सागर। मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वन्यजीव अभ्यारण्य नौरादेही अभ्यारण्य और दमोह जिले के रानी दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण्य को मिलाकर टाइगर रिजर्व तो बना दिया गया. लेकिन टाइगर रिजर्व के अंदर के 50 गांव अभी भी विस्थापन के लिए रह गए हैं. हालांकि 26 गांव विस्थापित हो चुके हैं और धीरे-धीरे विस्थापित गांवों में बाघ अपने टेरिटरी बनाने लगे हैं. ऐसे में इंसानों और बाघों के आमने-सामने आने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं. Displacement Big Problem in Nauradehi Tiger Reserve.
बजट के लिए अगले वित्तीय वर्ष का इंतजार: एक तरफ विस्थापित हो चुके गांव की तरफ टाइगर रिजर्व के बाघ रूख कर रहे हैं और दूसरी तरफ जो गांव विस्थापित नहीं हुए है, उनके रहवासी अपने मवेशी चराने, जलाऊ लकडी इकट्ठा करने के लिए पहले की तरह जंगल का उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में आम आदमी और टाइगर के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ रही हैं. हालांकि टाइगर रिजर्व प्रबंधन लोगों को लगातार खतरे से आगाह कर रहा है और टाइगर रिजर्व के नियमों के बारे में जानकारी दे रहा है. दूसरी तरफ हाल ये है कि जिन गांवों का विस्थापन बाकी है, उसके लिए अब बजट ही नहीं बचा है. अब वन विभाग अगले वित्तीय वर्ष का इंतजार कर रहा है कि विस्थापन का बजट आए और विस्थापन के लिए तैयार हो रहे लोगों को मुआवजा और हर्जाना देकर विस्थापित किया जाए.
टाइगर रिजर्व में विस्थापन बड़ी समस्या: मध्यप्रदेश के सातवें टाइगर रिजर्व के रूप में रानी दुर्गावती अभ्यारण्य आकार ले चुका है. 20 सितम्बर 2023 को बाकायदा टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी हो चुकी है. अधिसूचना जारी होते ही टाइगर रिजर्व का कोर और बफर एरिया तय कर दिया गया है. वैसे तो नौरादेही अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव जाते ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो गयी थी. लेकिन विस्थापन पूरा हुए बिना टाइगर रिजर्व की अधिसूचना जारी कर दी गयी और अब टाइगर रिजर्व आकार लेने के बाद भी विस्थापन की प्रक्रिया जारी है.
50 गावों में शुरु नहीं हुई विस्थापन प्रक्रिया: टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार, अब तक 26 गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं और 8 से 10 तैयार विस्थापन के लिए तैयार हैं. लेकिन अभी वन विभाग के पास 6 गावों के विस्थापन का पैसा आया है और इन 6 गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया जारी है. लेकिन करीब 50 गांव ऐसे हैं, जिनके विस्थापन की प्रक्रिया अभी शुरू ही नहीं हो पायी है. दरअसल वन विभाग के पास बजट का अभाव होने के कारण फिलहाल इन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. वन विभाग का मानना है कि अगले वित्तीय वर्ष में ही विस्थापन के लिए बजट मिल पाएगा. तब जाकर जो गांव विस्थापित होने के लिए रह गए हैं, उनके विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
विस्थापित हो चुके गांव में बाघ बना रहे टैरेटरी: दरअसल नौरादेही अभ्यारण्य के टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव के साथ ही गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी. अब तक 26 गांव पूरी तरह विस्थापित हो चुके हैं. विस्थापन के पहले टाइगर अभ्यारण्य की नौरादेही और सिंगपुर रेज में अपनी टेरिटरी बनाए थे. लेकिन विस्थापन के बाद धीरे-धीरे बाघों ने इन विस्थापित गांव में टेरिटरी बनाने के प्रयास शुरू कर दिए. सबसे पहला मूवमेंट मदर ऑफ नौरादेही कही जाने वाली बाघिन राधा ने किया. बाघिन राधा जब 2018 में नौरादेही पहुंची थी, तब वह नौरादेही और सिंगपुर की करीब 50 किमी रेंज में अपनी टेरिटरी बनाए थी. लेकिन लगातार बढते बाघों की संख्या के कारण अब बाघिन राधा ने नौरादेही और सिंगपुर से हटकर आंखीखेडा और घुघरी गांव की तरफ रूख कर लिया है. ये दोनों गांव पूरी तरह से विस्थापित हो चुके हैं. वहीं दूसरे बाघ और बाघिन भी उन 26 गांव विस्थापित गांव की तरफ रूख कर रहे हैं. ऐसे में बाघों की सुरक्षा के साथ-साथ मानव और बाघ के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है.
कई बार हो चुका बाघों और इंसानों का आमना-सामना: पिछले दिनों नवम्बर माह में ऐसे ही एक घटना सामने आयी थी, जब विस्थापन के इंतजार में मोहली गांव का चरवाहा लालसिंह यादव अपनी भैंस की तलाश में साइकिल से जंगल पहुंचा था. जहां करीब 100 मीटर की दूरी पर ही लालसिंह का बाघ से सामना हो गया. बाघ ने भी लालसिंह को देखकर गुर्राया, तो लालसिंह की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी और लालसिंह उलटे पांव भागा और घर पहुंचकर बीमार हो गया. इसके अलावा विस्थापित हो चुके गांव में लोगों का आना जाना अभी भी जारी है, जबकि बाघिन राधा अपने कुनबे के साथ विस्थापित गांव आंखीखेडा और मोहली में टेरिटरी बना रही है. ऐसे में कई बार बाघिन लोगों को आंखीखेडा और घुघरी में चहलकदमी करती नजर आयी है. हांलाकि वनविभाग लोगों को जागरूक कर रहा है और टाइगर रिजर्व के बाद बने नियमों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.
क्या कहते हैं जानकार: वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे कहते हैं कि मध्यप्रदेश का रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व, जो कुछ दिन पहले ही गठित किया गया है. टाइगर रिजर्व के जो गांव विस्थापित होना है, इस मामले में वनविभाग के द्वारा लापरवाही हो रही है. वहां बाघों का बसाना हो या चीता लाने की योजना हो विस्थापन न होने के कारण इन योजनाओं में काफी दिक्कत हो रही है. ग्रामीणों से संवाद करके विस्थापना की प्रक्रिया को आगे बढाना चाहिए. क्योंकि नौरादेही पहले ही काफी बड़ी सेंचुरी है. इसमें ये समस्या पहले से ही थी कि वहां कोर एरिया में करीब 65 गांव है, बहुत सारी संख्या में ग्रामीण रहते हैं. ये गांव अगर खाली नहीं हुए तो तो बाघों और मानव के बीच संघर्ष बढे़गा. इससे बाघों और मानवों दोनों को खतरा है.''
विस्थापन के लिए ग्रामीणों से संवाद करे वन विभाग: वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे ने कहा कि ''अभी वर्तमान में बाघ द्वारा पालतू मवेशियों के शिकार की सूचनाएं मिल रही हैं, ये काफी गंभीर है. बाघ अगर लगातार शिकार करेगा तो ये ग्रामीणों को नाराज करेगा और वो बदला लेने के लिए प्रेरित होंगे. वनविभाग को विस्थापन के लिए जनप्रतिनिधियों की मदद से ग्रामीणों से संवाद करना चाहिए. उनके उज्जवल भविष्य के लिए विस्थापन में जो सरकार को राशि खर्च करनी है, उसमें पारदर्शिता होना चाहिए. ताकि एक बेहतर टाइगर रिजर्व बनाया जा सके.''
क्या कहता है नौरादेही टाइगर रिजर्व प्रबंधन: टाइगर रिजर्व के उप संचालक डॉ. एए अंसारी कहते हैं कि ''नौरेदही को टाइगर रिजर्व बनाया है और इसी वजह से विस्थापन की प्रक्रिया पहले से जारी थी और कई गांव खाली भी हो चुके हैं. जो क्षेत्र खाली हुए हैं वहां नए टाइगर ने अपनी टेरिटरी बनाना शुरू किया है. लेकिन जो टाइगर रिजर्व के आसपास गांव है, उन ग्रामीणों की मानसिकता अभी वैसी ही है. वो पहले की तरह ही जंगल का उपयोग करना चाहते हैं. चाहे जंगल में मवेशी चराने का मामला हो या फिर जंगल से जलाऊ लकडी इकट्ठा करने का मामला हो. पिछले हफ्ते घटना आई थी कि एक चरवाहे का बाघ से सामना हो गया था और वह बीमार भी पड़ गया था. लेकिन हम लोग लगातार समझाइश दे रहे हैं और टाइगर रिजर्व के नियमों के बारे में बता रहे हैं.''
6 गांव के विस्थापन का पैसा आ गया: डॉ. एए अंसारी ने आगे कहा कि ''अभी 6 गांव का पैसा आ गया है, उनके विस्थापन की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. अभी 8 से 10 गांव खुद तैयार हैं और उन्होंने अपना सहमति पत्र दाखिल कर दिया है. अब बजट का भी इंतजार कर रहे हैं कि आगामी वित्तीय वर्ष में पर्याप्त बजट मिले, ताकि उनको अच्छी तरह से विस्थापित किया जाए और टाइगर रिजर्व को बाघों के अनूकूल बनाया जाए. अभी 26 गांव पूरी तरह विस्थापित हो चुके हैं. फिलहाल 6 गांव विस्थापन प्रक्रिया में हैं. संभवत इस महीने तक उनका विस्थापन पूर्व हो जाएगा. इसके अलावा हमारे पास छोटे बडे़ गांव मिलाकर 50 गांव हैं, जो विस्थापित करना है.