए क्यों है खतरे की घंटी ? और त्योहार के सीजन में आपको क्या करने की जरूरत है ?
कोविड-19 वैरिएंट AY.4.2
भारत में कोरोना के मामले अब रोजाना औसतन 15 से 18 हजार के बीच हैं. लेकिन इस बीच नए कोरोना के नए वैरिएंट AY.4.2 ने खतरे की घंटी बजा दी है. दरअसल इसी वैरिएंट ने ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में कहर बरपाया था. एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये वैरिएंट अभी तक सिर्फ ब्रिटेन में था और अब भारत में भी इसके मामले सामने आए हैं. माना जा रहा है कि ये डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले तेजी से फैलता है.
AY.4.2 असल में डेल्टा वैरिएंट के एक सब-टाइप का प्रस्तावित नाम है. इसे दुनियाभर के कई देशों में पाया गया है. इसके स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन Y145H और A222V हैं. जुलाई 2021 में यूके के एक्पर्ट्स ने AY.4.2 की पहचान की थी. एक अनुमान के मुताबिक, इस नए सब-टाइप की यूके के नए मामलों में 8-9% की हिस्सेदारी है.
भारत में कितने मामले हैं
ब्रिटेन से लेकर अमेरिका और डेनमार्क से लेकर इजरायल तक में इस नए वैरिएंट के मामले सामने आए हैं. भारत में इस नए वैरिएंट के अब तक जिन मामलों की पुष्टि हुई है उनमें से 7 मध्य प्रदेश में है. महाराष्ट्र में भी इसके कुछ मामलों की पुष्टि हो चुकी है. हालांकि ये सभी लोग बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं लेकिन देश में नए वैरिएंट का आना चिंता का सबब है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इसे लेकर ट्वीट किया है.
ब्रिटेन में भी बढ़ रहे हैं मामले
ब्रिटेन में AY.4.2 वैरिएंट की वजह से एक बार फिर कोविड-19 का संक्रमण बढ़ रहा है. यूके के हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक इस वैरिएंट की संक्रमण दर डेल्टा के मुकाबले 17 फीसदी ज्यादा है. गौरतलब है कि भारत में डेल्टा वैरिएंट ने ही कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कहर बरपाया था. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि डेल्टा वैरिएंट के विकसित नए रूप की वजह से मामले बढ़ रहा हैं और अगर इन्हें जल्द नहीं काबू किया गया तो चौथी लहर आ सकती है.
ब्रिटेन में 21 अक्टूबर को कोविड को 50 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए थे. बीते एक हफ्ते से नए मामलों का औसत 48 हजार के करीब बना हुआ है. 17 जुलाई के बाद पहली बार कोरोना के मामले 50 हजार के पार पहुंच रहे हैं. इसी तरह मंगलवार 19 मई को कोरोना से 223 मौत हुई है, इससे पहले मार्च 2021 में एक दिन में इससे ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हुई थी. बढ़ते मामलों को देखते हुए ब्रिटेन में इस वैरिएंट को अब वैरिएंट ऑफ इन्वेस्टिगेशन के रूप में क्लासिफाई किया गया है.
भारत के लिए क्यों बज रही खतरे की घंटी ?
1) ब्रिटेन से आने वाले लोग- दरअसल भारत और ब्रिटेन के बीच अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का सिलसिला शुरू हो चुका है. ब्रिटेन से भारत आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिन क्वारंटीन रहने या कोविड-19 आरटीपीसीआर टेस्ट कराना भी जरूरी नहीं है. अब सिर्फ निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट पर ही ब्रिटेन से आने वाले लोगों को भारत में एंट्री मिल रही है.
2) त्योहार का सीजन- देश में इस वक्त त्योहार का मौसम है. हर जगह भीड़ भाड़ कोविड़-19 संक्रमण को बढ़ा सकती है. देशभर में दूसरी लहर के बाद नियमों में ढील दी गई थी, जिसके बाद त्योहारी सीजन में हर जगह भीड़ नजर आ रही है. आने वाले दिनों में दिवाली से लेकर छठ, भाई दूज, धन तेरस जैसे त्योहार हैं, जिसमें बाजारों में भीड़ होती है और लोग एक-दूसरे से मिलते हैं.
3) टीकाकरण- भारत ने भले कोविड-19 टीके की100 करोड़ से अधिक डोज़ दी जा चुकी हैं लेकिन इसमें से बड़ा हिस्सा उन लोगों का है जिन्हें टीके की सिर्फ पहली डोज़ ही लगी है. फिलहाल 30 फीसदी से भी कम आबादी ऐसी है जिन्हें दोनों डोज़ लगे हैं. ऐसे में ज्यादातर आबादी टीके के सुरक्षा कवच से बाहर है.
4) बच्चों का टीकाकरण- नए वैरिएंट की दस्तक और त्योहारी सीजन के बीच अभिभावकों के लिए ये सबसे बड़ी चिंता है कि देश में अब तक बच्चों के टीकाकरण की शुरुआत नहीं हो पाई है. विशेषज्ञ वक्त-वक्त पर तीसरी लहर का दावा करते रहे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा बच्चों के संक्रमित होने का भी दावा होता है.
क्या ये वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है ?
ब्रिटेन से लेकर भारत तक के विशेषज्ञों की नजर इस नए वैरिएंट पर बनी हुई है. विशेषज्ञों के मुताबिक शुरुआती जांच में इस वैरिएंट के डेल्टा वैरिएंट से अधिक तेजी से फैलने के भी सबूत मिले हैं. ये मानव कोशिकाओं में अधिक आसानी से पहुंचता है और इसका म्यूटेशन इसे जीवित रखने में मदद करता है.
नया वैरिएंट भले अधिक संक्रामक हो लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इसका तुलना अल्फा और डेल्टा वैरिएंट से नहीं हो सकती, जो 50 से 60 फीसदी अधिक संक्रामक थे. हालांकि इस नए वैरिएंट को लेकर दुनियाभर में रिसर्च जारी है. अगर ज्यादा मामले सामने आते हैं तो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से इस वैरिएंट वैरिएंट को 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट'(Variant of Interest) की लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. इस वैरिएंट के और अधिक मामले आने पर इसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न(Variant of Concern) की लिस्ट में रखा जाएगा.
क्या वैक्सीन इस नए वैरिएंट पर कारगर है ?
इस नए वैरिएंट पर अभी रिसर्च चल रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक इसपर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन वैक्सीन लगाने गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा कम हो जाता है इसलिये दुनियाभर के एक्सपर्ट टीकाकरण जरूर कराने की सलाह देते हैं. दुनियाभर में टीकाकरण के बाद भी लोगों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं लेकिन वायरस का असर उन लोगों पर गंभीर रूप से नहीं पड़ा.
कनाडा से लेकर अमेरिका तक नए वैरिएंट, घटती इम्यूनिटी को देखते हुए कई देशों में बूस्टर डोज़ भी दिए जा रहे हैं. ऐसे में कोविड-19 टीकाकरण की अहमियत को समझा जा सकता है.
सावधानी है जरूरी
दुनियाभर के विशेषज्ञ हर हाल में कोविड प्रोटोकोल का पालन करने के साथ टीकाकरण की हिदायत दे रहे हैं. भारत में त्योहार का सीजन है और बाजार से लेकर मॉल ऑर सड़कों पर भीड़भाड़ देखी जा सकती है. इसलिये विशेषज्ञों की सलाह है कि भीड़भाड़ में ना जाएं और मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हैंड सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें. इसके साथ टीका जरूर लगवाएं, देश में दूसरी डोज़ लेने वालों का आंकड़ा अभी भी सिर्फ 30 करोड़ के करीब है. ऐसे में सरकार को जागरूकता फैलाने के साथ लोगों को भी टीकाकरण की अहमियत समझनी होगी.
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