भोपाल। सत्ता की चाशनी और चुनाव के दौरान टिकट न मिले, तो पार्टी से आस्था खत्म करने में नेता देरी नहीं लगाते. मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान मध्यप्रदेश में दल बदलुओं का तांता लगा हुआ है. कोई टिकट की चाह में पार्टी छोड़ रहा है, तो कोई उम्मीदें पूरी न होने पर पार्टी को सबक सिखाने. हालांकि प्रदेश में कई दलबदलू ऐसे भी हैं, जिनका दलबदलने का रिकॉर्ड रहा है. ऐसे नेताओं की पूरी फेहरिस्त मौजूद है. ऐसे नेताओं में एक नाम नारायण त्रिपाठी हैं, जो बीजेपी का नाता छोड़ चुके हैं और अब जल्द ही कांग्रेस का दामन थामने जा रहा हैं.
गौतम पटेल ने थामा हाथ : नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा विधानसभा सीट से चुनावी तैयारी में जुटे बीजेपी नेता गौतम सिंह पटेल को पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी. इस्तीफा दिया और आज कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पहुंचकर हाथ थाम लिया. पीसीसी चीफ कमलनाथ ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई. गौतम सिंह पटेल पिछले चुनाव में भी मैदान में उतरे थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी सुनीता पटेल से चुनाव हार गए थे. गौतम पटेल के पिता गोपाल सिंह पटेल दो बार बीजेपी से विधायक रहे हैं.
टिकट नहीं मिला कांग्रेस में हुए शामिल, त्रिपाठी पर सस्पेंस: कमोवेश यही स्थिति कई पार्टी बदल चुके और पिछले दिनों बीजेपी से इस्तीफा देने वाले विंध्य क्षेत्र की मैहर सीट से विधायक नारायण त्रिपाठी की है. बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद वे भी कांग्रेस ज्वाइन करने की तैयारी कर रहे हैं. नारायण त्रिपाठी इसके पहले बीजेपी में थे. 2016 के उपचुनाव और फिर 2018 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे. इसके पहले वे कांग्रेस में रह चुके हैं. वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुके हैं. निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भी त्रिपाठी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं. हालांकि अभी भी वे किस नाव में सवार होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता.
फूल सिंह बरैया बदल चुके 4 पार्टियां: कांग्रेस ने भांडेर से फूल सिंह बरैया को चुनाव मैदान में उतारा है. 2020 के उपचुनाव में भी वे कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे थे, लेकिन चुनाव हार गए थे. फूल सिंह बरैया अब तक 4 पार्टियां बदल चुके हैं. वे भांडेर सीट से पहले बसपा से विधायक रह चुके हैं. बसपा से नाराजगी हुई और वे समता समाज पार्टी में शामिल हो गए. बाद में वे बीजेपी में पहुंच गए और उन्होंने बहुजन संघर्ष दल बनाया. इसके बाद वे कांग्रेस में पहुंच गए.
80 साल के अखंड सबसे बड़े दलबदलू: 80 साल के पड़ाव में पहुंच चुके बुंदेलखंड क्षेत्र के नेता और पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों से चुनाव लड़ा और जीते भी. दोनों सरकारों में वे मंत्री भी रह चुके हैं. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरूआत 1977 में जनता पार्टी से की थी, लेकिन इसके बाद वे कई पार्टियों की यात्रा कर चुके हैं. 1993 में वे कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने और मंत्री भी. 2003 में बीजेपी के टिकट पर विधायक और मंत्री बने. 2008 में चुनाव हारे तो फिर वे कांग्रेस में पहुंच गए. बाद में बसपा में शामिल हो गए. मौजूदा विधानसभा चुनाव के पहले वे सपा के संपर्क में थे, लेकिन अब वे आम आदमी पार्टी में हैं.
एदल सिंह कंसाना और अजब कुशवाहा ने भी बदली पार्टी: मुरैना जिले की सुमावली सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके एंदल सिंह कंसाना ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से नाता तोड़ा था. कांग्रेस से टिकट न मिलने पर पहले वे बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि बीजेपी से इस बार उनका टिकट अधर में लटका हुआ है. कमोवेश यही स्थिति सुमावली सीट से कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाहा की है. वे भी कई पार्टियों के चक्कर काट चुके हैं. वे बसपा और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, दोनों ही बार हार उनके खाते में आई. 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान फिर दल बदला और कांग्रेस में आ गए. उपचुनाव में वे जीत चुके हैं.
ऐसे भी दलबदल के उदाहरण: प्रदेश की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें नेता बीजेपी से कांग्रेस और कांग्रेस से बीजेपी में जाते रहे हैं, लेकिन इसमें भी एक नाम पूर्व विधायक बलवीर सिंह डंडोतिया का है. जो पहले दिमनी से बसपा के टिकट पर विधायक बने. टिकट की आस में 2020 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए, लेकिन जब यह उम्मीद पूरी नहीं हुई तो वे फिर बसपा में लौट गए. 2008 में वे दिमनी से कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन तीसरे नंबर पर रहे. 2013 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया तो वे बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे और चुनाव जीत गए. 2018 में फिर कांग्रेस से विधायक का चुनाव जीते, लेकिन 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव हार गए. इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है.