शहडोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में शहडोल जिले के एक आदिवासी गांव को लेकर ऐसा कुछ खास कह दिया है जिसके बाद यह जिला एक बार फिर से पूरे देश भर में सुर्खियों में आ गया है, दरअसल शहडोल जिले का विचारपुर गांव जो बैगा बाहुल्य आदिवासी गांव हैं यह फुटबॉल के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है और इसे मिनी ब्राजील के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां हर दूसरे घर में आपको फुटबॉल के नेशनल प्लेयर मिल जाएंगे. अभी हाल ही में जब पीएम मोदी शहडोल दौरे पर आए थे तो उन्होंने इन फुटबॉल खिलाड़ियों से पकरिया गांव में मुलाकात की थी और अब उसे मन की बात में भी बताने के बारे में कहा था और आज मन की बात के अपने इस एपिसोड में उन्होंने इसका जिक्र भी कर दिया.
मन की बात में मिनी ब्राजील का जिक्र: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात की 103वीं कड़ी में अपने विचार साझा किए, जहां शहडोल जिले के विचारपुर गांव की चर्चा की वहां के फुटबॉल खिलाड़ियों की चर्चा की मिनी ब्राजील के बारे में देशभर को बताया और जमकर तारीफ भी की. "मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपको मध्य प्रदेश के एक इंस्पायरिंग जर्नी के बारे में बताने जा रहा हूं यह जर्नी है मिनी ब्राजील की. आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में मिनी ब्राजील कहां से आ गया तो यही तो ट्विस्ट है एमपी के शहडोल में एक गांव है विचारपुर, जिसे मिनी ब्राजील कहा जाता है क्योंकि यह गांव आज के फुटबॉल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है.
ऐसे बदला गांव: पीएम ने आगे कहा कि जब कुछ हफ्ते पहले मैं शहडोल गया था तो वहां मेरी मुलाकात ऐसे बहुत सारे फुटबॉल खिलाड़ियों से हुई थी, मुझे लगा कि इस बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को जरूर जानना चाहिए. विचारपुर के मिनी ब्राजील बनने की यात्रा दो ढाई दशक पहले शुरू हुई थी. उस दौरान ये विचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था. नशे की गिरफ्त में था इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहां के युवाओं को हो रहा था. एक पूर्व नेशनल प्लेयर और कोच रईस अहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना. रईस जी के पास संसाधन पूरे नहीं थे लेकिन उन्होंने पूरी लगन से युवाओं को फुटबॉल सिखाना शुरू किया. कुछ साल के भीतर ही यहां फुटबॉल इतनी पॉपुलर हो गई कि विचारपुर गांव की पहचान ही फुटबॉल से होने लगी.
एक गांव से ही निकले 40 से ज्यादा खिलाड़ी: अब यहां फुटबॉल क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है. यह प्रोग्राम इतना ज्यादा सफल हुआ है कि विचारपुर में नेशनल और स्टेट लेवल के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं. यह फुटबॉल क्रांति अब धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है. शहडोल और उसके आसपास के काफी बड़े इलाके में 12 सौ से ज्यादा फुटबॉल क्लब बन चुके हैं. यहां से बड़ी संख्या में ऐसे खिलाड़ी निकल रहे हैं जो नेशनल लेवल पर खेल रहे हैं. फुटबॉल के कई बड़े पूर्व खिलाड़ी और कोच आज यहां युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं. सोचिए एक आदिवासी इलाका जो अवैध शराब के लिए जाना जाता था नशे के लिए बदनाम था वह अब देश की फुटबॉल नर्सरी बन गया है इसलिए तो कहते हैं. जहां चाह वहां राह हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है जरूरत है तो उन्हें तलाशने की और तराशने की इसके बाद यही युवा देश का नाम भी रोशन करते हैं और देश की विकास को दिशा भी देते हैं.
यहां हर घर नेशनल खिलाड़ी: बता दें कि शहडोल जिले का विचारपुर गांव जो कि आदिवासी बाहुल्य गांव है, जिला मुख्यालय से लगा हुआ गांव है. यहां फुटबॉल को लेकर छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक गजब की दीवानगी है और शायद इसीलिए यहां बच्चा-बच्चा फुटबॉल खेलता है, यहां हर दूसरे घर में फुटबॉल के नेशनल खिलाड़ी आपको मिल जाएंगे और एक-दो नेशनल की बात हो तो बात अलग है कई ऐसे लड़के लड़कियां भी हैं जो 5 से 7 नेशनल से भी ज्यादा खेल चुके हैं. इस गांव के फुटबॉल खिलाड़ियों की बात और इस खबर को लगातार ईटीवी भारत भी दिखाता रहा है यहां के खिलाड़ियों के बारे में ईटीवी भारत लगातार बताता रहा है और आज मन की बात में पीएम मोदी ने भी इस गांव का जिक्र कर दिया है जिसके बाद इस गांव के खिलाड़ियों में खुशी की लहर है.
जल सरंक्षण को लेकर भी की तारीफ: पीएम मोदी ने शहडोल जिले की जल सरंक्षण को लेकर भी जमकर तारीफ की और बताया कि "आपको याद होगा कि कुछ समय पहले मैं एमपी के शहडोल गया था. वहां मेरी मुलाकात पकरिया गांव के आदिवासी भाई बहनों से हुई थी वहीं पर उनसे मेरी प्रकृति और पानी को बचाने के लिए भी चर्चा हुई थी. अभी मुझे पता चला है कि पकरिया गांव के आदिवासी भाई बहनों ने इसे लेकर काम भी शुरू कर दिया है, प्रशासन की मदद से लोगों ने करीब 100 कुओं को वाटर रिचार्ज सिस्टम में बदल दिया है, बारिश का पानी कुआं में जाता है, और कुओं से पानी जमीन के अंदर चला जाता है इससे इलाके में भूजल स्तर भी धीरे-धीरे सुधरेगा और अब सभी गांव वाले पूरे क्षेत्र के करीब 800 कुओं को रिचार्ज करने के लिए लक्ष्य बनाया है.