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MP के BJP मंत्री की आखिरी इच्छा- कोई मेरी 13वीं ना करे क्योंकि परिवार का फैसला है कि...

शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी बहू की श्रद्धाजंलि सभा में मिसाल पेश की. उन्होंने लोगों से मृत्युभोज प्रथा को बंद करने के लिए कहा और साथ ही यह संकल्प भी दिलाया कि उनकी मौत के बाद कोई भी परिवार का शख्स उनकी 13वीं की रस्म ना करे, ना ही मृत्यूभोज दे. इतना ही नहीं उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाते हुए अपने परिवार में मृत्युभोज की प्रथा को बंद करने का ऐलान किया.

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भूपेंद्र सिंह ने अंत्येष्टि भोज की प्रथा बंद की
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Published : Apr 7, 2023, 1:15 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 1:55 PM IST

भूपेंद्र सिंह ने अंत्येष्टि भोज की प्रथा बंद की

सागर। मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी बहू के निधन के बाद एक सामाजिक पहल कर मिसाल कायम की है. मंत्री ने परिवार के सभी सदस्यों और शास्त्रों के जानकारों से चर्चा के बाद अपने परिवार में मृत्यु भोज की प्रथा को बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने समाज के अन्य लोगों से भी इस प्रथा को बंद करने की अपील की है. गुरुवार को बामोरा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने परिवार के निर्णय से सभी को अवगत कराते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में कहीं भी मृत्यु भोज का उल्लेख नहीं है. श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण भोज का उल्लेख जरूर है लेकिन उसमें भी कहा गया है कि अपनी श्रद्धा और स्थिति के अनुसार ब्राह्मण भोज कराएं. इसी वजह से हमारे परिवार ने 13वीं और ब्राह्मण भोज की प्रथा समाप्त करने का निर्णय लिया है. इस कार्यक्रम में जो संभावित खर्च आता है वह 5 लाख रुपए हैं जिसे मंदिर के लिए दान करने का फैसला लिया गया है.

मृत्यु भोज नहीं करवाने का जानें कारण: पिछले दिनों मंत्री भूपेंद्र सिंह की बहू किरण सिंह का निधन हो गया था. इसके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृहग्राम बामोरा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी बहू स्व. किरण सिंह की तेरहवीं पर मृत्युभोज नहीं करके श्रद्धांजलि सभा में आए लोगों से कुरीति को समाप्त करने का आह्वान किया. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि "मैं लोगों को बामोरा परिवार के निर्णय से अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे परिवार ने मृत्युभोज नहीं कराने का फैसला लिया है. ये निर्णय लेने के पहले हमने विद्वानों और जानकारों से चर्चा की और खुद शास्त्रों का अध्ययन किया. विद्वानों ने बताया कि शास्त्रों में मानव जीवन में 16 संस्कारों का उल्लेख है, जिनमें अंत्येष्टि को अंतिम सोलहवां संस्कार माना गया है." उन्होंने कहा कि "विद्वानों के अनुसार मृत्युभोज शास्त्र सम्मत नहीं है. गरुड़ पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, भागवत पुराण में व्यक्ति की सद्गति के लिए मृत्यु पश्चात श्राद्ध कर्म में ब्रह्मभोज का वर्णन अवश्य है लेकिन मृत्युभोज का नहीं है."

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मंदिर के लिए दान किए 5 लाख रुपए: मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बहू के मृत्युभोज में होने वाले संभावित खर्च के 5 लाख रुपए की राशि राम-जानकी मंदिर के लिए दान करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर समाज के संपन्न परिवार इस कुरीति को बंद कर दें, तब आर्थिक रूप कमजोर वर्ग को भी कुप्रथा के विरुद्ध खड़े होने का संबल मिलेगा. मृत्युभोज बंद करने के पक्ष में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी क्षमतानुसार सिर्फ ब्राह्मण भोज करने के लिए आगे आने को कहा है. उन्होंने कहा कि संपन्न परिवार मृत्युभोज में होने वाले व्यय को समाज के अन्य पुण्य कार्यों में लगा सकते हैं, जिससे कि दिवंगत आत्मा को शांति और यश मिले.

शिवराज मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्रियों में भूपेंद्र सिंह की गिनती होती है. बुंदेलखंड में उनका और परिवार का खासा असर है. ऐसे में मंत्री ने यह भी कहा है कि परिवार ने जो फैसला लिया है वो उन पर भी लागू होता है. लिहाजा उन्होने सबसे संकल्प कराया कि कोई भी उनकी मृत्यू के उपरांत उनकी इच्छा के विरुद्द ना जाए. उनके लिए 13वीं का भोज ना कराए और शास्त्र सम्मत समाज के लिए दान करे.

भूपेंद्र सिंह ने अंत्येष्टि भोज की प्रथा बंद की

सागर। मध्यप्रदेश सरकार में नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी बहू के निधन के बाद एक सामाजिक पहल कर मिसाल कायम की है. मंत्री ने परिवार के सभी सदस्यों और शास्त्रों के जानकारों से चर्चा के बाद अपने परिवार में मृत्यु भोज की प्रथा को बंद करने का फैसला लिया है. उन्होंने समाज के अन्य लोगों से भी इस प्रथा को बंद करने की अपील की है. गुरुवार को बामोरा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपने परिवार के निर्णय से सभी को अवगत कराते हुए कहा कि हमारे शास्त्रों में कहीं भी मृत्यु भोज का उल्लेख नहीं है. श्राद्ध कर्म के बाद ब्राह्मण भोज का उल्लेख जरूर है लेकिन उसमें भी कहा गया है कि अपनी श्रद्धा और स्थिति के अनुसार ब्राह्मण भोज कराएं. इसी वजह से हमारे परिवार ने 13वीं और ब्राह्मण भोज की प्रथा समाप्त करने का निर्णय लिया है. इस कार्यक्रम में जो संभावित खर्च आता है वह 5 लाख रुपए हैं जिसे मंदिर के लिए दान करने का फैसला लिया गया है.

मृत्यु भोज नहीं करवाने का जानें कारण: पिछले दिनों मंत्री भूपेंद्र सिंह की बहू किरण सिंह का निधन हो गया था. इसके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह के गृहग्राम बामोरा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी बहू स्व. किरण सिंह की तेरहवीं पर मृत्युभोज नहीं करके श्रद्धांजलि सभा में आए लोगों से कुरीति को समाप्त करने का आह्वान किया. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि "मैं लोगों को बामोरा परिवार के निर्णय से अवगत कराना चाहता हूं कि हमारे परिवार ने मृत्युभोज नहीं कराने का फैसला लिया है. ये निर्णय लेने के पहले हमने विद्वानों और जानकारों से चर्चा की और खुद शास्त्रों का अध्ययन किया. विद्वानों ने बताया कि शास्त्रों में मानव जीवन में 16 संस्कारों का उल्लेख है, जिनमें अंत्येष्टि को अंतिम सोलहवां संस्कार माना गया है." उन्होंने कहा कि "विद्वानों के अनुसार मृत्युभोज शास्त्र सम्मत नहीं है. गरुड़ पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, भागवत पुराण में व्यक्ति की सद्गति के लिए मृत्यु पश्चात श्राद्ध कर्म में ब्रह्मभोज का वर्णन अवश्य है लेकिन मृत्युभोज का नहीं है."

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मंदिर के लिए दान किए 5 लाख रुपए: मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बहू के मृत्युभोज में होने वाले संभावित खर्च के 5 लाख रुपए की राशि राम-जानकी मंदिर के लिए दान करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अगर समाज के संपन्न परिवार इस कुरीति को बंद कर दें, तब आर्थिक रूप कमजोर वर्ग को भी कुप्रथा के विरुद्ध खड़े होने का संबल मिलेगा. मृत्युभोज बंद करने के पक्ष में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी क्षमतानुसार सिर्फ ब्राह्मण भोज करने के लिए आगे आने को कहा है. उन्होंने कहा कि संपन्न परिवार मृत्युभोज में होने वाले व्यय को समाज के अन्य पुण्य कार्यों में लगा सकते हैं, जिससे कि दिवंगत आत्मा को शांति और यश मिले.

शिवराज मंत्रिमंडल के कद्दावर मंत्रियों में भूपेंद्र सिंह की गिनती होती है. बुंदेलखंड में उनका और परिवार का खासा असर है. ऐसे में मंत्री ने यह भी कहा है कि परिवार ने जो फैसला लिया है वो उन पर भी लागू होता है. लिहाजा उन्होने सबसे संकल्प कराया कि कोई भी उनकी मृत्यू के उपरांत उनकी इच्छा के विरुद्द ना जाए. उनके लिए 13वीं का भोज ना कराए और शास्त्र सम्मत समाज के लिए दान करे.

Last Updated : Apr 7, 2023, 1:55 PM IST
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