भोपाल। मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को सालभर में 6 माह से भी कम काम करना पड़ता है. इसके बाद भी वेतन सालभर का मिलता है. साल-दर-साल छुट्टियों का दायरा बढ़ता ही जा रहा है. शिवराज सरकार लगातार महापुरुषों की जयंती पर चुनावी साल में अवकाश घोषित करने में कोई कोताही नहीं बरत रही है. हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने क्षत्रिय समाज को खुश करने के लिए महाराणा प्रताप जयंती पर अवकाश घोषित कर दिया. इससे पहले जाट सम्मेलन किया तो वहां सीएम शिवराज ने तेजाजी जयंती पर ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की.
मध्यप्रदेश में 62 ऐच्छिक अवकाश: मध्यप्रदेश में सालभर में कुल 62 ऐच्छिक अवकाश घोषित हैं. ये इस प्रकार हैं- गुरु गोविंद सिंह जयंती, महर्षि गोकुलदास जयंती, हेमू कालानी शहीद दिवस, देव नारायण जयंती, नर्मदा जयंती, हजरत अली जन्मदिन, स्वामी रामचरण महाराज जन्मदिवस, महर्षि दयानंद जयंती, एकलव्य जयंती, शबरी जयंती, शब-ए-बारात, भक्त माता कर्मा जयंती, वीरांगना अवंती बाई बलिदान दिवस, हाटकेश्वर जयंती, महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती, विशु सेन जयंती, अक्षय तृतीया, शंकराचार्य जयंती, केवट जयंती, वीरांगना दुर्गावती जयंती, बलराम जयंती, गोस्वामी तुलसीदास जयंती, विश्वकर्मा जयंती, राजा शंकर शाह रघुनाथ शाह बलिदान दिवस, महाराजा अजमोढ़ देव जयंती, सैयदना साहब जयंती, झलकारी जयंती, नामदेव जयंती, गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस, टंट्या भील बलिदान दिवस, घासीदास जयंती, संत चिंततरण जयंती, दत्तात्रेय जयंती.
सरकारी दफ्तरों में 5 डे वीक: मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को सालभर में सिर्फ 163 दिन काम करना होता है और वेतन सालभर का मिलता है. शिवराज सरकार ने कर्मचारियों के लिए 5 डे वीक कर दिया है. इस प्रकार सरकारी कर्मचारी सालभर में 202 दिन आराम करेंगे और सिर्फ 163 दिन ही काम करेंगे. छुट्टियों के मौजूदा गणित के हिसाब से सालभर में 53 रविवार, 52 शनिवार, धार्मिक पर्व व त्योहार, जयंती और पुण्यतिथि की 29 छुट्टियां. ये सब मिलाकर 134 दिन की सरकारी छुट्टी पहले से ही थी. इसके अलावा कर्मचारियों की अन्य छुट्टी की पात्रता भी है, जिसमें एक साल में 30 ईएल, 13 सीएल और 20 मेडिकल लीव शामिल हैं. साल में 62 दिन ऐच्छिक अवकाश भी है. साथ में 3 स्थानीय अवकाश भी मिलते हैं.
छुट्टी का कल्चर खत्म हो: सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियों को लेकर जानकारों के साथ ही आम जनता का कहना है कि सरकारी ढर्रा अपने ढंग से चलेगा. कहने को ऑफिस के बंद होने का टाइम और शुरू होने के टाइम में बदलाव किया गया है, लेकिन अभी भी देखा जाता है कि कर्मचारी समय पर नहीं आते और समय से पहले चले जाते हैं. यहां पर वर्क कल्चर सुधारा जाना चाहिए. कर्मचारियों के काम करने की टाइम लिमिट तय होनी चाहिए, अब शनिवार भी छुट्टी होती है. इस प्रकार लोगों को अब अपना काम कराने ले लिए सिर्फ 5 दिन मिलते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि ये कल्चर खत्म होना चाहिए. सरकार को सख्त होना चाहिए. जो कर्मचारी ऑफिस आने और जाने में समय की पाबंदी नहीं रखते, उन पर एक्शन होना चाहिए. जितना काम, उतना दाम की पॉलिसी अपनानी चाहिए. लेकिन जातीय समीकरण और कर्मचारियों के वोट बैंक के चलते सरकार कर्मचारियों पर मेहरबान है.
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विपक्षी दल भी अवकाश के पक्ष में: विपक्षी दल कांग्रेस को सत्ताधारी पार्टी के फैसलों के विरोध में सड़कों पर उतरना चाहिए लेकिन जब बात वोट बैंक की हो तो विपक्ष भी सरकार की खिलाफत नहीं करता बल्कि यह बताने की कोशिश करता है कि उसने इन कर्मचारियों या फिर अन्य जातियों के लिए क्या अच्छा किया. कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा कहते हैं कि कमलनाथ सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के हितों में बहुत फैसले लिए. पुलिस महकमे को भी छुट्टी का ऐलान किया. वहीं सत्ताधारी भाजपा के प्रवक्ता गोविंद मालू का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां सरकारी कैलेंडर के आधार पर होती हैं. बाकी राज्य भी महापुरुषों की जयंती पर अवकाश घोषित करते हैं.