जबलपुर। खाद्य एवं औषधि विभाग के निरीक्षक अमरीश दुबे के जबलपुर और सागर के ठिकानों पर ईओडब्ल्यू की टीम ने गुरुवार की देर रात छापा मारा. EOW के छापे में जबलपुर और सागर में पदस्थ खाद्य और औषधि विभाग के इंस्पेक्टर अमरीश दुबे के पास अभी तक लगभग 600 गुना ज्यादा संपत्ति का खुलासा हुआ है. लग्जरी मकान, लग्जरी कारें, प्लॉट के अलावा एक शुगर मिल में पार्टनरशिप के दस्तावेज ईओडब्ल्यू ने जप्त किए हैं. अभी तक लगभग 5 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का खुलासा ईओडब्ल्यू कर चुकी है और अभी खातों और बैंक लॉकर की जांच बाकी है. EOW कार्रवाई अभी तक जारी है.
12 साल की नौकरी में इंस्पेक्टर से शुगर मिल मालिक: अमरीश दुबे का सिलेक्शन 2008 में खाद्य एवं औषधि विभाग में इंस्पेक्टर के रूप में हुआ था और 2011 से यह नौकरी पर हैं. मात्र 12 साल की नौकरी में अमरीश अमरीश दुबे के पास अकूत संपत्ति का खुलासा हुआ है. EOW के डीएसपी ए बी सिंह ने बताया कि अमरीश दुबे ने अपनी अवैध संपत्ति को प्लॉट मकान और शुगर मिल में इन्वेस्ट किया था. अमरीश दुबे नरसिंहपुर के रहने वाले हैं और इन्होंने यहीं पर 90 लाख एक शुगर मिल में इन्वेस्ट किया हुआ है.
600% से ज्यादा की संपत्ति: ईओडब्ल्यू के अनुसार अमरीश दुबे के पास अपनी आय से लगभग 600% ज्यादा की संपत्ति मिली है. जबलपुर में स्टार पार्क में एक तीन मंजिला मकान जिसकी कीमत EOW के अनुसार 90 लाख रुपया है लेकिन बाजार मूल्य के अनुसार यह डेढ़ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है. इसके साथ ही शताब्दीपुरम में एक 24 वर्ग फिट का प्लॉट जिसकी कीमत 65 लाख बताई जा रही है. सागर में एक मकान, दो लग्जरी फोर व्हीलर गाड़ियां भी ईओडब्ल्यू ने अपने छापे में प्राप्त की हैं. अमरीश दुबे फिलहाल सागर में पदस्थ हैं. ईओडब्ल्यू का कहना है कि अभी भी उनके लॉकर और खातों की जांच होनी है. जिससे नकदी का खुलासा हो सकेगा.
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लग्जरी लाइफ़स्टाइल का शौकीन: अमरीश दुबे कि सोशल मीडिया प्रोफाइल से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार अमरीश दुबे एक लग्जरी जिंदगी जीने के शौकीन हैं और देश विदेश की यात्राएं करने का. कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन के डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेवारी अमरीश दुबे के पास ही थी ऐसा कहा जा रहा है कि इसी दौरान अमरीश दुबे ने सबसे ज्यादा संपत्ति अर्जित की. अमरीश दुबे के बारे में उनके जानने वाले बताते हैं कि वह बिना पैसे के कोई काम नहीं करते और सबसे ज्यादा पैसा मेडिकल स्टोर और दवा विक्रेताओं से वसूला जाता है.