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MP: इंदौर बावड़ी हादसे पर सरकार ने लिया यू टर्न, पहले ढहाया अब मंदिर वहीं बनाएंगे

इंदौर के बेलेश्वर मंदिर में हुए बावड़ी हादसे के बाद मंदिर के अवैध निर्माण को गिरा दिया गया और बावड़ी भी भरवा दी गई. जिसका लोगों ने भारी विरोध किया. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी मंदिर तोड़े जाने पर सवाल उठाए. नतीजा यह हुआ कि शिवराज सरकार अब उसी जगह मंदिर निर्माण कराने जा रही है. करीब 42 लाख रुपए कीमत से नया मंदिर बनाया जाएगा. सरकार के इस यू टर्न पर कांग्रेस ने तंज सका है.

indore temple bawdi incident
इंदौर बावड़ी हादसा
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Published : Apr 7, 2023, 8:33 PM IST

भोपाल। क्या सरकारें भावनाओं पर चलती हैं. मध्यप्रदेश के इंदौर में 36 जिंदगियां लील जाने वाली बावड़ी के मामले में तो यही दिखाई दे रहा है. पहले स्थानीय जनता के गुस्से और सिस्टम सख्त है कि तस्वीर दिखाने मंदिर के अवैध निर्माण को गिरा दिया गया, बावड़ी भर दी गई. अब जब अपनी पार्टी के नेता ने सवाल उठाए, जनता का दबाव आया तो भूल सुधार के अंदाज में अब गिराए गए मंदिर की जगह पर शिवराज सरकार 42 लाख रुपए की राशि से नया मंदिर खड़ा करने जा रही है. जो बावड़ी पूर दी गई थी, उसे बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी के बाद बावड़ी भर देने के फैसले को भी पलट दिया गया. सीएम शिवराज ने कहा कि ''प्राचीन कुओं-बावड़ियों को जलस्रोतों के रूप में उपयोग किया जाएगा. उन्हें सुरक्षित-संरक्षित कर इनका उपयोग किया जाएगा.'' इंदौर में हुए मंदिर हादसे पर शिवराज सरकार के यू टर्न के बाद कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि ''क्या ये कुंए, बावड़ियों के अतिक्रमणकारियों को प्रोत्साहित करने की योजना है.''

इंदौर बावड़ी हादसा
इंदौर बावड़ी हादसा

पहले अवैध निर्माण गिराया, अब वहीं बनेगा मंदिर: इंदौर में मंदिर हादसे में हुए 36 लोगों की मौत के बाद सरकार के फैसले हर दिन बदल रहे हैं. पहले शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़े तेवर दिखाए. कलेक्टरों के साथ मंत्रियों को भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में खुले कुएं बावड़ियों की जांच के निर्देश दिए. लोगों की नाराजगी देखते हुए अवैध निर्माण गिराने में भी देर नहीं की गई. ये संदेश भी हाथ के हाथ दे दिया गया कि शिवराज सरकार ने अतिक्रमण कारियों के मंसूबे ध्वस्त कर दिए. लेकिन अब सरकार ने उसी जगह मंदिर निर्माण कार्य के लिए 42 लाख रुपए की राशि आवंटित की है. इस दलील के साथ कि लोगों की भावनाएं हैं कि वहां मंदिर बनें. असल में मंदिर गिराए जाने से लोग नाराज थे. सीएम शिवराज का बयान आया कि पुरातन मंदिर था, लिहाजा उन्हें ये उचित लगा कि वहां फिर से मंदिर की स्थापना हो ताकि लोग पूजा पाठ कर सकें. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावी साल में सरकार ने एक खास वर्ग के वोट खिसकने के डर से यू टर्न लिया गया.

पहले बावड़ी भर दी, अब संरक्षित करने का संदेश: इसी तरह से पहले तो जिस बावड़ी में हादसा हुआ उसे भर दिया गया. फिर जब पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जिला प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाए और कहा कि कुएं और बावड़ियों को इस तरीके से बंद किए जाने को वे सही नही मानते. तो सरकार के सुर भी बदल गए. सीएम शिवराज ने अब कैलाश विजयवर्गीय के बयान को उत्तम बताते हुए कहा कि ''प्राचीन कुओं-बावड़ियों का इस्तेमाल जल स्त्रोत के तौर पर ही होना चाहिए और इन्हें सुरक्षित कर अब इनका इस्तेमाल किया जाए.''

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अतिक्रमण को प्रोत्साहित करने सरकार की योजना: कांग्रेस के मीडिया विभाग के चैयरमेन केके मिश्रा ने सरकार के इस यू टर्न पर सवाल उठाया है और कहा है कि ''सरकार में सर्कस चल रहा है. पहली बात तो ये है कि 36 मौतों के सौदागरों के चेहरे उजागर होना चाहिए. वो चिन्हित चेहरे कौन हैं, जिन्होंने इस बावड़ी का धार्मिक उपयोग के नाम पर व्यक्तिगत उपयोग किया है. भारतीय जनता पार्टी के वो कौन मौजूदा पार्षद हैं जिनका राजनीतिक कार्यालय वहां बना हुआ है. भाजपा का कौन सा पूर्व पार्षद था जिसने अवैध रुप से कानूनी प्रक्रियाओं का पालन ना करते हुए मंदिर बनवाया और बीजेपी का वो कौन सा सांसद है जिसने नगर निगम के कई नोटिसों के बावजूद भी उस मंदिर निर्माण को जारी रखा. इसमें सिर्फ बीजेपी दिखाई दे रही है.'' केके मिश्रा ने कहा कि ''शायद मुख्यमंत्री ने 36 मौतों को भूला दिया, कोई सबक इन मौतों से नहीं लिया और अब राजनीतिक दबाव के चलते अन्य लोगों को मारने की प्रक्रिया शुरु कर दी है.'' मिश्रा सवाल करते हैं कि जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई, उन्हें चिन्हित किए जाए. अतिक्रमण तो नहीं है, फिर दूसरी तरफ सरकार ही 42 लाख रुपए नए मंदिर के लिए आवंटित करती है. क्या ये अतिक्रमणकारियों को प्रोत्साहित करने की योजना है.'' केके मिश्रा पूछते हैं कि ''धर्म के नाम पर बेगुनाहों की मौत का सिलसिला कब तक जारी रहेगा.''

भोपाल। क्या सरकारें भावनाओं पर चलती हैं. मध्यप्रदेश के इंदौर में 36 जिंदगियां लील जाने वाली बावड़ी के मामले में तो यही दिखाई दे रहा है. पहले स्थानीय जनता के गुस्से और सिस्टम सख्त है कि तस्वीर दिखाने मंदिर के अवैध निर्माण को गिरा दिया गया, बावड़ी भर दी गई. अब जब अपनी पार्टी के नेता ने सवाल उठाए, जनता का दबाव आया तो भूल सुधार के अंदाज में अब गिराए गए मंदिर की जगह पर शिवराज सरकार 42 लाख रुपए की राशि से नया मंदिर खड़ा करने जा रही है. जो बावड़ी पूर दी गई थी, उसे बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की नाराजगी के बाद बावड़ी भर देने के फैसले को भी पलट दिया गया. सीएम शिवराज ने कहा कि ''प्राचीन कुओं-बावड़ियों को जलस्रोतों के रूप में उपयोग किया जाएगा. उन्हें सुरक्षित-संरक्षित कर इनका उपयोग किया जाएगा.'' इंदौर में हुए मंदिर हादसे पर शिवराज सरकार के यू टर्न के बाद कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि ''क्या ये कुंए, बावड़ियों के अतिक्रमणकारियों को प्रोत्साहित करने की योजना है.''

इंदौर बावड़ी हादसा
इंदौर बावड़ी हादसा

पहले अवैध निर्माण गिराया, अब वहीं बनेगा मंदिर: इंदौर में मंदिर हादसे में हुए 36 लोगों की मौत के बाद सरकार के फैसले हर दिन बदल रहे हैं. पहले शिवराज सरकार ने इस पूरे मामले में सख्ती दिखाते हुए अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़े तेवर दिखाए. कलेक्टरों के साथ मंत्रियों को भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में खुले कुएं बावड़ियों की जांच के निर्देश दिए. लोगों की नाराजगी देखते हुए अवैध निर्माण गिराने में भी देर नहीं की गई. ये संदेश भी हाथ के हाथ दे दिया गया कि शिवराज सरकार ने अतिक्रमण कारियों के मंसूबे ध्वस्त कर दिए. लेकिन अब सरकार ने उसी जगह मंदिर निर्माण कार्य के लिए 42 लाख रुपए की राशि आवंटित की है. इस दलील के साथ कि लोगों की भावनाएं हैं कि वहां मंदिर बनें. असल में मंदिर गिराए जाने से लोग नाराज थे. सीएम शिवराज का बयान आया कि पुरातन मंदिर था, लिहाजा उन्हें ये उचित लगा कि वहां फिर से मंदिर की स्थापना हो ताकि लोग पूजा पाठ कर सकें. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावी साल में सरकार ने एक खास वर्ग के वोट खिसकने के डर से यू टर्न लिया गया.

पहले बावड़ी भर दी, अब संरक्षित करने का संदेश: इसी तरह से पहले तो जिस बावड़ी में हादसा हुआ उसे भर दिया गया. फिर जब पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने जिला प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाए और कहा कि कुएं और बावड़ियों को इस तरीके से बंद किए जाने को वे सही नही मानते. तो सरकार के सुर भी बदल गए. सीएम शिवराज ने अब कैलाश विजयवर्गीय के बयान को उत्तम बताते हुए कहा कि ''प्राचीन कुओं-बावड़ियों का इस्तेमाल जल स्त्रोत के तौर पर ही होना चाहिए और इन्हें सुरक्षित कर अब इनका इस्तेमाल किया जाए.''

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अतिक्रमण को प्रोत्साहित करने सरकार की योजना: कांग्रेस के मीडिया विभाग के चैयरमेन केके मिश्रा ने सरकार के इस यू टर्न पर सवाल उठाया है और कहा है कि ''सरकार में सर्कस चल रहा है. पहली बात तो ये है कि 36 मौतों के सौदागरों के चेहरे उजागर होना चाहिए. वो चिन्हित चेहरे कौन हैं, जिन्होंने इस बावड़ी का धार्मिक उपयोग के नाम पर व्यक्तिगत उपयोग किया है. भारतीय जनता पार्टी के वो कौन मौजूदा पार्षद हैं जिनका राजनीतिक कार्यालय वहां बना हुआ है. भाजपा का कौन सा पूर्व पार्षद था जिसने अवैध रुप से कानूनी प्रक्रियाओं का पालन ना करते हुए मंदिर बनवाया और बीजेपी का वो कौन सा सांसद है जिसने नगर निगम के कई नोटिसों के बावजूद भी उस मंदिर निर्माण को जारी रखा. इसमें सिर्फ बीजेपी दिखाई दे रही है.'' केके मिश्रा ने कहा कि ''शायद मुख्यमंत्री ने 36 मौतों को भूला दिया, कोई सबक इन मौतों से नहीं लिया और अब राजनीतिक दबाव के चलते अन्य लोगों को मारने की प्रक्रिया शुरु कर दी है.'' मिश्रा सवाल करते हैं कि जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई, उन्हें चिन्हित किए जाए. अतिक्रमण तो नहीं है, फिर दूसरी तरफ सरकार ही 42 लाख रुपए नए मंदिर के लिए आवंटित करती है. क्या ये अतिक्रमणकारियों को प्रोत्साहित करने की योजना है.'' केके मिश्रा पूछते हैं कि ''धर्म के नाम पर बेगुनाहों की मौत का सिलसिला कब तक जारी रहेगा.''

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